कुरुक्षेत्र : राजकीय स्कूलों के शिक्षकों ने सरकार स्कूलों में घट रही छात्रों की संख्या को इस बार रोकने का प्रयास तो किया, लेकिन व्यवस्था के आगे उनके वायदे भी दम तोड़ गए। राजकीय प्राथमिक स्कूलों में करीब चार माह बाद भी छात्रों को पढ़ने के लिए किताबें ही नहीं मिल पाई। चार माह बाद भी छात्र बिना किताबों के ही खाली स्कूल बैग लेकर स्कूलों में आ रहे हैं। उनको काम कराने की बात आती है तो न तो शिक्षक उन्हें कुछ कह पा रहे हैं और न ही शिक्षक उन्हें पढ़ा पा रहे हैं। आलम ये है कि 24 जुलाई को हुई मासिक परीक्षा में आधे से ज्यादा छात्र फेल हो गए।
यूं तो प्रदेश के सरकारी स्कूलों की स्थिति पिछले लगभग एक दशक से ही खस्ता है, लेकिन इस बार बेहतर शिक्षा के साथ बेहतर सुविधाएं देने के खूब वायदे सत्र के शुरू में शिक्षा विभाग और शिक्षकों ने छात्रों के माता-पिता से किए थे। जिसके बाद सरकारी स्कूलों में बच्चों संख्या भी बढ़ी थी, लेकिन सरकारी तंत्र ने अपनी चाल में कोई परिवर्तन नहीं किया। अप्रैल में शुरू हुए सत्र 2017-18 में जुलाई माह भी संपन्न हो चुका है, लेकिन सरकार की ओर से स्कूलों में किताबें मुहैया नहीं करा पाई। स्कूलों में तीन कक्षाओं की एक भी किताब आज तक नहीं पहुंची हैं। जिनमें पहली, चौथी और पांचवीं कक्षाएं हैं।
तीन कक्षाओं की किताबें न पहुंचने से विद्यार्थियों को हो रही परेशानी
व्यवस्था परिवर्तन का वादा कर शिक्षकों ने बढ़ाई थी संख्या
व्यवस्था परिवर्तन का वादा कर शिक्षकों ने बढ़ाई थी संख्या
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