ञ्च इसके तहत बच्चों का वाह्य और आंतरिक मूल्यांकन होना था।
ञ्च बच्चों की पाठय क्रियाओं के साथ सह पाठय क्रियाओं का भी पूरा मूल्यांकन किया जाना था।
ञ्च मैनडेटरी था कि बच्चों की अन्य गतिविधियों खेलकूद, लेखन, कविता पाठ आदि को मान्यता दी जाए।
क्या हो रही हैं मुश्किलें
॥इस तरह से हो रहे मूल्यांकन से शिक्षा की गुणवत्ता में कमी आ रही है
॥अध्यापकों की क्वाालिटी एजुकेशन को लेकर जवाबदेही सीमित हो गई है
॥अगर अभी मूल्यांकन ढंग से नहीं होगा तो बच्चे आगे की पढ़ाई में लापरवाह हो जाएंगे।
॥शिक्षकों को समय पर बुकलेट (प्रोफार्मा) उपलब्ध न होने के कारण जानकारी का अभाव है, जिससे कार्यप्रणाली ढीली पढ़ रही है।
इसके एज्जीक्ूयशन मेें इसलिए दिक्कत आई है क्योंकि अध्यापकों की ट्रेनिंग ठीक से नहीं हो पाई थी। इस बार जो सालाना २० दिन की ट्रेनिंग होती है उसमें हमने सिर्फ सीसीई के बारे में बताया है। इस बार के मूल्यांकन में अध्यापकों को दिक्कत नहीं होगी।ञ्जञ्ज पंकज यादव निदेशक, हरियाणा सर्व शिक्षा अभियान
सरकार सही तरीके से इसे लागू नहीं कर पाई है। जो बुकलेट (प्रोफार्मा) बनाया है वह टाइम से नहीं पहुंचता है। पिछले सत्र में यह बुकलेट मार्च में पहुंची है, जिससे उसकी वैल्यू नहीं रही। इस बार भी अभी तक नहीं पहुंची है। अगर सरकार की योजना को उचित रूपरेखा मिलती है तो इससे शिक्षकों का सही मार्गदर्शन करने में मदद मिलेगी।ञ्जञ्ज कूलभूषण शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष, हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ |
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