नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने 29 जून को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को मंजूरी तो दे दी। पिछले 70 साल में यह सबसे कम वेतन है। इससे नाराज केंद्रीय कर्मचारियों नेहड़ताल पर जाने की धमकी दी है। कर्मचारियों का कहना है कि उन्होंने न्यूनतम वेतन बढ़ाकर 26,000 रुपये करने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने इसे महज 18, 000 रुपये ही रखा।
कर्मचारियों का कहना है कि पिछली सरकार में 40 फीसदी से ज्यादा बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन इस बार महज 23 फीसदी ही बढ़ोतरी की गई है, जो कि उन्हें मंजूर नहीं है।
इससे पहले के आयोगों की सिफारिशों और बढ़ोतरी की तुलना की जाए तो आंकड़ों के जरिए यह स्पष्ट हो जाता है कि पहले की तुलना में इस बार वेतन में कितनी कम बढ़ोतरी हुई है। आइए जानते हैं बीते 70 सालों में कब-कब हुई कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोतरी और कितने का हुआ इजाफा।
पहले वेतन आयोग में हुई थी 400 फीसदी की बढ़ोतरी
पहला वेतन आयोग (1946-47) - देश के पहले वेतन आयोग का गठन श्रीनिवास वरदचारिया कि अध्यक्षता में सन् 1946 में गठित किया गया था। इस आयोग ने कर्मचारियों न्यूनतम सैलरी 10 रुपये से 55 रुपये करने की सिफारिश की थी जिसे 1946 में मंजूर कर लिया गया था। इस मंजूरी के बाद कर्मचारियों के सैलरी में तकरीबन 450 फीसदी की वृद्धि हुई थी।
दूसरा वेतन आयोग (1957-59)- जस्टिस जगन्नाथ दास की अध्यक्षता में अगस्त 1957 में दूसरे वेतन आयोग का गठन किया गया था। आयोग ने पे स्केल में डीए के 50 फीसदी हिस्से को मूल वेतन में मिला दिया था। इसके बाद कर्मचारियों की वेतन बढ़ाकर 80 रुपये कर दिया था। इस आयोग की सिफारिशों को मंजूरी मिलने के बाद कर्मचारियों के वेतन में तकरीबन 50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी।
तीसरे वेतन आयोग में तकरीबन 250 गुना बढ़ोतरी
तीसरा वेतन आयोग (1972-73)- जस्टिल रघुबीर दयाल की अध्यक्षता में अप्रैल 1970 में तीसरे वेतन आयोग का गठन किया गया था। आयोग ने तकरीबन दो साल बाद मार्च 1973 में सरकार को अपनी सिफारिशें दी, जिसमें उन्होंने न्यूतनम वेतन बढ़ाकर 185 रुपये करने की बात कही थी, लेकिन सरकारी कर्मचारियों और अन्य जानकारों की राय लेने के बाद सरकार ने इसे बढ़ाकर 196 रुपये कर दिया। तीसरे वेतन आयोग में वेतन में तकरीबन 250 गुना की बढ़ोतरी हुई थी।
चौथा वेतन आयोग (1983-86)- इसका गठन जून 1983 में किया गया था और पीएन सिंघल को इसका अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। सिंघल की अध्यक्षता वाले इस आयोग ने चार साल में तीन चरणों में अपनी सिफारिशों को सरकार के सामने पेश किया था। आयोग ने न्यूतनम वेतन 750 रुपये करने की सिफारिश की थी जिसे मंजूर करते हुए 1 जनवरी 1986 से लागू मानते हुए मंजूरी दे दी गई थी। इस दौरान कर्मचारियों के वेतन में तकरीबन 400 फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी।
पूर्व की सरकार ने भी की थी ज्यादा बढ़ोतरी
पांचवा वेतन आयोग (1994-97)- जस्टिस एस रत्नावेल पांडियन की अध्यक्षता में 1994 में पांचवें वेतन आयोग का गठन किया गया था। आयोग ने 2550 रुपये न्यूनतम वेतन के सिफारिश के साथ जनवरी 1997 में अपनी रिपोर्ट सरकार के सामने रखी थी, जिसे सरकार ने मंजूरी दे दी थ्ाी। इसके साथ न्यूनतम वेतन 2550 रुपये हो गया और कर्मचारियों के पहले की तुलना में तकरीबन 350 गुना की बढ़ोतरी हुई थी।
छठा वेतन आयोग (2006-08)- छठे वेतन आयोग का गठन जुलाई 2006 में किया गया था, जिसकी अध्यक्षता जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा ने की थी। उनके नेतृत्व में आयोग ने चतुर्थ श्रेणी पद हटाने की सिफारिश भी की थी। साथ ही न्यूनतम वेतन 6,660 रुपये और अधिकतम 80,000 हजार करने की सिफारिश की थी। जिसे सरकार ने मंजूर करते हुए न्यूनतम वेतन 7000 और अधिकतम 80,000 कर दी थी। इस बार भी तकरीबन चालीस फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी।
सातवें वेतन आयोग में कर्मचारियों के वेतन में महज 23 फीसदी की ही बढ़ोतरी की गई है, जिससे केंद्रीय कर्मचारियों में रोष है। सरकार ने न्यूनतम वेतन की सीमा 18,000 रुपये और अधिकतम 2.5 लाख रुपये कर दी है।
वेतन आयोग : कर्मचारियों की जगह उद्योगपत्तियों ने किया स्वागत
1.14 लाख करोड़ रुपये के बोझ तले होगी सरकार
केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट लागू करने से इस साल सरकार पर 1.14 लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ रहा है लेकिन इससे देश की राजकोषीय स्थिति पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा। इसके लिए पहले से ही रकम का प्रावधान कर लिया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक के बाद उस दौरान लिए गए फैसले की जानकारी देते हुए जेटली ने बताया कि पांचवे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने से खजाने पर 17,000 करोड़ रुपये का वित्तीय भार पड़ा था।
छठे वेतन आयोग की सिफारिशें आने के बाद यह वित्तीय भार बढ़ कर 40,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने पर सरकार पर चालू वित्त वर्ष के दौरान 1,02,100 करोड़ रुपये का भार पड़ रहा है।
चूंकि 1 जनवरी, 2016 से सिफारिशें लागू करने का फैसला हुआ है, इसलिए कर्मचारियों को एरियर का भी भुगतान करना होगा। इस वर्ष जनवरी, फरवरी और मार्च के लिए एरियर करीब 12,000 करोड़ रुपये बनता है, जिसका भुगतान इसी साल किया जाएगा। इस तरह से पूरे वर्ष के दौरान सरकार पर 1,14,100 करोड़ रुपये का वित्तीय भार बढ़ेगा।
उन्होंने बताया कि इतना वित्तीय बोझ बढ़ने के बावजूद राजकोषीय स्थिति पर कोई खराब असर नहीं पड़ेेेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिए राशि का प्रावधान इस साल के बजट में पहले से ही किया जा चुका है।
उद्योग संगठनों ने किया फैसले का स्वागत
केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के सरकार के फैसले का उद्योग संगठनों ने स्वागत किया है, लेकिन साथ ही कहा है कि इससे महंगाई बढ़ेगी और सरकारी और निजी क्षेत्र के बीच वेतन की खाई भी चौड़ी होगी।
फिक्की के महासचिव दीदार सिंह ने कहा कि इस वेतन वृद्घि से बाजार में करीब एक लाख करोड़ रुपये और आएंगे जिससे वस्तु एवं सेवाओं की मांग बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था की विकास दर बढ़ेगी। इससे 8 फीसदी के विकास दर के लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी।
सीआईआई के महासचिव चंद्रजीत बनर्जी का कहना है कि इससे मध्य वर्ग में खर्च और निवेश की धारणा को बल मिलेगा।
एसोचैम के महासचिव डी एस रावत का कहना है कि इससे आम आदमी पर महंगाई का असर भी बढ़ेगा। बाजार में एक लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त आने से उद्योग जगत को तो फायदा होगा लेकिन आने वाले समय में सरकारी और निजी क्षेत्र में वेतन की खाई और चौड़ी होगी।
वेतन आयोग की रिपोर्ट पर झूमा शेयर बाजार
सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट लागू होने की घोषणा के बाद बुधवार को घरेलू शेयर बाजार शानदार तेजी के साथ बंद हुए। सेंसेक्स और निफ्टी में करीब एक फीसदी की उछाल दर्ज की गई है। बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 215.84 अंक यानी 0.81 फीसदी की उछाल के साथ 26,740 पर जाकर बंद हुआ है और एनएसई का 50 शेयरों वाला निफ्टी 76.15 अंक यानी 0.94 फीसदी की बढ़त के बाद 8,204 पर जाकर बंद हुआ है।
बाजार में एफएमसीजी सेक्टर की 0.15 फीसदी की गिरावट को छोड़कर बाकी सभी सेक्टर बढ़त के हरे निशान के साथ बंद हुए हैं। सबसे ज्यादा, 3 फीसदी की तेजी रियल्टी शेयरों में देखी गई है। माना जा रहा है कि लोगों का वेतन बढेगा तो मकान की मांग बढेगी।
विश्लेषकों की राय
- वेतन आयोग लागू के बाद तेजी से बाजार में आएगा पैसा जिससे बढ़ेगी महंगाई
- 1,14,100 करोड़ अतिरिक्त जाने से राजकोषीय स्थिति पर होगा असर
- अच्छी बात यह कि इस कदम से देश के विकास को मिलेगी रफ्तार
1.14 लाख करोड़ रुपये के बोझ तले होगी सरकार
केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट लागू करने से इस साल सरकार पर 1.14 लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ रहा है लेकिन इससे देश की राजकोषीय स्थिति पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा। इसके लिए पहले से ही रकम का प्रावधान कर लिया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक के बाद उस दौरान लिए गए फैसले की जानकारी देते हुए जेटली ने बताया कि पांचवे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने से खजाने पर 17,000 करोड़ रुपये का वित्तीय भार पड़ा था।
छठे वेतन आयोग की सिफारिशें आने के बाद यह वित्तीय भार बढ़ कर 40,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने पर सरकार पर चालू वित्त वर्ष के दौरान 1,02,100 करोड़ रुपये का भार पड़ रहा है।
चूंकि 1 जनवरी, 2016 से सिफारिशें लागू करने का फैसला हुआ है, इसलिए कर्मचारियों को एरियर का भी भुगतान करना होगा। इस वर्ष जनवरी, फरवरी और मार्च के लिए एरियर करीब 12,000 करोड़ रुपये बनता है, जिसका भुगतान इसी साल किया जाएगा। इस तरह से पूरे वर्ष के दौरान सरकार पर 1,14,100 करोड़ रुपये का वित्तीय भार बढ़ेगा।
उन्होंने बताया कि इतना वित्तीय बोझ बढ़ने के बावजूद राजकोषीय स्थिति पर कोई खराब असर नहीं पड़ेेेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिए राशि का प्रावधान इस साल के बजट में पहले से ही किया जा चुका है।
उद्योग संगठनों ने किया फैसले का स्वागत
केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के सरकार के फैसले का उद्योग संगठनों ने स्वागत किया है, लेकिन साथ ही कहा है कि इससे महंगाई बढ़ेगी और सरकारी और निजी क्षेत्र के बीच वेतन की खाई भी चौड़ी होगी।
फिक्की के महासचिव दीदार सिंह ने कहा कि इस वेतन वृद्घि से बाजार में करीब एक लाख करोड़ रुपये और आएंगे जिससे वस्तु एवं सेवाओं की मांग बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था की विकास दर बढ़ेगी। इससे 8 फीसदी के विकास दर के लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी।
सीआईआई के महासचिव चंद्रजीत बनर्जी का कहना है कि इससे मध्य वर्ग में खर्च और निवेश की धारणा को बल मिलेगा।
एसोचैम के महासचिव डी एस रावत का कहना है कि इससे आम आदमी पर महंगाई का असर भी बढ़ेगा। बाजार में एक लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त आने से उद्योग जगत को तो फायदा होगा लेकिन आने वाले समय में सरकारी और निजी क्षेत्र में वेतन की खाई और चौड़ी होगी।
वेतन आयोग की रिपोर्ट पर झूमा शेयर बाजार
सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट लागू होने की घोषणा के बाद बुधवार को घरेलू शेयर बाजार शानदार तेजी के साथ बंद हुए। सेंसेक्स और निफ्टी में करीब एक फीसदी की उछाल दर्ज की गई है। बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 215.84 अंक यानी 0.81 फीसदी की उछाल के साथ 26,740 पर जाकर बंद हुआ है और एनएसई का 50 शेयरों वाला निफ्टी 76.15 अंक यानी 0.94 फीसदी की बढ़त के बाद 8,204 पर जाकर बंद हुआ है।
बाजार में एफएमसीजी सेक्टर की 0.15 फीसदी की गिरावट को छोड़कर बाकी सभी सेक्टर बढ़त के हरे निशान के साथ बंद हुए हैं। सबसे ज्यादा, 3 फीसदी की तेजी रियल्टी शेयरों में देखी गई है। माना जा रहा है कि लोगों का वेतन बढेगा तो मकान की मांग बढेगी।
विश्लेषकों की राय
- वेतन आयोग लागू के बाद तेजी से बाजार में आएगा पैसा जिससे बढ़ेगी महंगाई
- 1,14,100 करोड़ अतिरिक्त जाने से राजकोषीय स्थिति पर होगा असर
- अच्छी बात यह कि इस कदम से देश के विकास को मिलेगी रफ्तार
No comments:
Post a Comment
thanks for your valuable comment