इसको बनाने में एक ख़ास प्रकार के रेडियो एक्टिव इंक का प्रयोग किया गया है । बता दें कि रेडियोएक्टिव स्याही का प्रयोग विकसित देशो में पहले से हो रहा है ये बतोर इंडीकेटर किया जाता रहा है । जानकारी के लिए बता दें कि P32 फास्फोरस से बनी रेडियोएक्टिव स्याही एक आईसोटोप है जिसके नाभिक में 15 प्रोटोन और 17 न्यूट्रॉन होते है और यह रेडियोएक्टिव स्याही में बहुत ही कम मात्रा में प्रयोग किया जाता है ।
ग़ौरतलब हो कि कम मात्रा का मतलब है यह रेडियोएक्टिव स्याही में केवल एक वार्निंग टेप की तरह प्रयोग होता है जिससे सरकार को ये फ़ायदा होता है कि ये एक ही जगह पर लिमिट से अधिक मोज़ुद होने पर इंडीकेटर के तोर पर नोटों की मोज़ूदगी को सूचित कर देता है । इसी वजह से ज़्यादा माल ( नए नोट ) रखने वाले फटाफट पकड़े जा रहे हैं । हालाँकि ये जानकारी अभी आधिकारिक रूप से प्रमाणित नहीं है । from-hindutva.info/raaj-aaya-samne/
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