पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों के सतत् संपूर्ण मूल्यांकन (सीसीई) में खानापूर्ति की गई। सरकारी स्कूलों के अध्यापकों ने न इन फार्मो पर बच्चों की वार्षिक रिपोर्ट भरी और न ही अभिभावकों के हस्ताक्षर कराए। सिर्फ रिकॉर्ड बनाया गया, फार्मो को भरना उचित नहीं समझा गया। ताज्जुब की बात है कि विभाग ने समय पर स्कूलों में यह फार्म नहीं पहुंचाए।
प्रदेश के अधिकतर जिलों में पहली से आठवीं कक्षा तक के स्कूल मुखियाओं ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत भेजे गए सतत् संपूर्ण मूल्यांकन (सीसीई) फार्मो को अबकी बार भरा ही नहीं। बच्चों की मासिक मूल्यांकन रिपोर्ट ही तैयार नहीं की गई। अध्यापकों ने प्रति माह लिए जाने वाले टेस्टों की जानकारी केवल रजिस्टरों तक ही सीमित करके रख दी और उसे आगे फार्मो पर नहीं भरा। इस कारण अधिकतर स्कूलों में अब भी यह फार्म धूल फांक रहे हैं। अब इन सभी फार्मो को नए वित्त वर्ष 2012-13 के लिए प्रयोग किया जाएगा। शिक्षा निदेशालय ने स्पष्ट निर्देश भी दिए थे कि इन फार्मो को भरकर उन पर अभिभावकों के हस्ताक्षर भी कराए जाए, लेकिन फार्मो पर हस्ताक्षर कराने की बजाय अध्यापकों ने फार्मो को भरना भी मुनासिब भी नहीं समझा। जिन स्कूल मुखियाओं ने यह फार्म भरवाए हैं, उनके लिए भी समस्या बढ़ी हुई है, क्योंकि नए सत्र के लिए अब तक फार्म तैयार होकर नहीं आए। इस कारण बच्चों की मासिक रिपोर्ट फार्म के बजाय रजिस्टरों में भरी जा रही है।
फार्म न भरने के लिए विभाग भी जिम्मेदार
इन फार्मो को न भरने के लिए अध्यापक व मुखिया के साथ विभाग के अधिकारी भी जिम्मेदार हैं। अधिकारियों ने अबकी बार फार्मो को जिलों तक ही मार्च माह के अंतिम सप्ताह तक पहुंचाया था, जिसके चलते 31 मार्च तक भी कई स्कूलों में फार्म नहीं पहुंच सके थे। इस कारण यह फार्म नहीं भरे जा सके।
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