विद्यार्थियों का रिजल्ट सुधरा, पर बोर्ड का बिगड़ा

विद्यार्थियों का रिजल्ट सुधरा, पर बोर्ड का बिगड़ा
चंडीगढ़, जागरण ब्यूरो : प्रदेश के सरकारी स्कूलों में दसवीं का परीक्षा परिणाम पिछले वर्षो की तुलना में इस बार काफी हद तक घट गया है। घटे परीक्षा परिणाम ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों और शिक्षक नेताओं को बहस के लिए पुराना मुद्दा दे दिया है। पिछले पांच वर्षो की तुलना में इस बार सरकारी स्कूलों के परीक्षा परिणाम में 13 से 22 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज की गई है। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के अधिकारी सरकारी स्कूलों के परीक्षा परिणाम में आई गिरावट को सामान्य बता रहे हैं, जबकि हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ ने इसे सेमेस्टर प्रणाली की खामियों से जोड़ते हुए वार्षिक परीक्षा पद्धति लागू करने का सुझाव दिया है। हरियाणा के सरकारी स्कूलों का दसवीं का परीक्षा परिणाम इस बार 59.90 फीसदी रहा है। वर्ष 2010 में 76.34 प्रतिशत और वर्ष 2009 में 79.96 प्रतिशत परीक्षा परिणाम रहा। वर्ष 2008 में सर्वाधिक 81.20 प्रतिशत परीक्षा परिणाम ने सभी को चौंका कर रखा दिया। प्रदेश में जिस वर्ष 2006 में सेमेस्टर प्रणाली लागू की गई, उस दौरान दसवीं का परीक्षा परिणाम 45.42 प्रतिशत दर्ज किया गया। वर्ष 2007 से परीक्षा परिणाम में वृद्धि चालू हो गई। इस साल 60.27 प्रतिशत परीक्षा परिणाम रहा है। बताया जाता है कि इस साल के परीक्षा परिणाम से पहले विद्यार्थियों को इंटरनल मा‌र्क्स (आंतरिक नंबर) प्रदान किए गए, जिनके आधार पर परीक्षा परिणाम में आश्चर्यजनक सुधार हुआ है, लेकिन इस बार लिखित परीक्षा में 33 प्रतिशत अंक लाने की अनिवार्यता के चलते नतीजों के प्रतिशत में कमी दर्ज की गई है। विद्यार्थी ने लिखित परीक्षा में यदि 33 प्रतिशत अंक हासिल नहीं किए तो उसे पास नहीं माना गया। इस बार की व्यवस्था से पहले 33 प्रतिशत अंक हासिल करने की अनिवार्यता नहीं थी और विद्यार्थी आंतरिक नंबरों के बूते न केवल पास हुए बल्कि बोर्ड के परीक्षा परिणामों में भी आश्चर्यजनक सुधार हुआ है। हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ के प्रवक्ता कृष्ण कुमार निर्माण का कहना है कि सेमेस्टर प्रणाली ने बोर्ड व अधिकारियों को खुद कटघरे में खड़ा कर दिया है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने विद्यार्थियों के सामान्य ज्ञान की परवाह किए बगैर रिजल्ट में सुधार के उद्देश्य से सेमेस्टर प्रणाली को लागू कराया है। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के सचिव शेखर विद्यार्थी का कहना है कि परीक्षा परिणाम सामान्य है और इसमें किसी तरह का कोई विवाद नहीं है।

निजी सहायक निजी सचिव के पद पर अपग्रेड

चंडीगढ़ प्रदेश सरकार ने विभागाध्यक्षों के पास निजी सहायक के पद को निजी सचिव के पद पर अपग्रेड करने का निर्णय लिया है, ताकि इन श्रेणियों के कर्मचारियों को पदोन्नति के और अधिक अवसर उपलब्ध करवाए जा सकें। प्रदेश की मुख्य सचिव उर्वशी गुलाटी द्वारा इस आशय का एक परिपत्र जारी किया गया।


गैर-भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों सहित सचिव या विशेष सचिव रैंक के अधिकारी, जो विभागाध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे हैं और वेतनमान 37,400-67,000+10,000 रुपए या इससे अधिक के ग्रेड-वेतन में हैं, वे निजी सचिव के 9300-34, 800+4200 रुपए ग्रेड वेतन की सेवाओं के पात्र होंगे।

वे निजी सहायक के अतिरिक्त अन्य कर्मचारी जैसे कि निजी सहायक या वरिष्ठ स्केल आशुलिपिक के लिए पात्र नहीं होंगे। विधि परामर्शी कार्यालय और सचिव, हरियाणा विधि एवं विधायी विभाग तथा हरियाणा महाधिवक्ता कार्यालय को छोड़कर निदेशालय स्तर पर विभागाध्यक्ष के अलावा कोई भी अन्य अधिकारी निजी सचिव की सेवाओं के लिए पात्र नहीं होगा, चाहे वह वेतनमान 37,400-67,000+10,000 रुपए या इससे अधिक के ग्रेड-वेतन में हो। यदि निदेशालय में निजी सचिव का पहले से ही कोई दूसरा पद विद्यमान है तो जैसे ही पद की सेवानिवृत्ति या रिक्त स्थिति होने पर पद को उत्सर्ग (सरेंडर) समझा जाएगा तथा ऐसे मामलों में इस पद के स्थान पर निजी सहायक के पद स्वत: नवीनीकरण समझे जाएंगे।

निजी सहायक जो एक

वर्ष का निजी सहायक के रूप में अनुभव रखते हैं या वरिष्ठ स्केल आशुलिपिक जो आठ वर्ष का अनुभव रखते हैं, वे निजी सचिव के पद पर पदोन्नति के पात्र होंगे। इस संबंध में सेवा नियमों में आवश्यक प्रावधान एक वर्ष के अंदर-अंदर कर दिए जाएंगे।

ETT PAPER LEAK MAMLA

हरियाणा से शुरू होगी व्यावसायिक शिक्षा

हरियाणा से शुरू होगी व्यावसायिक शिक्षा
चंडीगढ़, जागरण ब्यूरो : केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने व्यावसायिक शिक्षा की प्रायोगिक परियोजना शुरू करने के लिए हरियाणा को चुना है। इस परियोजना के अंतर्गत बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। इससे न केवल उनकी दक्षता बढ़ेगी, बल्कि रोजगार पाने में भी उन्हें आसानी होगी। यह जानकारी प्रदेश की शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने दी है। राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा योग्यता फ्रेमवर्क के बारे में सोमवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित राज्यों के शिक्षामंत्रियों की बैठक में गीता भुक्कल ने कहा कि विभिन्न राज्यों में व्यावसायिक शिक्षा के प्रायोगिक चरण में विभिन्न क्षेत्रों को अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हरियाणा में कृषि, बागवानी, टेक्नोलॉजी और पशुपालन के क्षेत्रों में व्यावसायिक शिक्षा पर जोर दिया जा सकता है। इसी तरह मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में वहां की आवश्यकता के अनुसार व्यावसायिक शिक्षा के क्षेत्र चुने जा सकते हैं। बैठक में हरियाणा के अलावा बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक और मिजोरम के शिक्षा मंत्रियों और कई राज्यों के शिक्षा सचिवों ने भाग लिया। गीता भुक्कल ने व्यावसायिक शिक्षा के विषय को अन्य विषयों के समकक्ष रखने का सुझाव देते हुए कहा कि व्यावसायिक शिक्षा पर होने वाले प्रशिक्षण खर्च को केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाना चाहिए। शिक्षा मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय व्यावसायिक मानदंडों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाए और इसके लिए सक्षम पाठयक्रम तैयार किया जाए। पाठयक्रम ऐसा होना चाहिए जिससे प्रशिक्षण में कोई कठिनाई न आए। गीता भुक्कल ने कहा कि हरियाणा में जिन सेवा क्षेत्रों मे कौशल विकास की आवश्यकता है, उनमें बैकिंग और वित्तीय सेवाएं, संगठित खुदरा बाजार, आतिथ्य और पर्यटन व सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे व्यवसायों में कौशल प्रशिक्षण देना होगा, जिनकी आजकल मांग अधिक है। भुक्कल ने कहा कि व्यावसायिक शिक्षा के विषय को नौवीं, दसवीं के स्तर पर लाया जाना चाहिए। ऐसा करने से पसंद के विषय चुनने में आसानी रहेगी व प्रशिक्षण भी बेहतर होगा।

जेबीटी नियुक्ति मामल : सरकार ने मांगा समय

जेबीटी नियुक्ति मामल : सरकार ने मांगा समय
चंडीगढ़, जागरण संवाददाता : हरियाणा के नवनियुक्त जेबीटी अध्यापकों को गृह जिले में नियुक्ति न देने के मामले में पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में अपना जवाब दाखिल के लिए समय हरियाणा सरकार ने और समय देने की मांग की। इसे हाईकोर्ट ने स्वीकार करते हुए सरकार को जवाब के लिए समय दे दिया। इस संदर्भ में नवचयनित अध्यापकों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। फतेहाबाद, जींद, हिसार व भिवानी जिलों से चयनित व अन्य जिलों में नियुक्त नवनियुक्त जेबीटी अध्यापकों की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि सरकार ने अतिथि अध्यापकों को बनाए रखने के लिए उन्हें नियमों के विरूद्ध दूरस्थ जिलों में नियुक्ति दी है। याचिका में इस तथ्य का भी उल्लेख किया गया है कि भर्ती के समय जिला वार पद विज्ञापित किए थे और उम्मीदवारों से अपनी नियुक्ति की स्थिति में पंसद के जिले के विकल्प मांगे थे। चयन सूची जारी करते समय भी जिलावार मेरिट सूची भी जारी की गई। नियुक्ति के लिए काउंसलिंग के समय भी अध्यापकों से मनपंसद जिला विकल्प मांगा गया परंतु विभाग ने नियमों को ताक पर रखकर उन्हें अन्य जिलों में नियुक्ति दे दी। कई जिलों में तो विज्ञापित पदों की संख्या ज्यादा थी, परंतु वहां विज्ञापित पदों की मात्रा के अनुरूप नियुक्तियां नहीं दी गई। याचिका में यह तर्क भी पेश किया गया कि जेबीटी अध्यापकों का कैडर जिला स्तर का होता है और वरिष्ठता सूची भी जिला स्तर पर तैयार होती है। याचिका के अनुसार विभाग द्वारा बीएड डिग्री के आधार पर लगे अतिथि अध्यापकों को उनके पदों पर यथावत रखते हुए नियमित अध्यापकों को जिले से बाहर नियुक्ति देना नियमों के विरूद्ध है।

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