जागरण संवाददाता, जींद : एनआरएचएम के तहत नवंबर 2011 में हुई भर्ती मामले की जांच करने के आदेश प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज भी स्वास्थ्य महानिदेशक को दो माह पहले दे चुके हैं।
एडीजी ने मामले की जांच भी पूरी कर ली है, लेकिन अब तक जांच रिपोर्ट को सामने नहीं लाया गया है और न ही गड़बड़ करने वाले अधिकारियों के खिलाफ विभाग की तरफ से कोई कार्रवाई की गई है। जांच रिपोर्ट की मांग पीड़ित व शिकायतकर्ता खुद भी मांग चुकी है, लेकिन विभाग की तरफ से अब तक उसे भी जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी है।
शिकायतकर्ता सरोजबाला ने दो माह पहले अंबाला निवास पर स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से मुलाकात कर मामले की जांच करने की मांग की थी। शिकायत के साथ पूरे सबूत भी सौंपे थे। स्वास्थ्य मंत्री ने तत्काल इस मामले की जांच स्वास्थ्य महानिदेशक को सौंप दी थी। महानिदेशक ने आगे एडीजी डॉ. कमला ¨सह को जांच करने के निर्देश दिए। एडीजी डॉ. कमला ¨सह ने 30 सितंबर को जांच के दौरान तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ. वंदना को भी बुलाया था। सुनवाई के बाद जांच अधिकारी ने सीएमओ को पूरे रिकार्ड के साथ तलब किया था। सुनवाई के एक पखवाड़े से अधिक समय बाद भी मामले की जांच रिपोर्ट सामने नहीं आ पाई है।
जबकि शिकायतकर्ता खुद जांच अधिकारियों व विभाग से जांच रिपोर्ट देने की मांग कर चुकी है, परंतु विभाग फिलहाल डीजी कार्यालय में जांच रिपोर्ट भेजने की बात कहते हुए शिकायतकर्ता को जांच रिपोर्ट देने से इंकार कर रहा है।
हाईकोर्ट में पेश हो सकती रिपोर्ट
हाईकोर्ट में शिकायतकर्ता सरोज के मामले में गत 13 अक्टूबर को सुनवाई हुई। इस मामले में हाईकोर्ट ने भी स्वास्थ्य महानिदेशक को जांच के आदेश दिए हैं कि मामला इतना क्यों लटकाया गया। वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य मंत्री के आदेश पर इस पूरे मामले की जांच एडीजी कर चुकी है और रिपोर्ट भी तैयार हो चुकी है। विभागीय सूत्र बताते हैं कि विभाग की तरफ से इस मामले की रिपोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई पर हाईकोर्ट में रखी जा सकती है।
गड़बड़ करने वाले पर हो कार्रवाई
शिकायतकर्ता सरोज बाला ने स्वास्थ्य मंत्री को दी शिकायत में भी मांग की कि इस मामले में भर्ती करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, जिन्होंने पारदर्शिता न रखते हुए नियमों को ताक पर रखकर अपने चहेते उम्मीदवारों को लगाने का काम किया।
यह था पूरा मामलानवंबर 2011 में स्वास्थ्य विभाग में चयन कमेटी ने एमपीएचडब्ल्यू फीमेल पदों पर भर्ती की थी। भर्ती में चयन कमेटी पर पारदर्शिता नहीं बरतने के आरोप लगे थे और आरटीआइ कार्यकर्ता सरोजबाला ने इसकी शिकायत तत्कालीन डीसी से की थी। डीसी ने इस मामले की जांच एडीसी को सौंप दी थी। एडीसी ने इस मामले में सभी पक्षों को लेकर जांच की और जून 2012 में अपनी जांच रिपोर्ट को तत्कालीन डीसी को सौंप दिया था। एडीसी द्वारा दी गई जांच रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि चयन कमेटी व नियोक्ता अधिकारियों ने इस पूरी भर्ती में पारदर्शिता नहीं बरती।www.facebook.com/teacherharyana www.teacherharyana.blogspot.in (Recruitment , vacancy , job , news)
एडीजी ने मामले की जांच भी पूरी कर ली है, लेकिन अब तक जांच रिपोर्ट को सामने नहीं लाया गया है और न ही गड़बड़ करने वाले अधिकारियों के खिलाफ विभाग की तरफ से कोई कार्रवाई की गई है। जांच रिपोर्ट की मांग पीड़ित व शिकायतकर्ता खुद भी मांग चुकी है, लेकिन विभाग की तरफ से अब तक उसे भी जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी है।
शिकायतकर्ता सरोजबाला ने दो माह पहले अंबाला निवास पर स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से मुलाकात कर मामले की जांच करने की मांग की थी। शिकायत के साथ पूरे सबूत भी सौंपे थे। स्वास्थ्य मंत्री ने तत्काल इस मामले की जांच स्वास्थ्य महानिदेशक को सौंप दी थी। महानिदेशक ने आगे एडीजी डॉ. कमला ¨सह को जांच करने के निर्देश दिए। एडीजी डॉ. कमला ¨सह ने 30 सितंबर को जांच के दौरान तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ. वंदना को भी बुलाया था। सुनवाई के बाद जांच अधिकारी ने सीएमओ को पूरे रिकार्ड के साथ तलब किया था। सुनवाई के एक पखवाड़े से अधिक समय बाद भी मामले की जांच रिपोर्ट सामने नहीं आ पाई है।
जबकि शिकायतकर्ता खुद जांच अधिकारियों व विभाग से जांच रिपोर्ट देने की मांग कर चुकी है, परंतु विभाग फिलहाल डीजी कार्यालय में जांच रिपोर्ट भेजने की बात कहते हुए शिकायतकर्ता को जांच रिपोर्ट देने से इंकार कर रहा है।
हाईकोर्ट में पेश हो सकती रिपोर्ट
हाईकोर्ट में शिकायतकर्ता सरोज के मामले में गत 13 अक्टूबर को सुनवाई हुई। इस मामले में हाईकोर्ट ने भी स्वास्थ्य महानिदेशक को जांच के आदेश दिए हैं कि मामला इतना क्यों लटकाया गया। वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य मंत्री के आदेश पर इस पूरे मामले की जांच एडीजी कर चुकी है और रिपोर्ट भी तैयार हो चुकी है। विभागीय सूत्र बताते हैं कि विभाग की तरफ से इस मामले की रिपोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई पर हाईकोर्ट में रखी जा सकती है।
गड़बड़ करने वाले पर हो कार्रवाई
शिकायतकर्ता सरोज बाला ने स्वास्थ्य मंत्री को दी शिकायत में भी मांग की कि इस मामले में भर्ती करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, जिन्होंने पारदर्शिता न रखते हुए नियमों को ताक पर रखकर अपने चहेते उम्मीदवारों को लगाने का काम किया।
यह था पूरा मामलानवंबर 2011 में स्वास्थ्य विभाग में चयन कमेटी ने एमपीएचडब्ल्यू फीमेल पदों पर भर्ती की थी। भर्ती में चयन कमेटी पर पारदर्शिता नहीं बरतने के आरोप लगे थे और आरटीआइ कार्यकर्ता सरोजबाला ने इसकी शिकायत तत्कालीन डीसी से की थी। डीसी ने इस मामले की जांच एडीसी को सौंप दी थी। एडीसी ने इस मामले में सभी पक्षों को लेकर जांच की और जून 2012 में अपनी जांच रिपोर्ट को तत्कालीन डीसी को सौंप दिया था। एडीसी द्वारा दी गई जांच रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि चयन कमेटी व नियोक्ता अधिकारियों ने इस पूरी भर्ती में पारदर्शिता नहीं बरती।www.facebook.com/teacherharyana www.teacherharyana.blogspot.in (Recruitment , vacancy , job , news)
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