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अब एमबीबीएस डॉक्टर होंगे क्लास वन अफसर
सोमदत्त शर्मा, रोहतक1हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन के कड़े तेवर आखिर रंग लाने लगे हैं। प्रदेश सरकार ने डॉक्टरों की छह में से तीन मुख्य मांगों पर सहमति जता दी है। उनको क्लास वन का दर्जा देने, रूरल एरिया में छह साल के बजाय तीन साल की नौकरी और वर्ष 2011 में दो दिन की हड़ताल को छुट्टी मानने की मांग पर सरकार ने मौखिक स्वीकृति दे दी है। तीन अन्य लंबित मांगों पर विचार के लिए समय मांगा है। प्रदेशभर के डॉक्टरों ने 26 जनवरी को रोहतक में एकत्र होकर 4 फरवरी को हड़ताल व सीएम आवास का घेराव करने की चेतावनी दी थी।1 डॉक्टरों के चेतावनी से घबराई सरकार ने 30 जनवरी को एचसीएमएस एसोसिएशन के 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को बातचीत के लिए चंडीगढ़ बुलाया था। स्वास्थ्य विभाग की वित्तायुक्त डॉ. नवराज संधु व स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक डॉ. एनके अरोड़ा के साथ हुई बातचीत के आधार पर डॉक्टरों की मुख्य तीन मांगों पर सहमति बन गई है। विश्वनीय सूत्रों का कहना है कि सीएम के निर्देश के बाद ही इन्हें हरी झंडी मिली है। स्वास्थ्य विभाग के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि प्रदेश सरकार इसी सप्ताह तीन मांगों को मानने का पत्र जारी कर सकती है। तीन अन्य मांगों पर 10 फरवरी तक विचार किया जाएगा और उनका भी समाधान निकाला जाएगा। गौरतलब है कि मांगों को लेकर 31 जनवरी को डॉक्टर एसोसिएशन सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा से भी मिले और सीएम ने उन्हें विश्वास दिलाया था कि उनकी जायज मांगों को माना जाएगा।1क्या है एसीपी का फंडा : एमबीबीएस डॉक्टर की नियुक्ति के बाद पांच, दस, पंद्रह व 20 साल में एससीपी (एसोयर्ड करियर प्रोग्रेसन) लगती है। सीधे शब्दों में वेतन में बढ़ोतरी होती है। हर वेतन बढ़ोतरी से पहले डाक्टर को दो साल ग्रामीण क्षेत्र में नौकरी करनी होती है, लेकिन नए फैसले के अनुसार डॉक्टर की नियुक्ति के पहले दस साल में ही तीन साल रूरल की कंडीशन को पूरा करना होगा।1सोमदत्त शर्मा, रोहतक1हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन के कड़े तेवर आखिर रंग लाने लगे हैं। प्रदेश सरकार ने डॉक्टरों की छह में से तीन मुख्य मांगों पर सहमति जता दी है। उनको क्लास वन का दर्जा देने, रूरल एरिया में छह साल के बजाय तीन साल की नौकरी और वर्ष 2011 में दो दिन की हड़ताल को छुट्टी मानने की मांग पर सरकार ने मौखिक स्वीकृति दे दी है। तीन अन्य लंबित मांगों पर विचार के लिए समय मांगा है। प्रदेशभर के डॉक्टरों ने 26 जनवरी को रोहतक में एकत्र होकर 4 फरवरी को हड़ताल व सीएम आवास का घेराव करने की चेतावनी दी थी।1 डॉक्टरों के चेतावनी से घबराई सरकार ने 30 जनवरी को एचसीएमएस एसोसिएशन के 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को बातचीत के लिए चंडीगढ़ बुलाया था। स्वास्थ्य विभाग की वित्तायुक्त डॉ. नवराज संधु व स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक डॉ. एनके अरोड़ा के साथ हुई बातचीत के आधार पर डॉक्टरों की मुख्य तीन मांगों पर सहमति बन गई है। विश्वनीय सूत्रों का कहना है कि सीएम के निर्देश के बाद ही इन्हें हरी झंडी मिली है। स्वास्थ्य विभाग के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि प्रदेश सरकार इसी सप्ताह तीन मांगों को मानने का पत्र जारी कर सकती है। तीन अन्य मांगों पर 10 फरवरी तक विचार किया जाएगा और उनका भी समाधान निकाला जाएगा। गौरतलब है कि मांगों को लेकर 31 जनवरी को डॉक्टर एसोसिएशन सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा से भी मिले और सीएम ने उन्हें विश्वास दिलाया था कि उनकी जायज मांगों को माना जाएगा।1क्या है एसीपी का फंडा : एमबीबीएस डॉक्टर की नियुक्ति के बाद पांच, दस, पंद्रह व 20 साल में एससीपी (एसोयर्ड करियर प्रोग्रेसन) लगती है। सीधे शब्दों में वेतन में बढ़ोतरी होती है। हर वेतन बढ़ोतरी से पहले डाक्टर को दो साल ग्रामीण क्षेत्र में नौकरी करनी होती है, लेकिन नए फैसले के अनुसार डॉक्टर की नियुक्ति के पहले दस साल में ही तीन साल रूरल की कंडीशन को पूरा करना होगा।
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