लेक्चररों की कमी से 'थ्री टियर सिस्टम' पर अड़ंगा
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शिक्षक भर्ती बोर्ड पर उठे सवालों के बाद २५ हजार अध्यापकों की भर्ती लटकी
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35 हजार प्राध्यापकों की जरूरत
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भास्कर न्यूजत्न कैथल
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शिक्षा विभाग ने सूचना के अधिकार (आरटीई) के तहत प्रदेश के स्कूलों में थ्री टियर सिस्टम लागू कर दिया है। लेकिन स्पष्ट आदेश और प्राध्यापकों की कमी के कारण यह सही तरीके से लागू नहीं हो पा रहा है। काफी स्कूलों में इस सिस्टम को लेकर टीचरों की कमी हो रही है।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत शिक्षा विभाग ने स्कूलों में थ्री टायर सिस्टम लागू किया है। इस नियम के तहत पहली से पांचवीं तक प्राइमरी टीचर, छठी से आठवीं तक अध्यापक और नौवीं से 12वीं तक प्राध्यापकों को पढ़ाना है। स्कूलों में शिक्षा में सुधार के लिए इसे लागू किया जा रहा है। इसके लिए पांच हजार के करीब मिडिल हेड की नियुक्ति भी कर दी है। जहां स्टाफ का अच्छा तालमेल है वहां सिस्टम लागू कर दिया है। मिडिल हेड को कार्य भी सौंप दिया है। लेकिन जहां अच्छा तालमेल नहीं है वहां पर इस सिस्टम को लागू करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। स्टाफ की खींचतान से बच्चों की पढ़ाई खराब हो रही है। काफी स्कूलों में मिडिल हेड को कोई भी कार्य नहीं दिया हुआ है। प्रिंसिपल यही हवाला दे रहे हैं कि उनके पास लिखित में कोई आदेश नहीं है। मिडिल हेड ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन्हें अभी तक कोई भी काम नहीं दिया गया है। प्रिंसिपल स्पष्ट आदेश का हवाला दे रहे हैं। जबकि आरटीई में सब क्लियर है। बावजूद इसके वह मानने को तैयार नहीं हैं।
नई भर्ती होने तक अध्यापक ही पढ़ाएंगे
॥स्कूलों में थ्री टियर सिस्टम लागू कर दिया है। फिलहाल अध्यापक ही नौवीं व दसवीं के विद्यार्थियों को पढ़ाएंगे। प्राध्यापकों की नियमित भर्ती के बाद नौवीं व दसवीं को प्राध्यापक पढ़ाएंगे। प्राध्यापकों की कमी के कारण अध्यापकों से ही काम चलाना पड़ रहा है। रफिया राम, डिप्टी डीईओ, शिक्षा विभाग, कैथल
थ्री टियर सिस्टम को लागू करने में 35 हजार प्राध्यापकों की जरूरत है। लेकिन फिलहाल स्कूलों में नौ हजार प्राध्यापक हैं। इसमें आठ हजार नियमित व एक हजार प्राध्यापक गेस्ट लगे हुए हैं। इस सिस्टम को सुचारू रूप से लागू करने के लिए 25,086 टीचरों की भर्ती प्रक्रिया चल ही थी। लेकिन शिक्षक भर्ती बोर्ड पर केस होने के कारण यह भर्ती अधर में लटक गई है। इसमें 14,216 प्राध्यापक व 9,870 प्राइमरी टीचर शामिल हैं। पंजाबी, मेथ, केमिस्ट्री, सामाजिक व फिजिक्स के सात हजार प्राध्यापकों की लिस्ट लग चुकी है। उनके कागजों की वेरीफिकेशन भी हो चुकी है। लेकिन केस के कारण उन्हें ज्वाइन नहीं करवाया जा रहा है। जबकि मेवात कैडर के प्राध्यापकों को ज्वाइन भी करवा दिया है। जबकि उनकी सेलेक्शन भी शिक्षक भर्ती बोर्ड ने की है। जब तक यह भर्ती नहीं होती थ्री टियर सिस्टम प्रदेश में लागू ही नहीं हो सकता। हालांकि ये भर्ती होने के बाद भी पूरी तरह से शिक्षकों की कमी तो फिर भी रह ही जाएगी। लेकिन भर्ती होने के बाद इस सिस्टम को लागू करने लायक स्थिति हो जाएगी। इस सिस्टम को लागू करने के लिए जो भर्ती प्रक्रिया चल रही है वह सिरे चढऩी चाहिए। इसके अलावा सिस्टम को लागू करने में स्पष्ट आदेश होने चाहिए।
जल्द होनी चाहिए भर्ती
॥25,086 अध्यापकों की जो भर्ती प्रक्रिया चल रही है। यह जल्द पूरी होनी चाहिए। इस भर्ती के सिरे चढऩे पर स्कूलों में थ्री टायर सिस्टम सुचारू रूप से लागू हो सकता है। प्रदेश सरकार को सही मायने में आरटीई लागू करनी है तो यह भर्ती जल्द करनी होगी। इसके बाद ही स्कूलों में पढ़ाई सुचारू रूप से हो सकती है। अर्चना सुहासनी, प्रदेश अध्यक्ष, पात्र अध्यापक संघ महिला विंग
कोई भी स्पष्ट आदेश नहीं
॥शिक्षा का अधिकार आनन-फानन में लागू कर दिया है। स्कूलों के प्रिंसिपल के पास कोई स्पष्ट आदेश नहीं हैं। इसी कारण इस सिस्टम को लागू करने में परेशानी आ रही है। रेशनेलाइजेशन भी ठीक ढंग से नहीं हुआ है। कई जगह एक-एक विषय के कई-कई अध्यापक बैठे हुए हैं। शिक्षा विभाग को स्पष्ट आदेश देने चाहिए। अध्यापकों की जल्द भर्ती होनी चाहिए। सतबीर गोयत, सचिव, अध्यापक संघ |
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