चंडीगढ़ : प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षक नियुक्त करने वाली निजी कंपनियों के साथ शिक्षा विभाग की सांठगांठ उजागर हो गई है। विभाग ने उन्हीं तीन कंपनियों से स्कूलों में खाली पड़े पदों पर एक हजार कंप्यूटर शिक्षकों की नियुक्ति करा ली है, जिन्हें बीते महीने ब्लैक लिस्ट किया जा चुका है। शिक्षकों का शोषण करने वाली कंपनियों से विभाग के उच्च अधिकारियों का मोह क्यों नहीं छूट रहा? यह शिक्षा निदेशालय में चर्चा का विषय बना हुआ है। विभाग के अधिकारी जिन तीन निजी कंपनियों पर मेहरबान हैं, वे पहले से स्कूलों में तैनात 2622 शिक्षकों को छह महीने से वेतन नहीं दे पाई हैं। इन्होंने शिक्षा विभाग के साथ हुए समझौते का उल्लंघन कर 24-24 हजार की सिक्योरिटी राशि भी वसूली है। जिसे वे सरकार के आदेश के बावजूद लौटाने में दिलचस्पी नहीं दिखा रही। उल्टा नव नियुक्त शिक्षकों से भी कंपनियां 24 हजार रुपये की सिक्योरिटी वसूल रही हैं। लगभग साढ़े आठ सौ शिक्षकों ने तो सिक्योरिटी राशि देकर ज्वाइनिंग के लिए हामी भर दी है, जबकि डेढ़ सौ शिक्षक इसे न देने पर अड़े हुए हैं। इसलिए कंपनियों ने उनकी ज्वाइनिंग रोक दी है। करार रद करने को लेकर लंबा आंदोलन चला चुके पहले से स्कूलों में तैनात कंप्यूटर शिक्षक जुलाई व अगस्त महीने में तीनों कंपनियों से करार रद करने को लेकर लंबा आंदोलन चला चुके हैं। इनके शिक्षा निदेशालय पर आमरण अनशन शुरू करने के बाद सरकार ने 3 अगस्त को समझौता वार्ता में शिक्षकों की सारी मांगें मान ली थी। मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा से चर्चा के बाद सेकेंडरी शिक्षा विभाग के महानिदेशक विवेक अत्रे ने तीनों कंपनियों को ब्लैक लिस्ट करने व उनके साथ करार निरस्त करने की बात कही थी। अधिकारियों ने कई सवाल खड़े किए विभाग कंप्यूटर शिक्षकों की सेवाएं अपने अधीन लेकर स्कूल प्राचार्यो के माध्यम से उन्हें वेतन देने की अधिसूचना तक जारी कर चुका है, लेकिन दोषी कंपनियों से ही एक हजार शिक्षकों की नियुक्ति कराकर अधिकारियों ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इससे कंप्यूटर टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन और शिक्षा विभाग के बीच दोबारा टकराव उत्पन्न हो सकता है। एसोसिएशन ने रविवार को जींद में आपात बैठक बुलाई है। इसमें चर्चा के बाद विभाग के विरुद्ध कंप्यूटर शिक्षक आगामी आंदोलन की घोषणा करेंगे।
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