आदिवासी भाषा एवं साहित्य अध्ययन केंद्र भी होगा शुरू सेंटर ऑफ इन डेंजर लैंग्वेज की भी है योजना
योग एवं संस्कृति पर पेश कोर्सो पर नहीं हुआ फैसला 15
पहल:
भारतीय भाषाओं में एमफिल के साथ शोध को मिलेगा बढ़ावा
शैलेन्द्र सिंह, नई दिल्ली 1जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ
लैंग्वेज, लिटरेचर एंड कल्चरल स्टडीज की तरह अब जल्द ही स्कूल ऑफ इंडियन लैंग्वेज की शुरुआत भी होने जा रही है। इस बाबत विद्वत परिषद् में आए प्रस्ताव को सुझाव के लिए सभी स्कूलों व केंद्रों को भेजा गया है। संभव है कि अगली बैठक में इसे मंजूरी दे दी जाए।1जेएनयू कुलपति प्रो. सुधीर सोपोरी के अनुसार, इस स्कूल की शुरुआत होने पर न सिर्फ हिन्दी, तमिल, उर्दू, कन्नड, मराठी, असमी, बांग्ला व उड़िया भाषा केंद्रों की शुरुआत का मार्ग प्रशस्त होगा बल्कि हमारी कोशिश है कि इस स्कूल में आदिवासी भाषा एवं साहित्य अध्ययन केंद्र व सेंटर ऑफ इन डेंजर लैग्वेज भी शुरू किया जाए। उन्होंने बताया कि भारतीय भाषा केंद्र व संस्कृत अध्ययन केंद्र की ओर से इन्हें स्कूल में तब्दील करने का प्रस्ताव आया है और इस प्रस्ताव को लेकर बीते दिनों हुई विद्वत परिषद की बैठक में चर्चा भी हुई। उन्होंने बताया कि भारतीय भाषा केंद्र की ओर से पेश प्रस्ताव को नियमों के अनुसार सभी केंद्रों व स्कूलों की राय के लिए भेज दिया गया है। ठसके आधार पर अगली बैठक में इस विषय पर निर्णय लिया जाएगा। प्रो. सोपोरी ने बताया कि इस विषय में उन्हें यकीन है कि नतीजा सकारात्मक रहेगा। जबकि संस्कृत अध्ययन केंद्र को स्कूल बनाए जाने के विषय को लेकर अभी भी विद्वत परिषद् के सदस्य एकमत नहीं है।1भारतीय भाषा केंद्र के अध्यक्ष प्रो.अनवर आलम पाशा ने बताया कि केंद्र की ओर से पेश प्रस्ताव को लेकर विद्वत परिषद् में चर्चा के बाद अब इसे स्कूलों व सेंटरों की राय के लिए भेज दिया गया है। उन्होंने कहा कि हमें पूरी उम्मीद है कि अगली बैठक में इसे विषय को हरी झंडी दिखा दी जाएगी। प्रो. अनवर ने बताया कि इस स्कूल के बनने से भारतीय भाषाओं के अध्ययन के मोर्चे पर विद्यार्थियों को और बेहतर विकल्प उपलब्ध होंगे। उन्होंने कहा कि खासतौर पर हमारी कोशिश होगी कि आदिवासी भाषा एवं साहित्य अध्ययन केंद्र व सेंटर ऑफ इन डेंजर लैंग्वेज की शुरुआत हो ताकि खत्म होती आदिवासी भाषाओं व साहित्य को न सिर्फ बचाया जाएं बल्कि उन्हें सहेजा भी जाए।
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