reservation editorial


आरक्षण के साथ अपेक्षा गरीब सवर्णो को दस फीसद आरक्षण देने का हरियाणा सरकार का फैसला कई मायनों में महत्व रखता है। जहां आरक्षित वर्ग के लिए संभावनाएं खुलीं वहीं अनारक्षित सामान्य वर्ग का सरकारी नौकरियों का दायरा और सिमट गया। हाल ही में जाट समेत पांच जातियों को दस प्रतिशत आरक्षण की लंबित मांग पूरी होने के बाद अन्य जातियों ने भी सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश शुरू कर दी थी जिसके चलते मंत्रियों की उप कमेटी को सिफारिशें जल्द सौंपने में तत्परता दिखानी पड़ी। नई घोषणा के मुताबिक अब पंजाबी, अरोड़ा, वैश्य, राजपूत और ब्रांाण कई अन्य जातियों के गरीबों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ मिल सकेगा। ब्रांाण, राजपूत व पंजाबी समेत कई जातियों के प्रतिनिधि शायद घोषणा से अधिक खुश दिखाई न दें क्योंकि ये अपनी जातियों को पिछड़ी घोषित करवाने के लिए प्रयासरत थे। इसमें कोई संदेह नहीं कि आरक्षण के मसले पर मुख्यमंत्री तात्कालिक तौर पर सभी वर्गो को संतुष्ट करने में सफल रहे परंतु कुछ पहलू हैं जो परेशानी का कारण बन सकते हैं। राज्य में आरक्षण पाने वाली जातियों की संख्या 69.5 फीसद हो गई जो केंद्र सरकार व सुप्रीम कोर्ट के आदेशों, प्रावधानों के अनुसार अधिकतम है। अब सरकार की सबसे बड़ी जिम्मेदारी यह है कि मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक हर जाति को नौकरियों में प्रतिनिधित्व कैसे दिया जाए? इतना ही महत्वपूर्ण प्रश्न है कि सामान्य वर्ग के प्रति उसकी जवाबदेही कैसे पूरी होगी? हरियाणा सबसे तेजी से विकसित राज्य है, प्रतिभा पर यदि आरक्षण भारी पड़ने लगा तो विकास की गति बनाए रखने में बाधा आ सकती है। प्रतिभा को उचित स्थान दिलाने के लिए अतिरिक्त संसाधन और अवसर उपलब्ध करवाना भी सरकार की प्राथमिकता में शामिल होना चाहिए। आयोग की सिफारिशों पर तय की गई परिभाषा के अनुसार सालाना ढाई लाख तक की आय वाले व्यक्ति को आर्थिक पिछड़ा माना जाएगा। एक और शर्त जोड़ी गई कि आवेदक या उस पर आश्रित कोई सदस्य आयकरदाता हुआ तो आरक्षण नहीं मिलेगा। विभाग की आयकर सीमा दो लाख तक है, ऐसे में ढाई लाख तक की आय वाले गरीब सरकारी मानकों पर खरे कैसे उतरेंगे? कुछ व्यावहारिक दिक्कतें अवश्य रहेंगी। घोषणा तभी सार्थक मानी जाती है जब उस पर उसी भावना से अमल हो जिस मंतव्य से इसकी परिकल्पना की गई थी। एक मुद्दे पर सरकार को सफलता मिली अब चुनौती यह साबित करने की है कि यह केवल लोकलुभावन घोषणा नहीं बल्कि जनसरोकार से जुड़ी दीर्घकालिक योजना का एक अहम पायदान है

No comments:

Post a Comment

thanks for your valuable comment

See Also

Education News Haryana topic wise detail.