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हाईकोर्ट में चुनौती दे रखी हैं इन नीतियों को
कर्मचारियों को रेगुलर करने के लिए रेगुलराइजेशन पॉलिसी का मामला 25 नवंबर, 2014 की मंत्रिमंडल की बैठक में एडहॉक, कांट्रैक्ट और अन्य तरीके से लगे कर्मचारियों को रेगुलर करने के लिए 16 जून, 2014 या उसके बाद जारी रेगुलराइजेशन पालिसी की समीक्षा करने के लिए एजेंडा रखा था। मंत्रिमंडल के फैसले के अनुसार इस मामले को सरकार देख रही है। ऐसी परिस्थितियों में सरकार ने फैसला किया है कि 16 जून, 2014 या उसके बाद जारी रेगुलराइजेशन पॉलिसी पर फिलहाल रोक लगाई जाए। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार में 16 मई, 2014 के बाद जितनी भी रेगुलराइजेशन पॉलिसी बनाई गई थी, मनोहर लाल सरकार ने उन सारी पॉलिसी पर रोक लगा दी है। रोक के आदेश मुख्य सचिव डीएस ढेसी ने 5 मई की देर शाम जारी किए हैं। प्रशासनिक सचिवों को निर्देश दिए गए हैं कि इन पॉलिसी के तहत किसी भी एडहॉक, कांट्रैक्ट या अन्य किसी आधार पर लगे ग्रुप बी, सी और डी कर्मचारी को रेगुलर न किया जाए जब तक सरकार इन नीतियों के बारे में अंतिम फैसला नहीं कर लेती। मुख्य सचिव ने
प्रशासनिक सचिवों को अति आवश्यक भेजे पत्र में कहा कि मंत्रिमंडल की बैठक में 5 नवंबर, 2014 को फैसला किया था कि पिछली सरकार ने 16 मई, 2014 के बाद जितनी भी घोषणाएं की हैं, नियुक्तियां की हैं, उनकी समीक्षा की जाएगी। मंत्रिमंडल का यह फैसला 5 नवंबर को सभी प्रशासनिक सचिवों को भेजकर सूचित कर दिया था।
कुछ कर्मचारियों ने इन रेगुलराइजेशन पालिसी को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दे रखी है। जब इन याचिकाओं का जवाब कांग्रेस सरकार में दायर किया गया था तब सरकार ने पालिसी को सही ठहराया था। मगर भाजपा सरकार में इन मामलों की सुनवाई के दौरान जवाब दायर नहीं किया है बल्कि समय मांगा गया है। सरकार के भीतर राय बन रही है कि हाईकोर्ट ही इन पालिसी के बारे में निर्णय सुना दे बजाय सरकार खुद कोई फैसला करे। अब 9 मई को पता चलेगा कि सरकार क्या फैसला लेती है।
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