लगता है हरियाणा में भर्तियों को चुनौती देने का सिलसिला थमने वाला नहीं। गेस्ट टीचर, पीटीआइ व लेक्चरर की भर्ती रद हो चुकी, हरियाणा टीचर सेलेक्शन बोर्ड व पटवारी और रेलवे पुलिस कर्मियों की भर्ती पर तलवार लटक रही है, अब एक और सरकारी भर्ती को अदालत में चुनौती दी गई है। स्वाभाविक है सरकार की मुश्किलें बढ़ने के साथ भर्ती प्रक्रिया पर भी अनेक प्रश्नचिन्ह चस्पां होंगे। इसी वर्ष अप्रैल माह में हुई रोडवेज के 110 चालकों की भर्ती को हाई कोर्ट में चुनौती दे कर अनेक गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगाए गए हैं। आरोप के मुताबिक अधिकतर आवेदकों ने योग्यता एवं अनुभव प्रमाणपत्र परिणाम घोषित होने के बाद जमा करवाए। लंबे समय से कार्यरत अस्थायी चालकों को नजरंदाज कर चहेतों को नियुक्ति देने के साथ ऐसे कई अन्य आक्षेप भी लगे जिनका जवाब देने में सरकार को पसीने छूट सकते हैं। अदालत ने सरकार से जवाब मांगा है और जवाब से वह संतुष्ट नहीं हुई तो विजिलेंस जांच के आदेश संभव हैं। अहम सवाल है कि सरकारी भर्ती प्रक्रिया में क्या वाकई इतने छेद हैं कि जिसके मन में आता है, वही सरकार को कठघरे में खड़ा कर देता है। माना कि हर उम्मीदवार को परीक्षा या चयन प्रक्रिया से संतुष्ट करना असंभव है पर एक उम्मीदवार के चयन के साथ दस अचयनित प्रत्याशियों के हाथ में तकनीकी, कानूनी व प्रक्रियागत खामियों के अस्त्र-शस्त्र सौंपना भी उचित नहीं कहा जा सकता। नीतिकारों को यह नहीं भूलना चाहिए कि विवादों का सिलसिला लंबा ख्ंिाचने या मुकदमों की संख्या बढ़ने से सीधा असर सरकार की साख पर पड़ता है। बार-बार लग रहे झटकों से सबक लेते हुए गहन मंथन की आवश्यकता अब तक महसूस क्यों नहीं हुई? क्या पिछले दस साल के दौरान भर्ती प्रक्रिया में संशोधन की कवायद शुरू हुई? क्या किसी एक बिंदु पर सरकारी तंत्र में आत्मविश्वास नजर आया? अधिकतर सवालों का जवाब न में ही मिलेगा क्योंकि इतने उदाहरण सामने आ चुके जो सरकारी तंत्र की विफलता के गवाह बन चुके हैं। अभी राज्य में 15 हजार से ज्यादा अध्यापकों, 11 हजार पुलिसकर्मियों के साथ हजारों अन्य नियुक्तियां होनी है, इनमें अदालत या किसी अन्य तरह की बाधा न आए, इसके पुख्ता प्रबंध करने के लिए उच्च स्तर पर नीति निर्धारकों को भर्ती प्रक्रिया में सुधार के लिए ठोस उपाय अमल में लाने होंगे।www.teacherharyana.blogspot.com (Recruitment , vacancy , job , news)
हरियाणा में भर्तियों को चुनौती देने का सिलसिला
लगता है हरियाणा में भर्तियों को चुनौती देने का सिलसिला थमने वाला नहीं। गेस्ट टीचर, पीटीआइ व लेक्चरर की भर्ती रद हो चुकी, हरियाणा टीचर सेलेक्शन बोर्ड व पटवारी और रेलवे पुलिस कर्मियों की भर्ती पर तलवार लटक रही है, अब एक और सरकारी भर्ती को अदालत में चुनौती दी गई है। स्वाभाविक है सरकार की मुश्किलें बढ़ने के साथ भर्ती प्रक्रिया पर भी अनेक प्रश्नचिन्ह चस्पां होंगे। इसी वर्ष अप्रैल माह में हुई रोडवेज के 110 चालकों की भर्ती को हाई कोर्ट में चुनौती दे कर अनेक गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगाए गए हैं। आरोप के मुताबिक अधिकतर आवेदकों ने योग्यता एवं अनुभव प्रमाणपत्र परिणाम घोषित होने के बाद जमा करवाए। लंबे समय से कार्यरत अस्थायी चालकों को नजरंदाज कर चहेतों को नियुक्ति देने के साथ ऐसे कई अन्य आक्षेप भी लगे जिनका जवाब देने में सरकार को पसीने छूट सकते हैं। अदालत ने सरकार से जवाब मांगा है और जवाब से वह संतुष्ट नहीं हुई तो विजिलेंस जांच के आदेश संभव हैं। अहम सवाल है कि सरकारी भर्ती प्रक्रिया में क्या वाकई इतने छेद हैं कि जिसके मन में आता है, वही सरकार को कठघरे में खड़ा कर देता है। माना कि हर उम्मीदवार को परीक्षा या चयन प्रक्रिया से संतुष्ट करना असंभव है पर एक उम्मीदवार के चयन के साथ दस अचयनित प्रत्याशियों के हाथ में तकनीकी, कानूनी व प्रक्रियागत खामियों के अस्त्र-शस्त्र सौंपना भी उचित नहीं कहा जा सकता। नीतिकारों को यह नहीं भूलना चाहिए कि विवादों का सिलसिला लंबा ख्ंिाचने या मुकदमों की संख्या बढ़ने से सीधा असर सरकार की साख पर पड़ता है। बार-बार लग रहे झटकों से सबक लेते हुए गहन मंथन की आवश्यकता अब तक महसूस क्यों नहीं हुई? क्या पिछले दस साल के दौरान भर्ती प्रक्रिया में संशोधन की कवायद शुरू हुई? क्या किसी एक बिंदु पर सरकारी तंत्र में आत्मविश्वास नजर आया? अधिकतर सवालों का जवाब न में ही मिलेगा क्योंकि इतने उदाहरण सामने आ चुके जो सरकारी तंत्र की विफलता के गवाह बन चुके हैं। अभी राज्य में 15 हजार से ज्यादा अध्यापकों, 11 हजार पुलिसकर्मियों के साथ हजारों अन्य नियुक्तियां होनी है, इनमें अदालत या किसी अन्य तरह की बाधा न आए, इसके पुख्ता प्रबंध करने के लिए उच्च स्तर पर नीति निर्धारकों को भर्ती प्रक्रिया में सुधार के लिए ठोस उपाय अमल में लाने होंगे।www.teacherharyana.blogspot.com (Recruitment , vacancy , job , news)
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