जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली : केंद्रीय विद्यालय अपने प्रत्येक छात्र पर सालाना करीब 33 हजार रुपये खर्च करता है। जबकि विद्यालय औसतन साढ़े पांच हजार रुपये ही छात्रों से वसूलता है। छात्रों से मिलने वाली रकम का अधिकांश हिस्सा विद्यालय विकास निधि से हासिल होता है। सरकार इन स्कूलों के लिए संसाधन जुटाने के लिए कुछ नए प्रस्तावों पर विचार कर रही है।
मानव संसाधन विकास मंत्रलय के वरिष्ठ सूत्रों के मुताबिक इस समय देश भर के विभिन्न केंद्रीय विद्यालयों में पढ़ाई कर रहे 12 लाख से अधिक छात्रों में से प्रत्येक की पढ़ाई पर प्रति वर्ष 32,698 रुपये खर्च होते हैं। 1इनमें से प्रत्येक छात्र से सालाना लगभग साढ़े पांच हजार रुपये विद्यालय विकास निधि के रूप में हासिल होते हैं। केंद्रीय विद्यालयों में एडमीशन फीस, ट्यूशन फीस और कंप्यूटर फीस बहुत मामूली है। जबकि विद्यालय विकास निधि के तौर पर प्रति माह छात्र से पांच सौ रुपये लिए जाते हैं। अधिकांश तरह के शुल्कों से दलित, आदिवासी और लड़कियों को छूट है। इसी तरह गरीबी रेखा के नीचे के परिवार के बच्चों की भी कंप्यूटर फीस छोड़ कर सभी फीस माफ है। 1इन विद्यालयों में शिक्षा का स्तर तो बहुत अच्छा माना जाता है, मगर शिक्षण के अतिरिक्त सुविधाओं को और विकसित किए जाने की जरूरत देखी जा रही है।
ऐसे में केंद्र इनके लिए धन जुटाने के अतिरिक्त साधनों पर विचार कर रही है। यह तरीका क्या हो सकता है, यह पूछे जाने पर अधिकारी कहते हैं कि कई तरह के प्रस्तावों पर विचार हो रहा है, लेकिन इसका भार छात्रों पर नहीं जाए, यह देखने की कोशिश हो रही है। केंद्र सरकार इन विद्यालयों में सांसदों के कोटे के प्रावधानों में भी बदलाव पर विचार कर रही है। 1अभी सांसदों को अपने क्षेत्र के किन्हीं दस बच्चों के दाखिले की सिफारिश करने का विशेषाधिकार हासिल है। लेकिन नए प्रावधानों में सांसद कोटा के तहत होने वाले दाखिले के लिए भी गरीब बच्चों को वरीयता देनी होगी।