सरकारी शिक्षकों का वेतन प्राइवेट से चार गुणा ज्यादा, मेहनत आधी भी नहीं करते: प्रधानसचिव
सरकारीस्कूलों में विद्यार्थियों को पढ़ाने वाले अध्यापकों का वेतन प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने वाले अध्यापकों से तीन से चार गुणा ज्यादा है। इसके बावजूद सरकारी अध्यापक मेहनत नहीं करना चाहते। जितना वेतन उन्हें दिया जाता है, उसके हिसाब से अध्यापकों को दोगुनी मेहनत करनी चाहिए। इसके ठीक विपरीत वे बस सुबह आते हैं और बार-बार घड़ी में यह देखते रहते हैं कि समय कब पूरा होगा। यह बात हरियाणा शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव टीसी गुप्ता ने कही। प्रधान सचिव की अध्यक्षता में हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड में शुक्रवार को बैठक होगी। गुप्ता गुरुवार को भिवानी पहुंचे थे और राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में छात्राओं का शैक्षिक स्तर जांचने पहुंच गए। उन्होंने छात्राओं का शैक्षिक स्तर जांचने से पहले कक्षा में खड़ी अध्यापिका से ही सवाल पूछने शुरू कर दिए। जिस पर अध्यापिका संतोषजनक जबाव नहीं दे पाई और यही हाल छात्राओं का रहा। इसके बाद टीसी गुप्ता ने छात्राओं को कहा कि आपको डरने की जरूरत नहीं है आप बिना घबराए सवालों का जवाब दे सकते हैं। इस पर छात्राओं का हौसला बंधा और उन्होंने जवाब देने शुरू कर दिए। प्रधान सचिव ने बताया कि सरकारी स्कूल में अध्यापक प्राचार्य कितने लापरवाह है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नूना माजरा के सरकारी स्कूल में जब वो गुरुवार सुबह गए तो बहुत साफ-सफाई थी। दीवारों पर जो पेंटिंग की गई थी, उनमें से एक में हरियाणा का नक्शा बनाया हुआ था और उसमें पलवल जिला ही नहीं था। बच्चे भारत के प्रधानमंत्री का नाम आज भी मनमोहन सिंह राष्ट्रपति का नाम प्रतिभा पाटिल पढ़ रहे हैं। इसके अलावा आज तक स्कूलों में साइंस लैब के लिए मंगवाए गए उपकरण डिब्बों में ही बंद पड़े है। इसके लिए जितने जिम्मेदार प्राचार्य हैं उतने ही डीइओ, डीईईओ और बीईओ भी हैं। उन्होंने बताया कि अबकार्रवाई अधिकारियों पर भी होंगी ताकि अधिकारी अपनी ड्यूटी अच्छी प्रकार निभा सके। राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में निरीक्षण के दौरान छात्राओं से प्रश्न पूछतेशिक्षा विभाग के वित्त आयुक्त एवं प्रधान सचिवटीसी गुप्ता।
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