7th pay commission detail

राज्य कर्मचारियों को भी मिलेगा लाभ 
५० लाख मुलाजिम, ३० लाख पेंशनरों को तोहफा 
सातवें वेतन आयोग के गठन को मिली मंजूरी 
ञ्चअध्यक्ष व सदस्यों के नाम की घोषणा जल्द 
एजेंसीत्ननई दिल्ली
केंद्र सरकार ने कर्मचारियों को रिझाने के लिए चुनाव से पहले मास्टर स्ट्रोक खेला है। उसने बुधवार को सातवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी। इससे केंद्र के 50 लाख कर्मचारियों और 30 लाख पेंशनरों को फायदा होगा। आयोग की सिफारिशें १ जनवरी 2016 से लागू हो सकती हैं। वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आयोग के गठन का प्रस्ताव मंजूर कर लिया है। आयोग को सिफारिशें तैयार करने में करीब दो साल लगते हैं। आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के नाम जल्द घोषित किए जाएंगे। सरकार ने आयोग को मंजूरी ऐसे समय में दी है, जब देश के पांच राज्यों में नवंबर में चुनाव हैं। अगले साल मई में आम चुनाव हैं।

१० साल के बाद गठित होता है आयोग

आमतौर पर सरकार हर 10 साल में वेतनमान में संशोधन करने के लिए आयोग गठित करती है। हाल ही में केंद्रीय कैबिनेट ने केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 90 प्रतिशत बढ़ाने की घोषणा की थी। इससे सरकार पर 10879 करोड़ रुपए अतिरिक्त भार पड़ेगा।

छठा आयोग: सिफारिशें २००६ से लागू

सरकारी बयान में कहा गया है कि सभी पक्षों से विचार विमर्श कर सातवें वेतनआयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की घोषणा जल्दी कर दी जाएगी। छठे वेतन आयोग की सिफारिशें एक जनवरी 2006 से लागू की गई थी। इससे पहले पांचवें आयोग की एक जनवरी 1996 और चौथे आयोग की एक जनवरी 1986 से लागू की गई थी।

चुनावी फायदे का गणित

सातवें वेतन आयोग की घोषणा चुनावी गणित लगती है। सरकार जानती है कि उसकी आर्थिक सेहत अच्छी नहीं है। राजकोषीय घाटा पिछले 20 साल में सबसे अधिक है। नए वेतनमान लागू होने पर सरकार का खर्च डेढ़ फीसदी बढ़ेगा। लेकिन वह यह भी अच्छी तरह जानती है कि सिफारिशें तो 2016 में लागू करना है। तत्कालीन सरकार आर्थिक स्थिति के आधार पर तब कोई निर्णय करेगी।

छठे वेतन आयोग से ५० फीसदी बढ़ोतरी

वेतन में औसतन 50-60' का इजाफा हुआ था। न्यूनतम वेतनमान (6,660 रुपए) और सचिव स्?तर पर अधिकतम वेतनमान (80,000 रुपए) तय हुई थीं।

सातवें वेतन आयोग के गठन का फायदा सिर्फ केंद्र ही नहीं, राज्य सरकार के कर्मचारियों को भी मिलेगा। हालांकि, इसके लिए उन्हें केंद्र के कर्मचारियों के मुकाबले एक-दो साल इंतजार करना पड़ेगा। आमतौर पर राज्य सरकार कुछ संशोधन के साथ इन सिफारिशों को स्वीकार करती है।

आयोग की सिफारिशें १ जनवरी 2016 से लागू होने की संभावना 
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