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यूपी के आयुर्वेदिक कॉलेजों पर तलवार

पीलीभीत मानक और संसाधन पूरे न होने के चलते यूपी के सभी आठ आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेजों की मान्यता पर खतरा मंडरा रहा है। तमाम चेतावनी के बाद भी इन कॉलेजों में हायर फैकल्टी पूरी नहीं है। नाराज सीसीआइएम टीम की रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार कॉलेजों की मान्यता खारिज करने पर विचार कर रही है। लखनऊ, बनारस, झांसी, हंडिया (इलाहाबाद), अतर्रा (बांदा), मुजफ्फरनगर, समेत रहेलखंड मंडल के पीलीभीत व बरेली में स्थित आयुर्वेदिक कॉलेज सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) के निशाने पर हैं। भारत सरकार के निर्देश पर सीसीआइएम की टीमों ने हाल ही में आयुर्वेदिक कॉलेजों में मुआयना कर रिपोर्ट दी है।

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पीटीयू के 20 कालेजों की मान्यता पर रोक
जालंधर, शिक्षा संवाददाता: ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल इंस्टीट्यूट्स (एआईसीटीई) ने पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी (पीटीयू) से संबद्ध पंजाब के 20 कालेजों समेत उत्तर भारत के 1304 तकनीकी शिक्षण संस्थानों मौजूदा सेशन में मान्यता देने पर रोक लगा दी है। एआईसीटीई ने इन कालेजों को बंद करने या फिर इनमें चल रहे बीटेक कोर्सो को बंद करने के आदेश जारी किए हैं। एआईसीटीई की इस सूची में शामिल पीटीयू से संबद्ध कालेजों में एपीजे स्वर्णा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, डीएवी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, श्री गणपति पोलीटेक्निक कालेज, ब्रकली कालेज, आर्यन बिजनेस स्कूल फॉर वीमन, आर्यन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, गुरुकुल विद्या इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, गुरु नानक देव इंजीनियरिंग कालेज, अमृतसर कालेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी अमृतसर, गुलजार ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट, अमन भल्ला पॉलीटेक्निक कालेज, साई इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, आईएसएफ कालेज ऑफ फार्मेसी, भाई महा सिंह कालेज ऑफ इंजीनियरिंग, एस सुखजिंदर सिंह कालेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, आईआईटीटी कालेज ऑफ इंजीनियरिंग पोजोवाल, चंडीगढ़ बिजनेस स्कूल, स्वामी विवेकानंद इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, स्वामी विवेकानंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंफारमेशन टेक्नोलाजी, स्वामी विवेकानंद स्कूल ऑफ मैनेजमेंट शामिल हैं।

एम्स में एमडी पाठ्यक्रमों की सारी परीक्षाएं रद नहीं

नई दिल्ली, एजेंसी : केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) ने एम्स के रेजीडेंट डाक्टरों की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के सुपर स्पेशिएलिटी पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए एम्स द्वारा ली गई परीक्षा को रद करने की मांग की थी। न्यायाधिकरण ने नए सिरे से परीक्षा लेने का आदेश देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि परीक्षा नियंत्रक और परीक्षा लेने वाली कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज की ईमानदारी पर संदेह नहीं किया जा सकता। कैट की मुख्य पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति वी के बाली ने कहा कि न्यायालय उन दलीलों से सहमत नहीं हैं कि परीक्षा केंद्रों पर गंभीर कदाचार हुआ। एम्स की ओर से दाखिल हलफनामे में दिए गए स्पष्टीकरण के मद्देनजर परीक्षा नियंत्रक और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज की ईमानदारी पर संदेह करने का कोई कारण नहीं पाते। न्यायाधिकरण ने यह भी कहा कि एम्स ने पहले ही मामले की जांच की है और कुछ पाठ्यक्रमों में दोबारा परीक्षा लेने का फैसला किया है। एसोसिएशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स ऑफ एम्स और दो चिकित्सकों की ओर से दायर याचिका में डीएम, एमसीएच में सुपर स्पेशिएलिटी पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए फरीदाबाद के मानव रचना विश्वविद्यालय में 15 मई, 2011 को आयोजित परीक्षा में कदाचार और अनुचित साधनों का इस्तेमाल किए जाने का आरोप लगाया गया था।

दाखिले का यह तरीका नहीं चलने देंगे : सिब्बल

नई दिल्ली दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में दाखिले के लिए 96 से 100 प्रतिशत तक का कट ऑफ तय करने पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कड़ी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि यह कतई तर्कसंगत नहीं है। यह गलत तरीका है और वह इसे नहीं चलने देंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मामले में वह पूरी तरह छात्रों व उनके अभिभावकों के साथ हैं। दाखिले के लिए सौ प्रतिशत अंक तक कट ऑफ तय करने के मामले को सिब्बल ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में किसी कालेज का नाम तो नहीं लिया, लेकिन कॉलेजों के इस नजरिए को खारिज जरूर कर दिया। उन्होंने कहा कि आखिर जो छात्र दिन-रात पढ़ाई करके 97, 98 व 99 प्रतिशत तक अंक लाते हैं, फिर भी उन्हें दाखिला न मिले तो यह तकलीफदेह है। उन्होंने कहा कि कॉलेजों के इस दृष्टिकोण को कतई जायज नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स का नाम लिए बिना ही कहा कि 100 प्रतिशत कट ऑफ तय करना दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन उम्मीद है कि अब आगे से कोई कॉलेज ऐसा नहीं करेगा। सिब्बल ने कहा कि हालांकि यह मामला सीधे तौर पर मांग और आपूर्ति के सिद्धांत से जुड़ा है। शिक्षा में सुधार के कई कानून बनाने की प्रक्रिया चल रही है। जब वे बन जाएंगे और भरपूर संसाधन होंगे तो फिर यह समस्या नहीं रह जाएगी। फिर भी उन्होंने दिल्ली के कालेजों में दाखिले को लेकर पैदा हुई इन स्थितियों पर संज्ञान लेने को कहा है। सिब्बल ने यह भी जोड़ा कि कुलपति ने कॉलजों में दाखिले को व्यावहारिक बनाने के प्रयास किए हैं। इस मौके पर मौजूद दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति दिनेश सिंह ने माना कि कुछ कॉलेजों ने कट ऑफ की पूरी प्रक्रिया को अपनाने में अनदेखी की है। फिर भी छात्रों व अभिभावकों को इससे परेशान नहीं होना चाहिए। अभी चार और कट ऑफ सूची आएंगी। बहुत सीटें हैं। उन्हें भरना है तो अच्छे अंक पाने वाले छात्रों को दाखिला मिलेगा ही। उनके मुताबिक इस साल पैदा हुई समस्या की एक वजह यह भी है कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में पिछले साल इंटर में जहां 200 छात्र थे, वहीं इस साल यह संख्या बढ़कर 800 हो गई है। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया व जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी कहा कि समस्या की जड़ मांग व आपूर्ति के सिद्धांत में निहित है। स्थिति तभी सुधार सकती है, जब पर्याप्त संसाधन हों। उमर अब्दुल्ला ने 100 प्रतिशत के कट ऑफ का हास्यापद करार दिया। उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा, डर लगता है कि मैं अपने बच्चे को पढ़ाऊंगा कैसे?

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