संस्कारों का पाठ पढ़ाने वाले स्कूल ही कर रहे फर्जीवाड़ा!
संजीव गुप्ता, कैथल -इसे शिक्षा विभाग की अनदेखी कहें या विडंबना.. बच्चों को संस्कारों का पाठ पढ़ाने वाले स्कूल भी फर्जीवाड़ा करने में पीछे नहीं हैं। आलम यह है कि प्रदेश के हजारों निजी स्कूलों की हरियाणा शिक्षा बोर्ड एवं सीबीएसई से मान्यता का आधार तक फर्जी है। इन स्कूलों ने कागजी फर्जीवाड़ा कर उक्त बोर्डो से मान्यता तो ले ली मगर जिन मानकों के आधार पर मान्यता मिलती है, इनके यहां उनका नामोनिशान तक नहीं है। हैरानी की बात यह कि शिक्षा विभाग के अधिकारी नियमों को नया और स्कूलों को पुराना बताकर मानकों पर ही प्रश्नचिह्न लगा रहे हैं।
गौरतलब है कि बच्चों का सर्वागीण विकास करने की अनिवार्यता को ध्यान में रखते हुए निजी स्कूलों को मान्यता के लिए हरियाणा शिक्षा बोर्ड भिवानी और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड दिल्ली (सीबीएसई) के कुछ मानकों को पूरा करना पड़ता है। इनके तहत हर स्कूल में पुस्तकालय, प्रयोगशाला और खेल का मैदान होना तो अनिवार्य है ही, कक्षाओं, सीढि़यों व शौचालय सहित और भी विभिन्न शर्तो को पूरा करना होता है। लेकिन हरियाणा में ऐसे स्कूलों की संख्या हजारों में है जहां इनमें से आधी शर्ते भी पूरी नहीं होती।
अकेले कैथल जिले में ही कुल 209 निजी स्कूल हैं। इनमें से 178 स्कूल हरियाणा शिक्षा बोर्ड और 31 स्कूल सीबीएसई से मान्यता प्राप्त हैं। हैरानी की बात यह कि इनमें से दर्जनों स्कूल ऐसे हैं जहां न तो खेल का मैदान है न लाइब्रेरी और न ही प्रयोगशाला। कई जगह तो निजी स्कूल निहायत ही छोटे भवनों में चल रहे हैं। इनमें कमरे छोटे छोटे हैं तो सीढि़यां भी बहुत ही छोटी। मेडिकल सुविधा भी ज्यादातर स्कूलों में नहीं है। विडंबना यह कि ऐसे निजी स्कूलों पर कार्रवाई करने में सक्षम शिक्षा विभाग के अधिकारी मूकदर्शक बने बैठे हैं तो निजी स्कूल बोर्डो की मान्यता के नाम पर अभिभावकों की आंखों में खुलेआम धूल झोंक रहे हैं।
बॉक्स-1
मान्यता प्राप्त करने के प्रमुख नियम
1. स्कूल में अनिवार्य रूप से खेल का मैदान होना चाहिए।
2. स्कूल में 30 बाई 20 फीट की प्रयोगशाला होनी अनिवार्य है।
3. प्राइमरी स्कूल के पास कम से कम आधा एकड़, सेकेंडरी स्कूल के पास एक एकड़ और सीनियर सेकेंडरी स्कूल के पास दो एकड़ जमीन होनी चाहिए।
4. मिडिल स्कूल में कम से कम दो हजार, सेकेंडरी स्कूल में तीन हजार व सीनियर सेकेंडरी स्कूल में चार हजार किताबों वाला पुस्तकालय होना चाहिए।
5. स्कूल में छह फीट ऊंची बाउंड्री होनी चाहिए।
6. एक मंजिला स्कूल में आठ फीट चौड़ा जबकि दो मंजिला स्कूल में दस फीट चौड़ा बरामदा होना चाहिए।
7. सीढि़यां छह फीट चौड़ी होनी चाहिए तथा उनमें रैंप भी साथ होना चाहिए।
8. कक्षा के कमरे का माप 18 बाई 24 का होना चाहिए।
9. हर कक्षा में दो दरवाजे लगे होने चाहिए।
10. स्कूल में लड़के और लड़कियों के लिए अलग- अलग शौचालय की व्यवस्था होनी चाहिए।
बॉक्स-2
स्कूल पुराने हैं जबकि नियम नएजिला शिक्षा अधिकारी डा. अशोक कुमार कहते हैं कि जो स्कूल मानकों को पूरा नहीं कर रहे, दरअसल काफी साल पुराने हैं। जबकि उक्त मानक कुछ वर्ष पूर्व ही बनाए और लागू किए गए हैं। ऐसे में पुराने स्कूलों के मामले में यह मानक लागू नहीं होते। दूसरी तरफ इन मानकों के बनने के पश्चात जो भी नए स्कूल खुले हैं, उन सभी को मान्यता देने से पहले यह ध्यान रखा गया है कि वे सभी मानकों को पूरा करते हैं या नहीं।www.facebook.com/teacherharyana www.teacherharyana.blogspot.in (Recruitment , vacancy , job , news)
संजीव गुप्ता, कैथल -इसे शिक्षा विभाग की अनदेखी कहें या विडंबना.. बच्चों को संस्कारों का पाठ पढ़ाने वाले स्कूल भी फर्जीवाड़ा करने में पीछे नहीं हैं। आलम यह है कि प्रदेश के हजारों निजी स्कूलों की हरियाणा शिक्षा बोर्ड एवं सीबीएसई से मान्यता का आधार तक फर्जी है। इन स्कूलों ने कागजी फर्जीवाड़ा कर उक्त बोर्डो से मान्यता तो ले ली मगर जिन मानकों के आधार पर मान्यता मिलती है, इनके यहां उनका नामोनिशान तक नहीं है। हैरानी की बात यह कि शिक्षा विभाग के अधिकारी नियमों को नया और स्कूलों को पुराना बताकर मानकों पर ही प्रश्नचिह्न लगा रहे हैं।
गौरतलब है कि बच्चों का सर्वागीण विकास करने की अनिवार्यता को ध्यान में रखते हुए निजी स्कूलों को मान्यता के लिए हरियाणा शिक्षा बोर्ड भिवानी और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड दिल्ली (सीबीएसई) के कुछ मानकों को पूरा करना पड़ता है। इनके तहत हर स्कूल में पुस्तकालय, प्रयोगशाला और खेल का मैदान होना तो अनिवार्य है ही, कक्षाओं, सीढि़यों व शौचालय सहित और भी विभिन्न शर्तो को पूरा करना होता है। लेकिन हरियाणा में ऐसे स्कूलों की संख्या हजारों में है जहां इनमें से आधी शर्ते भी पूरी नहीं होती।
अकेले कैथल जिले में ही कुल 209 निजी स्कूल हैं। इनमें से 178 स्कूल हरियाणा शिक्षा बोर्ड और 31 स्कूल सीबीएसई से मान्यता प्राप्त हैं। हैरानी की बात यह कि इनमें से दर्जनों स्कूल ऐसे हैं जहां न तो खेल का मैदान है न लाइब्रेरी और न ही प्रयोगशाला। कई जगह तो निजी स्कूल निहायत ही छोटे भवनों में चल रहे हैं। इनमें कमरे छोटे छोटे हैं तो सीढि़यां भी बहुत ही छोटी। मेडिकल सुविधा भी ज्यादातर स्कूलों में नहीं है। विडंबना यह कि ऐसे निजी स्कूलों पर कार्रवाई करने में सक्षम शिक्षा विभाग के अधिकारी मूकदर्शक बने बैठे हैं तो निजी स्कूल बोर्डो की मान्यता के नाम पर अभिभावकों की आंखों में खुलेआम धूल झोंक रहे हैं।
बॉक्स-1
मान्यता प्राप्त करने के प्रमुख नियम
1. स्कूल में अनिवार्य रूप से खेल का मैदान होना चाहिए।
2. स्कूल में 30 बाई 20 फीट की प्रयोगशाला होनी अनिवार्य है।
3. प्राइमरी स्कूल के पास कम से कम आधा एकड़, सेकेंडरी स्कूल के पास एक एकड़ और सीनियर सेकेंडरी स्कूल के पास दो एकड़ जमीन होनी चाहिए।
4. मिडिल स्कूल में कम से कम दो हजार, सेकेंडरी स्कूल में तीन हजार व सीनियर सेकेंडरी स्कूल में चार हजार किताबों वाला पुस्तकालय होना चाहिए।
5. स्कूल में छह फीट ऊंची बाउंड्री होनी चाहिए।
6. एक मंजिला स्कूल में आठ फीट चौड़ा जबकि दो मंजिला स्कूल में दस फीट चौड़ा बरामदा होना चाहिए।
7. सीढि़यां छह फीट चौड़ी होनी चाहिए तथा उनमें रैंप भी साथ होना चाहिए।
8. कक्षा के कमरे का माप 18 बाई 24 का होना चाहिए।
9. हर कक्षा में दो दरवाजे लगे होने चाहिए।
10. स्कूल में लड़के और लड़कियों के लिए अलग- अलग शौचालय की व्यवस्था होनी चाहिए।
बॉक्स-2
स्कूल पुराने हैं जबकि नियम नएजिला शिक्षा अधिकारी डा. अशोक कुमार कहते हैं कि जो स्कूल मानकों को पूरा नहीं कर रहे, दरअसल काफी साल पुराने हैं। जबकि उक्त मानक कुछ वर्ष पूर्व ही बनाए और लागू किए गए हैं। ऐसे में पुराने स्कूलों के मामले में यह मानक लागू नहीं होते। दूसरी तरफ इन मानकों के बनने के पश्चात जो भी नए स्कूल खुले हैं, उन सभी को मान्यता देने से पहले यह ध्यान रखा गया है कि वे सभी मानकों को पूरा करते हैं या नहीं।www.facebook.com/teacherharyana www.teacherharyana.blogspot.in (Recruitment , vacancy , job , news)
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