रिजल्ट से तय होगी टीचरों की एसीआर, प्रमोशन इंक्रीमेंट
राजधानी हरियाणा : प्रदेश में सरकारी स्कूलों के टीचरों की एनुअल परफॉरमेंस अप्रेजल रिपोर्ट (एपीएआर) को अब स्कूली रिजल्ट से जोड़ने की तैयारी है। इसके तहत टीचरों की जिम्मेदारी तय की जाएगी कि उन्हें बेसिक मिनिमम यानी न्यूनतम सीमा तक तो रिजल्ट देना ही होगा। उससे ऊपर का रिजल्ट ही उनकी प्रमोशन, इंक्रीमेंट, अवार्ड और ट्रांसफर-पोस्टिंग तय करेगा। अगले शैक्षणिक सत्र से यह व्यवस्था लागू होने की संभावना है। अभी राज्य का शिक्षा विभाग इस योजना की व्यवहारिकता और अन्य पहलुओं पर काम कर रहा है।
बोर्ड की विभिन्न शैक्षणिक सत्र 2013-14 के दौरान परीक्षाओं का रिजल्ट 28 से 33 प्रतिशत तक ही सिमट गया था। इसके बाद से स्कूल एजुकेशन पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। हाल ही जब भाजपा सरकार ने स्कूलों में गीता पाठ्यक्रम पढ़ाने का फैसला किया था, तब भी इस पर विपक्ष की ओर से काफी सवाल उठाए गए थे। अब राज्य सरकार स्कूली शिक्षा के स्तर में सुधार लाने के प्रयासों में जुटी है। विभागीय सूत्रों ने बताया कि पिछले सप्ताह ही विधानसभा की पब्लिक अकाउंट्स कमेटी (पीएसी) में भी स्कूली शिक्षा के स्तर का मामला उठा था। पंचकूला विधायक ज्ञानचंद गुप्ता की अध्यक्षता वाली पीएसी ने भी स्कूल शिक्षा विभाग को यह सुझाव दिया था कि टीचरों की पीएआर को रिजल्ट के साथ जोड़ा जाना चाहिए। इसके तहत टीचरों की कहीं कहीं बेसिक मिनिमम रिजल्ट देने की जिम्मेदारी तो हो। इससे टीचर बच्चों की पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान देंगे। इसके साथ ही उनकी नियमित मॉनीटरिंग की व्यवस्था भी होनी चाहिए।
शिक्षा विभाग के मुताबिक अभी भी बच्चों का लर्निंग लेवल जांचने की व्यवस्था की हुई है। इसके तहत बच्चों के केवल मंथली टेस्ट लिए जा रहे हैं, बल्कि आकस्मिक निरीक्षण के तहत भी बच्चों का लर्निंग लेवल भी पता लगाया जा रहा है। इसके तहत आकस्मिक निरीक्षण पर जाने वाले अधिकारी किसी भी क्लास में सीधे जाकर बच्चों से उसी पाठ्यक्रम में से सवाल पूछते हैं जो उन्हें पढ़ाया जा चुका है। अगर स्टूडेंट के जवाब सही होते हैं तो टीचर ने मेहनत की है। अगर जवाब गलत हैं तो यह मान लिया जाता है कि टीचर ठीक से अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं।
"स्कूली शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए राज्य सरकार ने कई तरह के कदम उठाए हैं। इनमें केवल शैक्षणिक ही नहीं बल्कि बच्चों के ओवरऑल डेवलपमेंट पर भी ध्यान दिया जा रहा है। मंथली टेस्ट, आकस्मिक निरीक्षण के साथ-साथ बच्चों के लिए हर शनिवार को एक्टिविटी डे घोषित किया गया है, जिसमें वे अपनी रुचि के अनुसार, गायन, वादन, भाषण, वाद-विवाद, रागनी गायन जैसे कार्यक्रमों में शामिल हो सकते हैं। पीएसी से भी टीचरों की एपीएआर को स्कूली रिजल्ट से जोड़ा जाए। इस स्कीम को भी अगले शैक्षणिक सत्र से लागू करने पर विचार किया जा रहा है। इस पर विभाग ने काम शुरू कर दिया है।"--पी.के.दास, एडिशनल चीफ सेक्रेटरी, स्कूल शिक्षा विभाग
राजधानी हरियाणा : प्रदेश में सरकारी स्कूलों के टीचरों की एनुअल परफॉरमेंस अप्रेजल रिपोर्ट (एपीएआर) को अब स्कूली रिजल्ट से जोड़ने की तैयारी है। इसके तहत टीचरों की जिम्मेदारी तय की जाएगी कि उन्हें बेसिक मिनिमम यानी न्यूनतम सीमा तक तो रिजल्ट देना ही होगा। उससे ऊपर का रिजल्ट ही उनकी प्रमोशन, इंक्रीमेंट, अवार्ड और ट्रांसफर-पोस्टिंग तय करेगा। अगले शैक्षणिक सत्र से यह व्यवस्था लागू होने की संभावना है। अभी राज्य का शिक्षा विभाग इस योजना की व्यवहारिकता और अन्य पहलुओं पर काम कर रहा है।
बोर्ड की विभिन्न शैक्षणिक सत्र 2013-14 के दौरान परीक्षाओं का रिजल्ट 28 से 33 प्रतिशत तक ही सिमट गया था। इसके बाद से स्कूल एजुकेशन पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। हाल ही जब भाजपा सरकार ने स्कूलों में गीता पाठ्यक्रम पढ़ाने का फैसला किया था, तब भी इस पर विपक्ष की ओर से काफी सवाल उठाए गए थे। अब राज्य सरकार स्कूली शिक्षा के स्तर में सुधार लाने के प्रयासों में जुटी है। विभागीय सूत्रों ने बताया कि पिछले सप्ताह ही विधानसभा की पब्लिक अकाउंट्स कमेटी (पीएसी) में भी स्कूली शिक्षा के स्तर का मामला उठा था। पंचकूला विधायक ज्ञानचंद गुप्ता की अध्यक्षता वाली पीएसी ने भी स्कूल शिक्षा विभाग को यह सुझाव दिया था कि टीचरों की पीएआर को रिजल्ट के साथ जोड़ा जाना चाहिए। इसके तहत टीचरों की कहीं कहीं बेसिक मिनिमम रिजल्ट देने की जिम्मेदारी तो हो। इससे टीचर बच्चों की पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान देंगे। इसके साथ ही उनकी नियमित मॉनीटरिंग की व्यवस्था भी होनी चाहिए।
शिक्षा विभाग के मुताबिक अभी भी बच्चों का लर्निंग लेवल जांचने की व्यवस्था की हुई है। इसके तहत बच्चों के केवल मंथली टेस्ट लिए जा रहे हैं, बल्कि आकस्मिक निरीक्षण के तहत भी बच्चों का लर्निंग लेवल भी पता लगाया जा रहा है। इसके तहत आकस्मिक निरीक्षण पर जाने वाले अधिकारी किसी भी क्लास में सीधे जाकर बच्चों से उसी पाठ्यक्रम में से सवाल पूछते हैं जो उन्हें पढ़ाया जा चुका है। अगर स्टूडेंट के जवाब सही होते हैं तो टीचर ने मेहनत की है। अगर जवाब गलत हैं तो यह मान लिया जाता है कि टीचर ठीक से अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं।
"स्कूली शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए राज्य सरकार ने कई तरह के कदम उठाए हैं। इनमें केवल शैक्षणिक ही नहीं बल्कि बच्चों के ओवरऑल डेवलपमेंट पर भी ध्यान दिया जा रहा है। मंथली टेस्ट, आकस्मिक निरीक्षण के साथ-साथ बच्चों के लिए हर शनिवार को एक्टिविटी डे घोषित किया गया है, जिसमें वे अपनी रुचि के अनुसार, गायन, वादन, भाषण, वाद-विवाद, रागनी गायन जैसे कार्यक्रमों में शामिल हो सकते हैं। पीएसी से भी टीचरों की एपीएआर को स्कूली रिजल्ट से जोड़ा जाए। इस स्कीम को भी अगले शैक्षणिक सत्र से लागू करने पर विचार किया जा रहा है। इस पर विभाग ने काम शुरू कर दिया है।"--पी.के.दास, एडिशनल चीफ सेक्रेटरी, स्कूल शिक्षा विभाग
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