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कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने का प्रस्ताव संभव

कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने का प्रस्ताव संभव राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : हरियाणा मंत्रिमंडल की 30 जुलाई को होने वाली बैठक में कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने का प्रस्ताव आ सकता है। प्रशासनिक स्तर पर इसकी चर्चाएं तेज हैं। अभी हरियाणा में कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 58 वर्ष है, जिसे 60 वर्ष किए जाने की मांग वर्षो से चली आ रही है।1 सरकार में इसे लेकर कवायद भी चल रही है, लेकिन सिरे नहीं चढ़ पा रही। सूत्रों के अनुसार 30 जुलाई की मंत्रिमंडल बैठक में सरकार सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाकर चुनावी बेला में एक और बड़ा दांव खेल सकती है। हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी डॉ. शकील अहमद ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को इसे लेकर पत्र भी लिखा है। पत्र में उन्होंने कहा है कि हरियाणा के कर्मचारियों का प्रतिनिधिमंडल उन्हें मिला था। 1कर्मचारियों ने मांग की है कि प्रदेश में सेवानिवृति की आयु 58 की बजाय 60 वर्ष की जाए। उन्होंने हुड्डा को इस पर गौर करने के लिए कहा है। दूसरी ओर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोती लाल वोरा भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कर्मचारियों की मांग पर ध्यान देने को कह चुके हैं। मंत्रिमंडल की बैठक पहले 29 जुलाई को तय की गई थी, जिसे अब स्थगित कर तीस जुलाई को कर दिया गया है। बैठक अब 30 जुलाई को सुबह दस बजे सचिवालय में शुरू होगी।

एक विभाग की सेवा दूसरे में नहीं जुड़ेगी

एक विभाग की सेवा दूसरे में नहीं जुड़ेगी राज्यसरकार ने स्पष्ट किया है कि कर्मचारी द्वारा एक ही श्रेणी के पद पर एक विभाग से दूसरे विभाग को दी गई अनुबंधित सेवा को नियमितीकरण के लिए आवश्यक तीन वर्ष की सेवा अवधि में नहीं जोड़ा जाएगा। हालांकि यदि किसी कर्मचारी की सेवा अवधि में एक वर्ष में 30 दिनों तक का ब्रेक हो तो उसे माफ किया जाएगा। बशर्ते ऐसा ब्रेक कर्मचारी की गलती से नौकरी का परित्याग करने के कारण हुआ हो। जोनिजी कंपनियों के माध्यम से लगा, वो नियमित नहीं रोजगारकार्यालय, हारट्रोन या विभागीय चयन समिति के माध्यम से नियुक्त हुए कर्मचारियों को नियमितीकरण के लिए पात्र होंगे लेकिन निजी सेवा प्रदाता के माध्यम से नियुक्त कर्मचारियों की सेवाओं का नियमित नहीं किया जा सकता, चाहे ऐसे कर्मचारी स्वीकृत रिक्त पद के विरुद्ध ही क्यों नियुक्त किए गए हों। सरकार ने बी, सी डी श्रेणी कर्मचारियों की रेगुलर पॉलिसी में किया बदलाव चंडीगढ़ | कर्मचारियोंको रिझाने के लिए प्रदेश सरकार पूरा जोर लगा रही है। इसी क्रम में अब ग्रुप बी, सी और डी कर्मचारियों को नियमित करने के नियमों में और रियायत दी गई है। सरकार ने डाटा एंट्री ऑपरेटर या कंप्यूटर प्रोफेशनल जैसे पदों पर कार्यरत कर्मचारियों को क्लर्क के स्वीकृत रिक्त पद के विरुद्ध नियमित करने को स्वीकृति दे दी है। ऐसे कर्मचारी जिनकी सेवा अवधि में एक साल में 30 दिन तक का ब्रेक है, तो उसे माफ किया जाएगा। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश सरकार ने 7 नवंबर, 2013 पत्र जारी कर क्लर्क-कम-कंप्यूटर ऑपरेटर, ऑफिस एसोसिएट, क्लर्क कम डाटा एंट्री ऑपरेटर, डाटा एंट्री ऑपरेटरों और क्लर्क कम टाइपिस्ट जैसे पदों की नामावली (नोमन्क्लेचर) में बदलाव करते हुए 'क्लर्क' कर दिया गया था। इस प्रकार, यदि किसी डाटा एंट्री ऑपरेटर या कंप्यूटर प्रोफेशनल की नियुक्ति के समय क्लर्क का स्वीकृत पद रिक्त था और 28 मई, 2014 को भी यह पद उपलब्ध था तो ऐसे कर्मचारी को क्लर्क के पद पर नियमित किया जा सकता है, बशर्ते वह नियमितीकरण नीति की अन्य शर्तें पूरी करता हो।

श्रमिकों के बच्चों को हर हाल में मिलेगी शिक्षा

श्रमिकों के बच्चों को हर हाल में मिलेगी शिक्षा राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : प्रदेश सरकार ने श्रमिकों के बच्चों को हर हाल में शिक्षा मुहैया कराने के लिए कमर कस ली है। स्कूल शिक्षा विभाग ने ईंट भट्ठों, कृषि क्षेत्रों, मौसमी उद्योगों और निर्माण स्थलों पर कार्यरत बाहरी श्रमिकों के बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 और हरियाणा शिक्षा का अधिकार नियम 2011 लागू करने के निर्देश दिए हैं।1स्कूल जाने की आयु वाले ऐसे बच्चों की पहचान करने के लिए प्रत्येक जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, लाइसेंसिंग अथारिटी से ईंट-भट्ठों की विस्तृत सूची प्राप्त करेंगे। साथ ही श्रम अधिकारी से 6 से 14 वर्ष आयु के बच्चों सहित अन्य राज्यों के परिवारों का आंकड़ा भी लेंगे। डीएड में दाखिल विद्यार्थियों से क्षेत्रीय सर्वेक्षण और अनुसंधान अध्ययन के तौर पर ईंट-भट्ठों का क्षेत्रीय सर्वेक्षण कराया जाएगा। प्रदेश के सभी जिलों में हर वर्ष यह सर्वेक्षण पहली से 15 अक्टूबर तक पूरा करना होगा। सर्वेक्षण रिपोर्ट निदेशालय मौलिक शिक्षा और जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को भेजी जाएगी। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी इसे खंड मौलिक शिक्षा अधिकारियों को भेजेंगे। खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी रिपोर्ट में चिन्हित सभी बच्चों का दाखिला अगले 31 अक्टूबर तक पास के स्कूल में सुनिश्चित कराएंगे। स्कूल शिक्षा विभाग श्रम आयुक्तों के कार्यालय से कार्यरत मौसमी उद्योगों की क्षेत्र अनुसार सूची प्राप्त करेगा। डीएड प्रशिक्षुओं से हर वर्ष 20 से 31 मार्च तक प्रदेश में ऐसे सभी स्थलों का सर्वेक्षण कराया जाएगा। सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी 15 अप्रैल तक उस पर आगामी कार्रवाई करेंगे। रिपोर्ट के मुताबिक हर खंड में बाहरी राज्यों के बच्चों के लिए स्कूलों में व्यवस्था की जाएगी। स्कूल की दूरी एक किलोमीटर से अधिक या 3 किलोमीटर होने पर बच्चों को यातायात की सुविधा भी मिलेगी। इसके लिए स्कूल प्रबंधन समिति को धन उपलब्ध कराया जाएगा। निदेशक मौलिक शिक्षा वित्त वर्ष के शुरू में प्रत्येक जिले के लिए 3 लाख रुपये की एकमुश्त राशि जारी करेंगे। बच्चों को वर्दी, किताबें व मिड-डे मील मुफ्त मिलेगा।

संकट में साख

संकट में साख * भर्ती और नियुक्ति प्रक्रिया में सरकार की प्रवृत्ति और मनोवृत्ति पर उसी के वरिष्ठ अधिकारी द्वारा अंगुली उठाए जाने से यह चिंतन व मंथन जरूरी हो गया है कि नियम और कानूनों को रबर की तरह मरोड़ने की परंपरा खत्म होगी भी या नहीं। वर्तमान सरकार के अब तक के कार्यकाल में एक दर्जन से अधिक मामलों में भर्ती या नियुक्ति में अनियमितता, नियमों के उल्लंघन और मनमर्जी चलने की बात सामने आ चुकी। अनेक नियुक्तियां कोर्ट के आदेश पर रद हुईं और कई मामले अदालत में विचाराधीन हैं जिनमें हजारों कर्मचारी, शिक्षक आदि का भविष्य या तो अंधकारमय हुआ या अधर में लटक गया। वर्तमान मामला चूंकि हाई प्रोफाइल है, इस पर सरकार का कटघरे में आना गंभीर चिंता का विषय है। प्रशासनिक सुधार विभाग के सचिव ने सीधे तौर पर सरकार को लपेटते हुए खुलासा किया कि नवगठित सेवा अधिकार आयोग और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति में जालसाजी की गई। जिन्हें भी नियुक्ति दी गई वे पहले से लाभ के पद पर कार्यरत हैं और नियमों के अनुसार उनकी नियुक्ति पूरी तरह अवैध है। खुलासे में नियुक्ति से संबंधी फाइल राज्यपाल से मंजूर न करवाने समेत कई और गंभीर पहलुओं की ओर इशारा किया गया। सवाल यह है कि आखिर ऐसी क्या जल्दी थी कि आनन-फानन में रेवड़ी की तरह इतने अहम पद बांटने पड़े। हर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने के लिए निश्चित समय दिया जाता है, पर ताजा घटनाक्रम से प्रश्न उठ रहा है कि सेवा एवं सूचना आयुक्तों के मामले में यह सीमा राज्यपाल की सेवानिवृत्ति के दिन तक क्यों रखी गई? क्या सरकार को किसी बात की आशंका थी? क्या उसे अपने निर्णय के कानून सम्मत होने पर संदेह था? नए राज्यपाल के शपथ ग्रहण करने का इंतजार करने की निर्वाचित सरकार से अपेक्षा की जाती है। यह एक दिन, पल या अवसर का मामला नहीं, सरकार के कामकाज व साख से जुड़ा स्थायी सवाल है। इतना उतावलापन दिखाया जाना नीति निर्धारकों की अपरिपक्वता का ही परिचायक है। सरकार को अपनी भर्ती और नियुक्ति पर फिर मंथन करना चाहिए। पिछले दिनों वरिष्ठ अधिकारी खेमका ने सरकार की कार्यशैली पर अनेक सवाल उठाए थे, अब एक और शीर्ष अधिकारी कासनी इस जमात में शामिल हो गए। सरकार अपनी कार्यशैली में सुधार करके सुनिश्चित करे कि यह पांत लंबी न हो। कहीं न कहीं गंभीर खामी है, उसे दूर नहीं किया गया तो उसकी साख पर छिद्रों और धब्बों की संख्या बढ़ती जाएगी।

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आयोगों में सदस्यों की नियुक्तियों पर पेंच, सचिव ने उठाए सवाल

आयोगों में सदस्यों की नियुक्तियों पर पेंच, सचिव ने उठाए सवाल अमर उजाला ब्यूरो चंडीगढ़। हरियाणा में सूचना आयुक्तों और सेवा का अधिकार आयोग के सदस्यों की नियुक्ति पर सरकार के लिए संकट पैदा हो गया है। प्रशासनिक सुधार विभाग के सचिव प्रदीप कासनी ने नियुक्ति पर यह कहते हुए आपत्ति जता दी है कि नियुक्ति के लिए राज्यपाल की मंजूरी नहीं ली गई है। साथ ही जिन्हें नियुक्ति दी जा रही है, उनके पहले से लाभ के पदों पर कार्यरत होने की बात सामने आई है। प्रदीप कासनी ने सरकार से कहा है कि इन नामों की राज्यपाल से पुष्टि करवाई जाए, जिससे नियुक्ति पत्र जारी किया जा सके। उधर, प्रदेश के मुख्य सचिव ने कासनी द्वारा उठाई गए आपत्ति के बारे में अनभिज्ञता जाहिर की है। सूत्रों के मुताबिक ,प्रशासनिक सुधार विभाग के सचिव प्रदीप कासनी ने रविवार को सरकार को अपनी आपत्ति से अवगत करा दिया है। कासनी का कहना है कि नियुक्ति संबंधी फाइल राज्यपाल से मंजूर नहीं कराई गई है। कासनी ने यह भी आपत्ति दर्ज कराई है कि सूचना आयुक्त बनाए गए तीनों लोग पहले से लाभ के पद पर कार्यरत हैं और कुछ सदस्यों को तो बिना नियुक्ति पत्र दिए ही शपथ दिलवा दी गई है। विभाग ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि निवर्तमान राज्यपाल जगन्नाथ पहाड़िया ने कार्यभार छोड़ने से पहले जिस पत्र में मुख्यमंत्री को अधिकृत किया है, उसी पत्र में फेरबदल किया गया है। निवर्तमान राज्यपाल ने 25 जुलाई को मुख्यमंत्री को सूचना आयुक्तों और सेवा का अधिकार आयोग के सदस्यों को शपथ दिलाने के लिए अधिकृत किया था। सचिव प्रदीप कासनी के पास यह फाइल रविवार को हस्ताक्षर के लिए पहुंची, जिसमें सचिव से कहा गया कि अलग से शामिल नामों को भी मंजूर किया जाए। •सूचना आयुक्तों, सेवा का अधिकार आयोग में बनाए सदस्य •निवर्तमान राज्यपाल के अधिकृत पत्र में नाम जोड़ने का आरोप हाथ से लिखकर जोड़ दिए नए नाम सचिव कासनी ने खुलासा किया कि सरकार ने जो फाइल उन्हें मंजूर करने के लिए भेजी है, उसमें राज्यपाल के अधिकृत पत्र में फेरबदल करते हुए सेवा का अधिकार आयोग के सदस्यों और सूचना आयुक्तों के नाम जोड़ दिए गए हैं। ये सभी नाम अलग से लिखे गए हैं, जबकि बाकी पूरा लेटर टाइप किया गया है। कासनी के मुताबिक, नियुक्ति संबंधी नामों के लिए बाकायदा अलग से मंजूरी ली जानी चाहिए थी। नियमों के मुताबिक निवर्तमान राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को शपथ दिलाने के लिए अधिकृत किया था न कि नियुक्तियों को मंजूरी देने के लिए। बिना नियुक्ति पत्र तीन को दिलाई शपथ निवर्तमान राज्यपाल पहाड़िया के दस्तखत वाले पत्र में अलग से आईएएस सरबन सिंह, एडवोकेट अमर सिंह, सुनील कत्याल और लेफ्टिनेंट जनरल टांक के नाम जोड़े गए हैैं। इनमें लेफ्टिनेंट जनरल टांक को छोड़ बाकी तीन सदस्यों को रविवार को शपथ भी दिला दी गई। सरबन सिंह की रिटायरमेंट इस वर्ष 31 दिसंबर को है। लेकिन अपनी नियुक्ति से कुछ समय पहले ही उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवाओं से अपना इस्तीफा दिया है। सचिव प्रदीप कासनी ने इस संदर्भ में सरकार या राज्यपाल को कोई पत्र लिखा है, इस बारे में मुझे जानकारी नहीं है। यदि ऐसा कुछ है तो पत्र देखने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा। -एससी चौधरी, मुख्य सचिव हरियाणा

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