एक छात्र पर 28 हजार खर्च, फिर भी रिजल्ट ‘जीरो’
नयी दिल्ली में बुधवार को केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की बैठक में स्मृति इरानी ( बायें) के साथ शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा। हरियाणा के सरकारी स्कूलों में एक विद्यार्थी की पढ़ाई पर 28 हजार रुपये सालाना खर्च किये जा रहे हैं। बावजूद इसके स्कूलों का परिणाम
नहीं सुधर रहा है। प्रदेश सरकार इसे लेकर चिंतित है। खुद शिक्षा मंत्री प्रो़ रामबिलास शर्मा स्कूलों के परिणाम से संतुष्ट नहीं हैं। वे शिक्षा प्रणाली में बदलाव चाहते हैं। उन्होंने कहा कि आठवीं कक्षा तक विद्यार्थियों को फेल नहीं करने का फैसला सही नहीं है। इसे बदला जाना चाहिए।
वे बुधवार को नयी दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की 63वीं बैठक में बोल रहे थे। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति इरानी ने की। शिक्षा मंत्री ने सुझाव दिया कि स्कूलों में समय-सारणी को इस प्रकार बनाया जाए कि बच्चे एक दिन में तीन विषय ही पढ़ें और इसी पर गतिविधियां रखें। उन्होंने कहा कि शिक्षा का व्यापारीकरण रोकने के लिए कदम उठाना जरूरी है। शर्मा ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से ‘नो डिटेशन’ पॉलिसी के कारण शिक्षा के स्तर में गिरावट आई है। चूंकि कक्षा एक से आठ तक के बच्चे को केवल एक स्तर से दूसरे स्तर पर बिना परीक्षा उत्तीर्ण किया जाता है। परीक्षाएं समाप्त करना बच्चे के हित में नहीं क्योंकि पढ़ना और पढ़ाना मनोविज्ञान है। इसे जारी रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि गरीब व अमीर के बच्चों में शिक्षा का जो अंतर है वह समाप्त किया जाना चाहिए, क्योंकि गरीब का बच्चा सरकारी स्कूल में छठी कक्षा में अंग्रेजी की ए, बी सी, डी सीखता है, जबकि अमीर का बच्चा नर्सरी से ही अंग्रेजी सीखने लगता है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा छात्रों के स्कूली बस्तों के वजन को कम करने की जो पहल है उसका हम स्वागत करते हैं। यह काफी बेहतर सुझाव है कि बच्चों में न केवल किताबों का बोझ कम हो, बल्कि उनकी शिक्षा तनाव मुक्त हो। इसके लिए हमें स्कूलों में बच्चों को पुस्तकें स्कूल में ही रखने के लिए ढांचागत सुविधा देने, स्कूल के दौरान ही दोहराई एवं गृह कार्य करवाने पर विचार करें।
www.facebook.com/teacherharyana www.teacherharyana.blogspot.in (Recruitment , vacancy , job , news)
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नहीं सुधर रहा है। प्रदेश सरकार इसे लेकर चिंतित है। खुद शिक्षा मंत्री प्रो़ रामबिलास शर्मा स्कूलों के परिणाम से संतुष्ट नहीं हैं। वे शिक्षा प्रणाली में बदलाव चाहते हैं। उन्होंने कहा कि आठवीं कक्षा तक विद्यार्थियों को फेल नहीं करने का फैसला सही नहीं है। इसे बदला जाना चाहिए।
वे बुधवार को नयी दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की 63वीं बैठक में बोल रहे थे। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति इरानी ने की। शिक्षा मंत्री ने सुझाव दिया कि स्कूलों में समय-सारणी को इस प्रकार बनाया जाए कि बच्चे एक दिन में तीन विषय ही पढ़ें और इसी पर गतिविधियां रखें। उन्होंने कहा कि शिक्षा का व्यापारीकरण रोकने के लिए कदम उठाना जरूरी है। शर्मा ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से ‘नो डिटेशन’ पॉलिसी के कारण शिक्षा के स्तर में गिरावट आई है। चूंकि कक्षा एक से आठ तक के बच्चे को केवल एक स्तर से दूसरे स्तर पर बिना परीक्षा उत्तीर्ण किया जाता है। परीक्षाएं समाप्त करना बच्चे के हित में नहीं क्योंकि पढ़ना और पढ़ाना मनोविज्ञान है। इसे जारी रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि गरीब व अमीर के बच्चों में शिक्षा का जो अंतर है वह समाप्त किया जाना चाहिए, क्योंकि गरीब का बच्चा सरकारी स्कूल में छठी कक्षा में अंग्रेजी की ए, बी सी, डी सीखता है, जबकि अमीर का बच्चा नर्सरी से ही अंग्रेजी सीखने लगता है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा छात्रों के स्कूली बस्तों के वजन को कम करने की जो पहल है उसका हम स्वागत करते हैं। यह काफी बेहतर सुझाव है कि बच्चों में न केवल किताबों का बोझ कम हो, बल्कि उनकी शिक्षा तनाव मुक्त हो। इसके लिए हमें स्कूलों में बच्चों को पुस्तकें स्कूल में ही रखने के लिए ढांचागत सुविधा देने, स्कूल के दौरान ही दोहराई एवं गृह कार्य करवाने पर विचार करें।
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