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शिक्षक पात्रता परीक्षा के फर्जी अभ्यर्थियों पर दर्ज होगी एफआईआर
हाईकोर्ट के निर्देश पर सरकार ने जिला शिक्षा अधिकारियों को लिखा पत्र, कोर्ट ने मांगी कार्रवाई की रिपोर्ट
अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। हरियाणा की पिछली हुड्डा सरकार के शासनकाल के दौरान साल 2010 में जेबीटी भर्ती के लिए आयोजित अध्यापक पात्रता परीक्षा में शामिल पाए गए 776 फर्जी अभ्यर्थियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी।
इस मामले में हाईकोर्ट के निर्देश पर वर्तमान खट्टर सरकार ने संबंधित जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखा है। वहीं हाईकोर्ट ने दो मार्च तक सरकार ने कार्रवाई की रिपोर्ट तलब की है।
पिछले दिनों आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रमुख सचिव शिक्षा ने भी हरी झंडी दी थी। डायरेक्टर एलिमेंटरी एजूकेशन ने हाईकोर्ट को बताया था कि प्रमुख सचिव से कार्रवाई की अनुमति मांगी गई थी। पूछा गया था कि फर्जी पाए गए 776 अभ्यर्थियों को सीधे बर्खास्त किया जाए या एफआईआर भी दर्ज कराई जाए। आरोपियों में शामिल 216 लोगों ने जेबीटी की नौकरी छोड़ दी है, इसलिए उनके खिलाफ कैसी कार्रवाई की जाए। वहीं तीन अनुपस्थित उम्मीदवारों पर कार्रवाई कैसे हो। बताया था कि प्रमुख सचिव से बुधवार को ही प्राप्त हुए पत्र में कहा गया है कि 776 आरोपियों को 15 दिन के भीतर नोटिस दिया जाए कि उनके खिलाफ अंगूठों के मिलान की रिपोर्ट पर उनका क्या कहना है। साथ ही अगले 15 दिनों में कार्रवाई तक हो।
अब हाईकोर्ट को बताया गया है कि सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को कार्रवाई के संबंध में पत्र भेज दिए गए हैं और तीन अनुपस्थित शिक्षकों में से एक को निलंबित किया जा चुका है। बाकी दो को जल्द ही निलंबित कर दिया जाएगा। ऐसे ही 216 को हस्ताक्षर व अंगूठों के निशान के सैंपल देने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है और रिपोर्ट आने पर उचित कार्रवाई की जाए। उधर, मधुबन फारेंसिक लैब के डायरेक्टर ने कहा है कि अंगूठों और हस्ताक्षरों के मिलान का काम प्रगति पर है। 28 फरवरी तक इसकी मुकम्मल रिपोर्टतैयार हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि शिक्षक पात्रता परीक्षा में शामिल 1101 अभ्यर्थियों के ही अंगूठों के निशान का मिलान हो पाया था। इसी कारण हाईकोर्ट ने मामले की रिपोर्ट मांगी थी। जेबीटी के लिए सरकार ने नौ हजार पदों के लिए आवेदन मांगे थे। इनमें से 8325 का चयन हुआ था, जिसमें फर्जी अभ्यर्थी भी शामिल थे। तब भर्ती से वंचित अभ्यर्थियों ने कोर्ट की शरण ली थी।
चंडीगढ़। हरियाणा की पिछली हुड्डा सरकार के शासनकाल के दौरान साल 2010 में जेबीटी भर्ती के लिए आयोजित अध्यापक पात्रता परीक्षा में शामिल पाए गए 776 फर्जी अभ्यर्थियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी।
इस मामले में हाईकोर्ट के निर्देश पर वर्तमान खट्टर सरकार ने संबंधित जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखा है। वहीं हाईकोर्ट ने दो मार्च तक सरकार ने कार्रवाई की रिपोर्ट तलब की है।
पिछले दिनों आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रमुख सचिव शिक्षा ने भी हरी झंडी दी थी। डायरेक्टर एलिमेंटरी एजूकेशन ने हाईकोर्ट को बताया था कि प्रमुख सचिव से कार्रवाई की अनुमति मांगी गई थी। पूछा गया था कि फर्जी पाए गए 776 अभ्यर्थियों को सीधे बर्खास्त किया जाए या एफआईआर भी दर्ज कराई जाए। आरोपियों में शामिल 216 लोगों ने जेबीटी की नौकरी छोड़ दी है, इसलिए उनके खिलाफ कैसी कार्रवाई की जाए। वहीं तीन अनुपस्थित उम्मीदवारों पर कार्रवाई कैसे हो। बताया था कि प्रमुख सचिव से बुधवार को ही प्राप्त हुए पत्र में कहा गया है कि 776 आरोपियों को 15 दिन के भीतर नोटिस दिया जाए कि उनके खिलाफ अंगूठों के मिलान की रिपोर्ट पर उनका क्या कहना है। साथ ही अगले 15 दिनों में कार्रवाई तक हो।
अब हाईकोर्ट को बताया गया है कि सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को कार्रवाई के संबंध में पत्र भेज दिए गए हैं और तीन अनुपस्थित शिक्षकों में से एक को निलंबित किया जा चुका है। बाकी दो को जल्द ही निलंबित कर दिया जाएगा। ऐसे ही 216 को हस्ताक्षर व अंगूठों के निशान के सैंपल देने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है और रिपोर्ट आने पर उचित कार्रवाई की जाए। उधर, मधुबन फारेंसिक लैब के डायरेक्टर ने कहा है कि अंगूठों और हस्ताक्षरों के मिलान का काम प्रगति पर है। 28 फरवरी तक इसकी मुकम्मल रिपोर्टतैयार हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि शिक्षक पात्रता परीक्षा में शामिल 1101 अभ्यर्थियों के ही अंगूठों के निशान का मिलान हो पाया था। इसी कारण हाईकोर्ट ने मामले की रिपोर्ट मांगी थी। जेबीटी के लिए सरकार ने नौ हजार पदों के लिए आवेदन मांगे थे। इनमें से 8325 का चयन हुआ था, जिसमें फर्जी अभ्यर्थी भी शामिल थे। तब भर्ती से वंचित अभ्यर्थियों ने कोर्ट की शरण ली थी।
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