सीड़ा ने कहा कि वर्ष 2005 में प्रदेश के सरकारी स्कूलों एवं शिक्षा व्यवस्था का दिवाला पिटा हुआ था उस वक्त अतिथि अध्यापकों ने अपनी मेहनत, कार्यक्षमता एवं पूरी निष्ठा से कार्य करते हुए प्रदेश के सभी स्कूलो एवं शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त किया। इतना ही नहीं अतिथि अध्यापको के इस सराहनीय कदम की प्रदेश सरकार भी कई बार उदाहरण प्रस्तुत करती है। सीड़ा ने कहा अतिथि अध्यापको की इस कार्यशैली से छात्रो के अभिभावकों में भी सरकारी विद्यालयों के प्रति विश्वास पैदा हुआ है तथा प्राइवेट स्कूलो के मुकाबले अच्छे परिणाम एवं सुविधा दे रहे हैं।
प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे जिला प्रधान सुभाष राविश ने सरकार को चेताते हुए कहा कि अतिथि अध्यापको के रोजगार से खिलवाड़ न करके उनके भविष्य एवं भरण-पोषण की समस्या का हल करे तथा उन्हें पॉलिसी बनाकर शीघ्र अतिशीघ्र नियमित करने की घोषणा करे ताकि सैंकड़ों अतिथि अध्यापक ¨चता मुक्त होकर प्रदेश के बच्चो को ओर अच्छी शिक्षा प्रदान कर सकें। उन्होंने कहा यदि सरकार ने समय रहते अतिथि अध्यापको की समस्याओ को हल नहीं किया तो अतिथि अध्यापक संघर्ष के लिए मजबूर होंगे और हर प्रकार की कुर्बानी देने के लिए तैयार होंगे।
जिला प्रधान ने बताया कि 22 जनवरी को पूंडरी, 23 को कलायत तथा 25 जनवरी को राजौंद ब्लॉक में प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपेंगे। इस मौके पर अध्यापक नेता सुरेश गुप्ता ने कहा कि सरकार को चाहिए कि उनके भविष्य को सुरक्षित प्रदान करे क्योकि बहुत से अतिथि अध्यापक आयु सीमा को पार कर चुके है अब उन्हें अपने भविष्य की ¨चता सता रही है। इस अवसर पर उपप्रधान महेद्र पुरी, कृष्ण कुमार, हेमराज, भूषण, रूपचंद, जसवंत ¨सह, शीशपाल आदि भी मौजूद थे।
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