सरकार प्राइवेट स्कूलों में हाईकोर्ट के आदेश नहीं करवा सकी लागू


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सरकार प्राइवेट स्कूलों में हाईकोर्ट के आदेश नहीं करवा सकी लागू
प्राइवेटस्कूलों को डेवलपमेंट चार्ज ट्यूशनफीस बढ़ाने के बारे में
हाईकोर्ट के आदेशों को प्रदेश सरकार दो साल भी लागू नहीं
करा सकी है। फंडों में बिल्डिंग फंड, मिसलेनियस फीस,
सिक्योरिटी मनी की रकम वसूली जा रही है। भले ही बच्चों से
संबंधित स्कूल में ही अगली कक्षा में प्रवेश किया हो इसके बावजूद
हर साल विभिन्न फंड के नाम वसूली की जा रही है। ऐसे में नए सत्र
के शुरू होने से पहले ही अभिभावकों की नींद हराम होना आम
बात है। स्कूलों की यही मनमानी इसलिए भी धड़ल्ले से चल रही है
कि ज्यादातर स्कूलों ने ऐसे मामलो में नियमानुसार निगरानी
रखने वाली कमेटी में या तो अभिभावकों को शामिल तक नहीं
किया है या फिर कमेटी गठित ही नहीं की गई। रिपोर्ट तलब
करूंगा ^मैंनेअभी हाईकोर्ट के आदेशों का अध्ययन नहीं किया है।
निर्देशों को पढ़कर ही कुछ बता सकेंगे। फीस रेगुलेटरी कमेटी काम
क्यों नहीं शुरू कर सकी, इस पर रिपोर्ट तलब करूंगा। " -
रामबिलास शर्मा, शिक्षा मंत्री वर्किंग शुरू नहीं कर पाई फीस
रेगुलेटरी कमेटी पेरेंट्सवेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान अजय गुप्ता ने
बताया कि हाईकोर्ट ने किरण लाल आनंद की पिछली कमेटी
को भंग कर नई कमेटी गठित करने के आदेश शिक्षा विभाग को दिए
थे। प्रदेश स्तर पर इन कमेटी में प्रशासनिक कमिश्नर को चेयरमैन
बनाया गया था, जिसमें प्रत्येक जिले के डीईओ एक सीईओ को
शामिल किया जाना था। फीस रेगुलेटरी कमेटी को फीसों
अन्य फंडों में स्कूलों की मनमानी संबंधी शिकायतों पर 60
दिनों में फैसला देना था, लेकिन इस कमेटी ने अपनी वर्किंग तक
शुरू नहीं की है।

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