करनाल। कर्मचारी संगठन अब खुल कर सरकार से टकराने को तैयार हो गए हैं। बुधवार को सीएम सिटी में सर्व कर्मचारी संघ की चेतावनी रैली में साफ कर दिया कि जब तक भाजपा अपने घोषणा पत्र के कर्मचारियों से जुड़े वादे पूरा नहीं करती,
डेढ़ एकड़ में बने पंडाल में मंच से कर्मचारियों नेताओं ने कहा-‘कर्मचारियों की अनदेखी करने पर हुड्डा सरकार की हैट्रिक रोक दी, यह हाल रहा तो खट्टर सरकार को भी धकेल देंगे।’ 108 यूनियनों के नेताओं ने भाजपा के घोषणा पत्र में किए गए वादों को पूरा न होने पर नाराजगी जताई। बोले-‘भाजपा ने घोषण पत्र में जो वादे किए, वह अपनी मर्जी से किए थे।’ रैली से पहले इंद्री के एसडीएम सीएम की तरफ से 10 दिसंबर की बातचीत का न्यौता लेकर पहुंचे। कर्मचारी नेताओं ने लिखित में पत्र मांगा। एसडीएम ने मना किया तो कर्मचारियों ने भी रैली को जारी रखा।
लारा लप्पा नहीं चाहिए, मांगें पूरी हों : फौगाट
राज्य अध्यक्ष धर्मवीर फौगाट ने कहा कि भाजपा ने चुनावी घोषणा पत्र कई मांगे मानने का वादा किया था। राज में बैठते ही सरकार की भाषा बदल गई है। सीएम बात करने का समय नहीं देते। हमें सरकार का लारा-लप्पा नहीं चाहिए।
सभी संगठनों को एक मंच पर लाने की तैयारी
8दिसंबर को ब्लॉक व जिला स्तर पर प्रदर्शन करेंगे।
5जनवरी को 7वें वेतन आयोग में 30 % वेतन बढ़ौतरी काे लेकर डीसी कार्यालयों पर प्रदर्शन।
7फरवरी को विधायकों के आवासों पर प्रदर्शन।
8फरवरी को वादा खिलाफी के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान।
कर्मचारियों को गुस्सा क्यों आया
संघ की यह रैली तो पूर्व घोषित थी। चार दिन पहले सरकार के चीफ सेक्रेटरी की तरफ से सभी विभाग प्रमुख को पत्र जारी करते हुए सामूहिक अवकाश, हड़ताल व धरना-प्रदर्शन पर रोक लगाने की बात कही। जिससे कर्मचारियों का गुस्सा और बढ़ गया।
प्रमुख मांगें : पक्के हों कर्मी, 30% बढ़े वेतन
> कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया जाए, वेतन कटौती, छंटनी बंद हो।
> श्रम कानूनों को लागू किया जाए
> रेगुलर कर्मचारियों के 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को हरियाणा के संदर्भ में करते हुए 30 प्रतिशत वेतन बढ़ोतरी की जाए
> आशा वर्कर, आंगनबाड़ी, मिड डे मील, एजुसेट व ग्रामीण चौकीदारों को कर्मियों को न्यूनतम वेतन दिया जाए।
कर्मचारियों ने उठाई ये प्रमुख मांगें
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू करना सुनिश्चित किया जाए। सभी विभागों के कर्मचारियों की छठे वेतन आयोग की विसंगतियां 30 नवंबर, 2015 से पहले दूर करना सुनिश्चित किया जाए। नौकरी से हटाए गए सभी कर्मचारियों को वापस लिया जाए। 2 वर्ष की सेवा पूरी कर चुके पार्ट टाइम, डेली वेजिज, अनुबंध, तदर्थ, टर्म अपाइंटी, मैस वर्कर, डीसी रेट, ग्रामीण सफाई कर्मचारी व केंद्रीय परियोजनाओं में कार्यरत वर्करों को बिना शर्त नियमित किया जाए। समान काम-समान वेतन के सिद्धांत को लागू किया जाए। यह वेतनमान और भत्ते किसी भी दृष्टि से पंजाब के वेतनमान-भत्तों से कम न हों। राज्य कर्मचारियों को वास्तविक खर्च पर आधारित कैशलेस मेडिकल सुविधा प्रदान की जाए। खाली पड़े पदों को नियमित भर्ती से भरा जाए, आरक्षित श्रेणियों के बैकलॉग को विशेष भर्ती द्वारा तुरंत प्रभाव से भरा जाए। जिन कर्मचारियों की ग्रेड-पे संशोधित की गई है, उसके एसीपी ग्रेड भी संशोधित किए जाएं। तकनीकी स्केल वापस लेने के अधिनियम को वापिस लिया जाए और तकनीकी पदों पर काम करने वाले सभी कर्मचारियों को तकनीकी पद का वेतनमान दिया जाए। जनवरी, 2006 के बाद भर्ती हुए कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम के तहत पेंशन दी जाए। चाइल्ड केयर लीव के लिए अर्जित अवकाश की शर्त हटाई जाए। सभी सरकारी विभागों व संस्थाओं में यौन-उत्पीड़न विरोधी कमेटियों का गठन किया जाए। अनियमित महिला कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों की तरह मातृत्व, मेडिकल, अर्जित, आकस्मिक अवकाश व पेंशन सुविधा दी जाए। आंगनबाड़ी, मिड-डे मील, आशा वर्कर, ग्रामीण चौकीदार, एजूसेट चौकीदार सहित सभी को कर्मचारी का दर्जा देते हुए नियमित किया जाए। रोडवेज के रूट परमिट व बिजली वितरण निगमों की सब-डिविजनों के कार्य को निजी हाथों में देने सहित जनसेवा के सभी विभागों में लागू की जा रही निजीकरण, आउटसोर्सिग व ठेका प्रथा की नीतियां वापिस ली जाएं। ईपीएफ, ईएसआइ, ग्रेच्यूटी, बोनस, साप्ताहिक अवकाश सहित सभी श्रम कानूनों की कड़ाई से पालना करवाई जाए। जोखिमपूर्ण कार्य करने वाले कर्मचारियों को जोखिम भत्ता दिया जाए।
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