KUK employee recruitment matter

भर्ती मामले में सरकार की अनदेखी का शिकार कुवि
सतीश चौहान, कुरुक्षेत्र :भले ही प्रदेश सरकारें शिक्षा के क्षेत्र में विश्वविद्यालयों को सभी जरूरी सुविधाएं देने का दम भर रही हो, लेकिन प्रदेश का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय कुवि कर्मचारी भर्ती मामले में प्रदेश सरकार की अनदेखी का शिकार है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में सैकड़ों कर्मचारियों की कमी है, लेकिन सरकार की ओर से इस ओर शायद ही कोई ध्यान दिया जा रहा हो। कुवि में पिछले लगभग छह सालों से गैर शिक्षक कर्मचारियों की भर्ती नहीं हो पाई। पूर्व कुलपति अपने दो कार्यकाल में एक भी भर्ती नहीं कर पाए।
कुवि प्रदेश का सबसे बड़ा और पुराना विश्वविद्यालय है। जिससे साढ़े चार सौ से अधिक कॉलेज जुड़े हैं और प्रदेश का एकमात्र ऐसा विश्वविद्यालय है, जो महिला शिक्षा के लिए प्राइवेट शिक्षा प्रदान कराता है। जिसमें कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय सिर्फ परीक्षा खर्च ही लेता है और प्रदेश सरकार के मंत्री और मुख्यमंत्री तक कुवि की प्रशंसा इसके लिए करते आए है। विडंबना ये है कि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय पिछले कई वर्षों से प्रदेश सरकार की उपेक्षा का शिकार है। कुवि में लगातार हो रही सेवानिवृति और लगातार बढ़ रहे कालेजों और छात्रों के कारण कर्मचारियों की कमी हो रही है। जहां पहले से कमा लगातार बढ़ रहा है, लेकिन कर्मचारी कम हो रहे है, जबकि भर्ती के नाम पर कुवि में कुछ नहीं हो रहा। भाजपा ने एक वर्ष में हजारों की संख्या में सरकारी विभागों में भर्तियां निकाली हैं, लेकिन कुवि में यह भी नहीं हुआ।
600 से अधिक पद खाली
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय अधिकतर कर्मचारी ठेके पर लगाए जा रहे हैं। पिछली सरकारों की तरह भाजपा ने भी ठेके पर कर्मचारियों को लगाया। कुवि प्रशासन की ओर से पिछले दिनों लगभग आठ सौ कर्मचारियों को ठेके पर लगाया गया है। कुवि के आंकड़ों को देखें तो कुवि में क्लर्क के ही लगभग 225 पद खाली हैं और इसके अलावा अन्य पदों को जोड़ें तो इनकी संख्या 600 से अधिक हो जाती है। इसके अलावा कुवि प्रशासन की ओर से स्वीकृत पदों से अलग प्रदेश सरकार से 356 पदों की मांग की थी जो अब तक पूरी नहीं हो पाई है।

2010 के बाद नहीं हुई भर्ती
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में कर्मचारियों की भर्ती हुए लगभग छह वर्ष हो चुके हैं। कुवि में पूर्व कुलपति डॉ. रामफल हुड्डा के कार्यकाल में क्लर्को के लगभग 110 पदों की भर्ती हुई थी। उसके बाद दो बार पूर्व कुलपति डॉ. डीडीएस संधू के समय में पदों का विज्ञापन दिया गया और थोड़ी बहुत प्रक्रिया भी शुरू हुई, लेकिन राजनैतिक हस्तक्षेप के कारण बंद हो गई। कुवि 2010 में ही निकाली भर्ती के आवेदकों के पैसे लौटा रहा है। कुवि कुलसचिव डॉ. प्रवीण सैनी का कहना है कि प्रशासन की ओर से प्रदेश सरकार से इस मामले में अनुमति मांगी जा रही है। पत्र व्यवहार किया जा रहा है। जल्द ही सकारात्मक परिणाम की संभावना है।www.facebook.com/teacherharyana www.teacherharyana.blogspot.in Haryana news (Recruitment , vacancy , job , news)

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