प्रदेश में तबादलों का एक दौर खत्म हो चुका है और दूसरा दौर चालू हो गया है। पहले दौर में करीब 10 हजार सरकारी कर्मचारियों ने अपने तबादलों की इच्छा जाहिर की है। सबसे अधिक तबादला चाहने वालों में शिक्षा विभाग के कर्मचारी और अध्यापक शामिल हैं। दूसरा नंबर पुलिस और आबकारी एवं कराधान विभाग के कर्मचारियों का आता है। सबसे कम पीडब्ल्यूडी विभाग के कर्मचारियों ने तबादला चाहा है। 1अमूमन तबादले मुख्यमंत्री स्वयं करते हैं, लेकिन एक माह के लिए वे संबंधित विभाग के मंत्रियों को तबादले करने का अधिकार दे देते हैं। इस बार यह अवधि 30 जून को खत्म हो गई है। 1 जुलाई से 31 जुलाई तक सिंचाई, सहकारिता एवं बिजली विभागों के तबादले किए जा सकेंगे। यह अधिकार भी इन विभागों के मंत्रियों को सौंपे गए हैं। सबसे अधिक तबादले शिक्षा विभाग में किए जाने की सिफारिश आई है। मंत्री तो मंत्री, विधायक, पूर्व विधायक, पूर्व सांसद और पार्टी के वरिष्ठ नेता तक तबादला सूची हाथ में लिए एक दूसरे से आगे निकलने की होड में लगे हैं।
इनमें दूसरे दलों केऐसे नेता भी शामिल हैं, जिन्हें लगता है कि सरकार में उनकी बात सुन ली जाती है। मंत्रियों की कोठियों और दफ्तरों में नेता तबादलों की सूचियां थामे नजर आ रहे हैं। इस बार दसवीं का रिजल्ट बेहद खराब रहा है। मंत्री ने साफ मना कर दिया था कि वे इस बार तबादलों पर अधिक गौर नहीं करेंगी, लेकिन अपनी ही पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के दबाव के आगे उनको अपने फैसले में बदलाव करना पड़ा है। 1हिसार जिले के एक विधायक की तबादला सूची 500 से अधिक है। रोहतक जिले के एक विधायक ने उनसे आगे बढ़ते हुए करीब 600 शिक्षकों को बदलवाने की जिम्मेदारी ली है। फरीदाबाद, गुड़गांव और सोनीपत जिलों से भी काफी सिफारिशें हैं। राज्य के लोक निर्माण मंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला, खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह और सहकारिता मंत्री सतपाल सांगवान की शिक्षकों के तबादले में सबसे कम रुचि देखने को मिली है। शिक्षा विभाग के करीब पांच हजार और बाकी पांच हजार प्रस्तावित तबादले दूसरे सभी विभागों के हैं।
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