पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा के कार्यकाल की एक और भर्ती रद
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : हरियाणा की भाजपा सरकार पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा के कार्यकाल में निकाली गई भर्तियों को बारी-बारी रद कर रही है। सरकार ने बृहस्पतिवार को विभिन्न विभागों के विभिन्न श्रेणी के 2708 पदों की पूर्व प्रक्रिया को निरस्त कर दिया। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने इन पदों के लिए नए सिरे से आवेदन मांगे हैं। पूर्व में आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को दोबारा फीस नहीं देनी होगी। वे पहले जमा की गई फीस की रसीद को स्कैन कर अपना फार्म भर सकते हैं।1ऑनलाइन आवेदन 23 अक्टूबर से 23 नवंबर 2015 तक किए जा सकेंगे। इसके बाद कर्मचारी चयन आयोग की वेबसाइट का लिंक उपलब्ध नहीं होगा। कुल पदों में से सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग में सब डिवीजनल क्लर्क के 50 पद, ट्रेसर के 165 पद, सहायक राजस्व क्लर्क के 22 पद, जिलेदार के 23 पद तथा ड्राफ्टसमैन के 165 पद के लिए आवेदन मांगे हैं। विकास एवं पंचायत विभाग में सामाजिक शिक्षा एवं पंचायत अधिकारी के 61, लोकल आडिट विभाग में आडिटर के 30, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में आडिटर के 40, इंस्पेक्टर के 48, सब इंस्पेक्टर के 80 और मैनुअल असिस्टेंट के 7, इंस्पेक्टर लीगल मेट्रोलोजी के 10, भू-अभिलेख विभाग में पटवारी के 579 तथा पशुपालन एवं डेरी विभाग में पशु चिकित्सा पशुधन विकास सहायक के 797 व प्रोग्रेस सहायक के 26 पदों के लिए आवेदन मांगे हैं। कृषि विपणन बोर्ड पंचकूला में सहायक सचिव के 66, मंडी सुपरवाइजर एवं फीस कलेक्टर के 126, लेखाकार (एमसी) के 47, नीलामी रिकार्डर के 269, कृषि विभाग में सांख्यिकीय सहायक के 51, आर्थिक सांख्यिकीय विश्लेषण विभाग में सहायक अनुसंधान अधिकारी/सहायक जिला सांख्यिकीय अधिकारी/सहायक योजना अधिकारी के 8 तथा परिवहन विभाग में स्टेशन सुपरवाइजर के 38 पद भी सीधी भर्ती के लिए विज्ञापित किए हैं। कर्मचारी चयन आयोग ने उम्मीदवारों को सलाह दी है कि वे ऑनलाइन फार्म जमा करने की अंतिम तिथि की प्रतीक्षा किए बिना ऑनलाइन आवेदन करें।
साख पर संकट
प्रदेश के सर्वोच्च चिकित्सा शिक्षा संस्थान में पुरानी गलतियों से सीख लेने की परंपरा विकसित नहीं हो पाई। हाल ही में रोहतक में पीएमटी का पर्चा लीक होने के बाद सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से देश भर में परीक्षा रद हो गई थी। परीक्षा संचालन में खामियों से छीछालेदारी होने के बाद भी पीजीआइएमएस ने सबक नहीं लिया जिसका प्रमाण कुरुक्षेत्र में बीएएमएस प्रथम वर्ष की परीक्षा में स्पष्ट देखने को मिला। प्रश्नपत्र 90 अंकों का था लेकिन उसे 75 का बना कर भेजा गया। परीक्षा ड्यूटी देने वाले अध्यापकों ने बिना चेक किये विद्यार्थियों को बांट दिया, बाद में परीक्षार्थियों ने कॉलेज प्रबंधन से शिकायत की तो आधे घंटे बाद 15 नंबर का प्रश्न बोलकर लिखवाया गया। तमाम घटनाक्रम से साबित हो रहा है कि कितने बड़े पैमाने पर परीक्षा का मजाक बनाया जा रहा है, ऐसे में गोपनीयता की अपेक्षा तो की भी नहीं जा सकती। परीक्षा का सबसे अहम कारक उसकी गोपनीयता होती है, उसी से ही यदि खिलवाड़ किया जाए तो परीक्षा का कोई मतलब नहीं रह जाता। बीएएमएस परीक्षा में विद्यार्थियों का समय खराब होने के साथ एकाग्रता पर भी बेहद प्रतिकूल असर पड़ा, अब यह तय किया जाना चाहिए कि इसकी भरपाई कुरुक्षेत्र का कॉलेज करेगा या स्वास्थ्य विश्वविद्यालय। परीक्षा के मखौल बनने पर संबंधित अधिकारी जो दलील दे रहे हैं, उससे प्रक्रिया और व्यवस्था की और फजीहत होने वाली है। बताया जा रहा है कि एक प्रश्न प्रिंट ही नहीं हुआ जिसे बाद में लिखवाया गया। क्या प्रश्नपत्र बनने के बाद परीक्षा केंद्र पर भेजने से पहले कोई चेक करने वाला ही नहीं था, क्या इस तरह की सतही, तदर्थ और अव्यावहारिक व्यवस्था को थोपने वालों पर सख्त कार्रवाई नहीं होनी चाहिए? इससे पहले कि लीपापोती करके मामला दबाने की कोशिश हो, शीर्ष स्तर पर उचित कार्रवाई करके ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकना सुनिश्चित किया जाना चाहिए। अनेक घटनाओं के कारण उच्च शिक्षण संस्थानों व नियामक इकाइयों के सामने साख का संकट पैदा हो गया है। पीजीआइएमएस को सबसे अधिक सतर्क रहना चाहिए क्योंकि पीएमटी पर्चा लीक होने के बाद उसकी विश्वसनीयता और प्रबंध कुशलता संदेह के घेरे में आ चुकी है। उसे हर स्तर पर दक्ष, प्रतिस्पर्धी और प्रगतिशील रूप में अपने को स्थापित करने के लिए विशेष प्रयास करने चाहिए। यह नहीं भूलना चाहिए कि उसके पास स्वास्थ्य क्षेत्र में आदर्श भविष्य का आधार तैयार करने का अहम दायित्व है, इसलिए वर्तमान को उज्ज्वल, दागरहित रखना उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।
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