सभी विभागों के मुखियाओं से दंगों पर काबू पाने के लिए किए प्रयासों के मांगे सबूत

आयोग ने सभी विभागों के मुखियाओं से दंगों पर काबू पाने के लिए किए प्रयासों के मांगे सबूत

स्पेशल ड्यूटी के लिए 14 पुलिसकर्मी रोहतक भेजे
इन सवालों के 15 मार्च तक भेजने होंगे जवाब
उपद्रव में अफसरों की भूिमका | सच्चाई जानने के लिए प्रकाश आयोग ने पूछे 20 सवाल
आयोग को आमजन भी भेज सकते हैं सबूत
अधिकारियोंया कर्मचारियों की भूमिका को लेकर कोई भी व्यक्ति जांच आयोग को सूचना दे सकता है। घटना से संबंधित वीडियो prakashsingh.video.com2016@gmail.com पर भेज सकते हैं। फोटो अन्य सामग्री prakashsingh.doc.com2016@gmail.com पर दें। मोबाइल नंबर 9878982023 पर घटना से संबंधित सामग्री भेजी जा सकती है।
परीक्षित निर्भय | रोहतक
प्रदेशमें हुए दंगों की सच्चाई जानने के लिए प्रकाश आयोग द्वारा 20 सवालों का चक्रव्यूह तैयार किया गया है। एक-एक सवाल ऐसे नाप-तोल कर पूछा गया है कि वह अधिकारियों को किसी घेरे से कम महसूस नहीं हो रहा। जवाब के साथ लिखित सबूत मांगे हैं। अधिकारी जवाब देने के लिए गहन मंथन में जुटे हैं।
पुलिस प्रशासन जैसे दंगों से सीधे जुड़े विभागों के साथ-साथ स्वास्थ्य शिक्षा जैसे विभागों के मुखियाओं से भी जानकारी ली जा रही है। दंगों से पहले उस दौरान के बारे में कानून प्रशासनिक व्यवस्था को लेकर सवाल पूछे जाने हैं। अगर विभाग को कोई रोल है तो उनके प्रयासों का भी ब्योरा देना है। जवाब देने के लिए अधिकारियों के पास अब एक सप्ताह ही बचा है। इन सभी विभागों से फीडबैक लेने के बाद ही पूरी रिपोर्ट तैयार की जाएगी। प्रकाश आयोग लगभग 40 दिन में अपनी रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंप देगा। इससे पहले प्रकाश आयोग एक बार फिर रोहतक आकर जांच करेगा। अधिकतर सवाल ऐसे बनाए हैं कि उसका जवाब देने पर या तो उसमें अधिकारी पर कार्रवाई होगी या फिर उसके आदेश की पालना नहीं करने वाले कर्मचारी पर। ऐसे में हर विभाग का मुखिया मैनेजमेंट के फार्मूले लगाकर जवाब तैयार कर रहा है। वहीं, अधिकतर जवाबों के साथ सबूत अटैच करने को कहा है। इन सवालों के जवाब 15 तक देने हैं। प्रदेश सरकार को आयोग 40 दिन में जांच कर अपनी रिपोर्ट पेश करेगा।
1. नाम, रैंक, 7 से 22 फरवरी के बीच तैनाती का पदनाम और स्थान।
2. आपकी जिम्मेदारी के क्षेत्र में घटित घटनाओं का क्रमवार विवरण।
3. आपको किस दिन यह महसूस हुआ कि घटनाक्रम कानून और व्यवस्था के लिए एक चुनौती बनने जा रहा है?
4. उस समय कानून व्यवस्था की स्थिति क्या थी?
5. कानून और व्यवस्था के लिए जिम्मेदार अधिकारी होने के नाते आपने क्या तैयारियां की?
6. क्या अापने स्थानीय समुदाय, ग्राम पंचायत, जिम्मेदार नागरिकों से, घटनाक्रम से पहले, दौरान और बाद में, सहायता/सहयोग लेने के प्रयास किए थे? यदि हां तो तिथिवार विवरण दें?
7. परिस्थितियों से निपटने के लिए आपकी क्या कार्ययोजना थी?
8. आपने अधीनस्थ अधिकारियों को क्या-क्या मौखिक लिखित आदेश जारी किए थे? लिखित आदेशों की प्रति सलंग्न करें।
9. आदेशों का उपद्रवियों पर क्या प्रभाव पड़ा?
10. क्या आपके आदेशों की सत्यनिष्ठा के साथ पालना हुई थी? यदि नहीं, तो क्यों? इसके पीछे कारण स्पष्ट कीजिए।
11. जिन अधीनस्थों ने आपके आदेशों की पालना में कोताही की, उनकी पहचान के रूप में नाम, रैंक और नियुक्ति का स्थान बताएं?
12. क्या बल प्रयोग किया अथवा नहीं, क्या बल प्रयोग समुचित था अथवा नहीं? अगर कोई बल प्रयोग नहीं किया तो उसके पीछे क्या कारण थे?
13. क्या आपने कोताही बरतने के आरोप पर अपने किसी अधीनस्थ के विरुद्ध कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई उसकी संस्तुति उच्च अधिकारियों को की? यदि हां तो विवरण दें?
14. क्या आपको अपने उच्च अधिकारियों से किसी प्रकार के कोई लिखित या मौखिक आदेश/निर्देश/हिदायतें प्राप्त हुई? यदि हां तो उनकी प्रतिलिपि सलंग्न करें?
15. क्या उपरोक्त आदेश आपके मददगार साबित हुए या उनके कारण आपको कर्त्तव्य निर्वहन में कोई बाधा आई?
16. अापके कर्त्तव्य निर्वहन के मार्ग में कौन-कौन सी बाधाएं सामने आईं?
17. क्या आपको मजिस्ट्रेट/पुलिस से वांछित सहयोग प्राप्त हुआ? यदि नहीं तो विवरण दें।
18. सेना के साथ सहयोग और उनके योगदान पर टिप्पणी यदि कोई हो।
19. क्या आप समझते हैं कि आपने अपनी िम्मेदारियों को हरियाणा पुलिस नियम/विषय से संबंधित सरकारी आदेशों के अनुरूप निर्वहन किया?
20. अन्य कोई भी बिंदु, जिसका आप उल्लेख करना चाहते हैं।
आयोग मामले की जांच कर 40 दिन में प्रदेश सरकार को सौंपेगा अपनी रिपोर्ट
रोहतक में सबसे ज्यादा उपद्रव क्यों हुआ, जांच को किए अस्थाई तबादले
भिवानी | जाटआरक्षण आंदोलन के दौरान आखिर रोहतक में ही सबसे ज्यादा उपद्रव क्यों हुआ। इसके पीछे किन-किन ताकतों का हाथ था। इस मामले की जमीनी स्तर पर जांच के लिए पुलिस ने जमीनी स्तर के पुलिसकर्मियों को नियुक्त करना शुरू कर दिया है। इसके लिए लॉ एंड आर्डर के डीजीपी मोहम्मद अकील ने प्रदेश के 14 पुलिसकर्मियों के अस्थायी तबादले के आदेश रोहतक किए हैं। ये पुलिसकर्मी बुधवार को ही रोहतक एसपी कार्यालय में अपनी हाजिरी दर्ज कराएंगे। जाट आरक्षण आंदोलन के नाम पर प्रदेश में रोहतक ऐसा जिला था, जिसमें सबसे ज्यादा फसाद हुआ। आखिर रोहतक में ही ऐसा क्यों हुआ इस बात को लेकर प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारियों ने अपने अपने स्तर पर जांच शुरू कर दी है। इसी कड़ी में पुलिस ने अपने 14 पुलिसकर्मियों को विभिन्न जिलों से अस्थाई तौर पर रोहतक भेजा है। एडीजीपी की ओर से जारी आदेशों के अनुसार करनाल में नियुक्त इंस्पेक्टर प्रतीक कुमार, रोहतक क्राइम ब्रांच में नियुक्त एसआई सुमित कुमार, भिवानी में नियुक्त एसआई बलराज सिंह, हिसार में नियुक्त एएसआई संजय, हिसार में ही नियुक्त एएसआई विरेंद्र, सिरसा में नियुक्त एएसआई प्रेम कुमार, सिरसा में ही नियुक्त हवलदार सुखदेव, इसी जिले में नियुक्त हवलदार बजरंग, करनाल में नियुक्त हवलदार संदीप, करनाल में नियुक्त सिपाही संजीत, इसी जिले में नियुक्त सिपाही रामबीर, जींद में नियुक्त सिपाही ललित, हिसार में नियुक्त सिपाही विरेंद्र और पलवल में नियुक्त सिपाही नवीन को तत्काल रोहतक एसपी को रिपोर्ट करने के आदेश जारी किए हैं। इन पुलिसकर्मियों के अस्थाई तबादलों का कारण यह बताया जा रहा है कि इनके सहारे पुलिस रोहतक में हुए उपद्रव की जमीनी स्तर पर जांच कर सकेंगे। इसके अलावा ये अपनी हर तरह की जांच रिपोर्ट रोहतक के एसपी को देंगे ।www.facebook.com/teacherharyana www.teacherharyana.blogspot.in Haryana news (Recruitment , vacancy , job , news)

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