सरकार ने इसे लेकर लेकर बेहद सख्त फैसला लिया है। अब विभागीय अफसरों को यदि तरक्की चाहिए तो उन्हे दूसरे जिले में जाकर अपनी सेवाएं देनी होगी। हरियाणा शिक्षा विभाग ने प्रोमोशन पॉलिसी के तहत इसफैसले को सख्ती से लागू करवाने के निर्देश दे दिए गए
हैं। हरियाणा शिक्षा विभाग ने इस बाबत सूबे के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को इस बाबत निर्देश भेज दिए गए हैं। जिला शिक्षा अधिकारियों को ये भी निर्देश दिए गए हैं कि उनके जिलों में शिक्षा विभाग का राजपत्रित अफसर यदि तरक्की पाता है, तो उनकी पोस्टिंग दूसरे जिले में होगी और संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी जल्द उन्हे अपने जिले से रीलिव करें।
काउंसलिंग में स्वीकार नहीं होगी होमटाउन की इच्छा
हरियाणा शिक्षा विभाग अपने अंतर्गत राजपत्रित अफसरों को प्रोमोशन देने से पहले उनकी काउंसलिंग करवाती है। जिसमें उनसे ये पूछा जाता है कि वे अपने-अपने स्वेच्छा से उन जिलों का चयन कर सकते हैं, जहां वे तरक्की पाने के बाद काम करना चाहते हैं।
अमूमन तरक्की पाने वाले सभी अफसर इस दौरान अपने होम टाउन में ही रहने की इच्छा जता देते थे। लेकिन अब काउंसलिंग में अफसरों की होमटाउन पाने की इच्छा स्वीकार ही नहीं होगी। उन्हे प्रोमोशन पाने के बाद दूसरे जिले में जाकर ही अपने सेवाएं देनी पड़ेगी।
पहले सिफारिश से पा जाते थे होमटाउन
शिक्षा विभाग में बीईओ, बीईईओ, डिप्टी डीईओ, डीईओ, डीपीसी इत्यादि पदों पर समय-समय पर नियुक्तियां होती रहती है। इन सभी पदों पर काम करने वाले अफसर किसी न किसी जिले में तैनात होकर संबंधित जिला शिक्षा विभाग में अपनी सेवाएं देते हैं।
अभी तक होता यह था कि प्रोमोशन के दौरान काउंसलिंग में ये अफसर होमटाउन पाने की इच्छा करते थे और फिर अप्रूच व जुगाड़ लगाकर अपने-अपने होमटाउन में ही तरक्की पा लेने में कामयाब हो जाते थे।
मगर अब शिक्षा विभाग के आला अफसरों का सोचना है कि ऐसी परिस्थितियों में अच्छे अफसरों की सेवाएं भी केवल एक जिले तक ही सीमित रह जाती थी। वे अपनी अप्रूच और जुगाड़ से सालों होमटाउन में ही काट देते थे। लेकिन शिक्षा विभाग के आला अफसरों ने प्रोमेशन पॉलिसी में ये सख्त निर्देश दे दिए हैं कि जो अफसर प्रोमोशन पाएगा, उसे गृहनगर नहीं दिया जाएगा। ये व्यवस्था अभी सिर्फ राजपत्रित अफसरों के संदर्भ में जारी की गई है, मगर शिक्षा विभाग के सूत्र बताते हैं कि ये व्यवस्था बाद में लिपिकिय स्टाफ पर भी लागू हो सकती है। उधर, जिला शिक्षा अधिकारी धर्मवीर कादियान के अनुसार शिक्षा विभाग उन सभी निर्देशों की पालना करेगा, जो हाईकमान से आएंगे और शिक्षा विभाग की ये पॉलिसी सराहनीय है।
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(Recruitment , vacancy , job , news)हैं। हरियाणा शिक्षा विभाग ने इस बाबत सूबे के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को इस बाबत निर्देश भेज दिए गए हैं। जिला शिक्षा अधिकारियों को ये भी निर्देश दिए गए हैं कि उनके जिलों में शिक्षा विभाग का राजपत्रित अफसर यदि तरक्की पाता है, तो उनकी पोस्टिंग दूसरे जिले में होगी और संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी जल्द उन्हे अपने जिले से रीलिव करें।
काउंसलिंग में स्वीकार नहीं होगी होमटाउन की इच्छा
हरियाणा शिक्षा विभाग अपने अंतर्गत राजपत्रित अफसरों को प्रोमोशन देने से पहले उनकी काउंसलिंग करवाती है। जिसमें उनसे ये पूछा जाता है कि वे अपने-अपने स्वेच्छा से उन जिलों का चयन कर सकते हैं, जहां वे तरक्की पाने के बाद काम करना चाहते हैं।
अमूमन तरक्की पाने वाले सभी अफसर इस दौरान अपने होम टाउन में ही रहने की इच्छा जता देते थे। लेकिन अब काउंसलिंग में अफसरों की होमटाउन पाने की इच्छा स्वीकार ही नहीं होगी। उन्हे प्रोमोशन पाने के बाद दूसरे जिले में जाकर ही अपने सेवाएं देनी पड़ेगी।
पहले सिफारिश से पा जाते थे होमटाउन
शिक्षा विभाग में बीईओ, बीईईओ, डिप्टी डीईओ, डीईओ, डीपीसी इत्यादि पदों पर समय-समय पर नियुक्तियां होती रहती है। इन सभी पदों पर काम करने वाले अफसर किसी न किसी जिले में तैनात होकर संबंधित जिला शिक्षा विभाग में अपनी सेवाएं देते हैं।
अभी तक होता यह था कि प्रोमोशन के दौरान काउंसलिंग में ये अफसर होमटाउन पाने की इच्छा करते थे और फिर अप्रूच व जुगाड़ लगाकर अपने-अपने होमटाउन में ही तरक्की पा लेने में कामयाब हो जाते थे।
मगर अब शिक्षा विभाग के आला अफसरों का सोचना है कि ऐसी परिस्थितियों में अच्छे अफसरों की सेवाएं भी केवल एक जिले तक ही सीमित रह जाती थी। वे अपनी अप्रूच और जुगाड़ से सालों होमटाउन में ही काट देते थे। लेकिन शिक्षा विभाग के आला अफसरों ने प्रोमेशन पॉलिसी में ये सख्त निर्देश दे दिए हैं कि जो अफसर प्रोमोशन पाएगा, उसे गृहनगर नहीं दिया जाएगा। ये व्यवस्था अभी सिर्फ राजपत्रित अफसरों के संदर्भ में जारी की गई है, मगर शिक्षा विभाग के सूत्र बताते हैं कि ये व्यवस्था बाद में लिपिकिय स्टाफ पर भी लागू हो सकती है। उधर, जिला शिक्षा अधिकारी धर्मवीर कादियान के अनुसार शिक्षा विभाग उन सभी निर्देशों की पालना करेगा, जो हाईकमान से आएंगे और शिक्षा विभाग की ये पॉलिसी सराहनीय है।
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