यूनिवर्सिटी नहीं दे पा रहीं बेहतर शिक्षित स्नातक


केंद्रीय उच्च शिक्षा राज्य मंत्री शशि थरूर ने देश में उच्च शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं। उनका मानना है कि वर्तमान में यूनिवर्सिटी बेहतर शिक्षित स्नातक नहीं दे पा रही हैं। यही वजह है कि इसने प्रशिक्षण के नाम पर निजी कंपनियों को देश में आने का मौका दे दिया है। थरूर ने अनुसंधान पर खर्च बढ़ाने की भी पुरजोर वकालत की है। दो दिवसीय उच्च शिक्षा सम्मेलन में शिरकत करने पहुंचे थरूर ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति समय के साथ कदम से कदम मिलाकर नहीं चल सकी है। मध्य-पूर्व और चीन में विदेशी विश्वविद्यालयों को देश में अपने कैंपस खोलने के लिए तमाम तरीकों से लुभाया गया। इसके उलट भारत ने उनसे मुंह फेरा। यदि देश में ही अच्छे शिक्षण संस्थान खुलेंगे तो भारतीय छात्रों को बाहर जाकर पढ़ने की जरूरत नहीं रह जाएगी। इस दिशा में सुधार की जरूरत है। देश में 50 शिक्षा केंद्रों के गठन का प्रस्ताव है। इनको अमलीजामा पहनाया गया तो देश में उच्च शिक्षा की तस्वीर ही बदल जाएगी। थरूर ने अध्यापकों के लिए राष्ट्रीय मिशन के गठन और नारायण मूर्ति तथा काकोदकर समिति की सिफारिशों में तेजी लाने के साथ अनुसंधान पर खर्च को दो प्रतिशत करने की जमकर वकालत की। उनके मुताबिक रोजगार के अवसरों की कमी के चलते देश में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। स्थिति को न संभाला गया तो इनके आतंकी और नक्सली गतिविधियों में पड़ने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। यूजीसी के सर्वे का हवाला देते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश में 1,471 कॉलेज और 111 विश्वविद्यालय हैं, लेकिन इनमें 73 प्रतिशत कॉलेज और 68 फीसद यूनिवर्सिटी गुणवत्ता के मानकों पर खरी नहीं उतरतीं

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