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शिक्षा प्रोत्साहन राशि देने के लिए आवेदन पत्र आमंत्रित

चंडीगढ़. हरियाणा सरकार ने अनुसूचित जाति छात्रा उच्च शिक्षा प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत वर्ष 2011-12 में प्रोत्साहन राशि देने के लिए आवेदन पत्र आमंत्रित किए हैं।

अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के एक प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए बताया कि प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने के लिए पात्र छात्रा अनुसूचित जाति और हरियाणा प्रदेश की निवासी होनी चाहिए तथा छात्रा के अभिभावकों की वाषिर्क आय एक लाख रुपये से 2 लाख 40 हजार रुपये तक होनी चाहिए।

उन्होंने बताया कि छात्रा को वर्ष में एक बार यह राशि दी जाएगी छात्रा पास होने के पश्चात अगली कक्षा में उक्त योजना के अन्तर्गत राशि लेनी की पात्र होगी। इसके अतिरिक्त, जो छात्रा पोस्ट मैट्रिक स्कोलशिप स्कीम, अनुसूचित जाति तथा राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही स्कीमों में से किसी भी स्कीम की लाभपात्र होगी, तो वह इस स्कीम के लाभ की पात्र नहीं होगी।

यदि कोई छात्रा गलत तथ्य देकर उक्त स्कीम का लाभ प्राप्त करती है, तो तथ्य गलत साबित होने पर उससे राशि वसूल की जाएगी।

उन्होंने बताया कि योग्य छात्राएं संबंधित विश्वविद्यालय/ महाविद्यालय/ संस्थान के माध्यम से संबंधित जिला कल्याण अधिकारी के कार्यालय में 31 दिसम्बर, 2011 तक आवेदन पत्र जमा करवा सकती है। निर्धारित तिथि के पश्चात आवेदन पत्र पर विचार नहीं किया जाएगा। आवेदन पत्र जिला कल्याण अधिकारी के कार्यालय से मुफ्त भी प्राप्त किये जा सकते हैं।

प्रवक्ता ने अनुसूचित जाति छात्रा उच्च शिक्षा प्रोत्साहन योजना की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि इस योजना के तहत भिन्न-भिन्न कोर्सो/कक्षाओं में दाखिला लेने के पश्चात छात्राओं को यह राशि दी जाएगी।

उन्होंने बताया कि 10+2 की परीक्षा उत्तीर्ण करने के उपरान्त जो छात्राएं तकनीकी व्यवसायी कोर्सो में डिप्लोमा जैसे कि बीसीए, नर्सिग/डीफार्मा/बीएड तथा डीएड (जेबीटी) इत्यादि करेंगी, वे हॉस्टलर के लिए 7000 रुपए और नॉन हॉस्टलर के लिए 5000 रुपए की पात्र होंगी।

शिक्षा विभाग के महानिदेशक को अवमानना नोटिस

चंडीगढ़, जासं : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा स्कूली शिक्षा विभाग के महानिदेशक को अवमानना नोटिस जारी किया है। हाईकोर्ट ने यह नोटिस ईश्र्वर सिंह व अन्य कई अध्यापकों द्वारा दायर अवमानना याचिका पर जारी किया। याचिकाकर्ता अध्यापकों ने कोर्ट को बताया कि वे सभी मिडिल स्कूलों के मुख्य अध्यापक हैं। उन्होने पिछले साल हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर सरकार को मिडिल स्कूलों के मुख्य अध्यापकों को सभी सुविधाएं व लाभ देने के साथ उनकी हाईस्कूल के मुख्याध्यापक के पद पर तरक्की करने के लिए सरकार को निर्देश देने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने इसका निपटारा करते हुए याचिकाकर्ता को कहा था कि वो इस बाबत शिक्षा विभाग को अपनी प्रस्तुति दे तथा शिक्षा विभाग को उस पर उचित कार्रवाही करने का आदेश दिया था।

अध्यापकों को आपत्ति दर्ज करवाने का मौका देगा शिक्षा विभाग : हसला

शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल व शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों ने हसला के प्रतिनिधि मंडल को आश्वासन दिया है कि शिक्षा विभाग में तबादलों की ऑनलाइन सुविधा का दुरुपयोग किए जाने की शिकायतों को देखते हुए तबादलों को अंतिम रूप देने से पूर्व तबादला  सूची को इंटरनेट पर डालकर प्रभावित अध्यापकों को एक निश्चित समय सीमा में ऑनलाइन आपत्ति दर्र्ज करवाने का मौका दिया जाएगा। यह जानकारी हरियाणा लेक्चरर्र्स एसोसिएशन (हसला) के प्रांतीय प्रधान किताबङ्क्षसह मोर ने आज यहां जारी विज्ञप्ति में दी

हरियाणा में खुल सकती

चंडीगढ़। हरियाणा को नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी का तोहफा मिल सकता है। यह संकेत कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को दिया है। उधर, मुख्यमंत्री ने फिर अलग हाईकोर्ट की मांग की है। मुख्यमंत्री शुक्रवार को दिल्ली में कानून मंत्री वीरप्पा मोइली से मिले।

आईडी और जन्मतिथि चोरी कर तबादला कराने वालों से शिक्षक वर्ग हुआ परेशान

निदेशालय से होगी कार्रवाई
भास्कर न्यूज & फतेहाबाद
शिक्षा विभाग की ओर से शुरू की गई ऑनलाइन ट्रांसफर सुविधा अध्यापक व लेक्चरर वर्ग के लिए परेशानी बन गई है। यह सुविधा खामियों भरी है। कोई भी व्यक्ति किसी अध्यापक व लेक्चरर का आईडी एवं जन्मतिथि चोरी कर ट्रांसफर का ऑप्शन भर सकता है। कुछ ऐसा ही वाकया राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय फतेहाबाद के फिजिक्स के लेक्चरर विजय कुमार, गणित लेक्चरर रामसिंह व रोशनलाल, कृष्ण कुमार के साथ हुआ है। किसी व्यक्ति ने ऑनलाइन ट्रांसफर के तहत वेबसाइट पर उनकी आईडी व जन्मतिथि भर दी। उसने कहीं और का ही ट्रांसफर स्टेशन भर दिया। अब इन सबके पास कोई चारा नहीं है। लेक्चरर ने मामले की शिकायत शिक्षा विभाग के निदेशक को पत्र भेजकर जांच की मांग की है। इसके अलावा जिला शिक्षा अधिकारी व पुलिस को भी शिकायत कर कार्रवाई की मांग की है। निदेशक को भेजे पत्र में उक्त लोगों ने बताया कि मुख्यालय की ओर से उन्हें एक ऑनलाइन कोड नंबर दिया गया है। इस नंबर के जरिए अध्यापक अपनी इच्छानुसार ट्रांसफर के लिए स्टेशन आवेदन कर सकता है। शुक्रवार को वह अपने-अपने एरिया के साइबर कैफे पर ऑनलाइन ट्रांसफर का आवेदन करने के लिए गए और जैसे ही मेल आईडी ओपन करने के बाद अपना कोड नंबर डाला तो उसने स्वीकार नहीं किया। मैसेज दिया गया कि इसका पहले प्रयोग किया जा चुका है। जबकि वह पहली बार ही प्रयोग कर रहा थे। उन्हें शक है कि किसी ने किसी ने उनकी आईडी व जन्मतिथि कहीं से चोरी कर ऑप्शन भर कर दिया। जांच के बाद ही पता लगेगा कि कहीं किसी ने ऑनलाइन ट्रांसफर पालिसी के तहत उनके स्टेशन न बदल दिए हो। उनका कहना है कि विभाग ने जो सुविधा शुरू की है, वह सही नहीं है। इसमें मात्र आईडी व जन्मतिथि ही भरनी होती है जबकि यह जानकारी स्कूल या शिक्षा विभाग के कार्यालय में बड़ी आसानी से पता की जा सकती हैं। कोई भी व्यक्ति रंजिशवश इन चीजों का पता ऑनलाइन ट्रांसफर के ऑप्शन का गलत प्रयोग कर सकता है। इससे अध्यापकों को नुकसान होगा।
ऑनलाइन ट्रांसफर सुविधा शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी की गई है। इससे संबंधित कोई भी समस्या है, निदेशक को अवगत कराना पड़ेगा। जिला शिक्षा विभाग का इसमें कोई रोल नहीं है।"
कार्यकारी जिला शिक्षा अधिकारी।

अब पास होने के लिए 40 प्रतिशत अंक जरूरी

प्रदेश के डिग्री कालेजों में पढऩे वाले बहुत से छात्रों के लिए अब पास होना उतना आसान नहीं होगा। पास होने के लिए किसी तरह 35 प्रतिशत अंकों का जुगाड़ करने की जुगत में लगे रहने वाले छात्रों के लिए अब खतरे की घंटी बज चुकी है।

अब इन छात्रों को 35 प्रतिशत नहीं, बल्कि 40 प्रतिशत प्राप्त करने की जुगत में लगानी पड़ेगी। कहीं पीछे छूटे तो फेल होना तय है। वहीं यह फैसला प्रोफेशनल कोर्सों के छात्रों के लिए खुशी लेकर आया है, क्योंकि इससे पहले बीबीए, बीसीए और पीजी कोर्सों के छात्रों को पास होने के लिए 40 से 50 प्रतिशत अंक लेने अनिवार्य होते थे, लेकिन अब सभी छात्रों के लिए एक समान पास प्रतिशत यानि 40 प्रतिशत होगा।

महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के इस अहम फैसले को प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों ने माना है। विवि अपने इस फैसले को आगामी शैक्षणिक सत्र से लागू करने जा रहा है। हालांकि अभी यह ऑर्डर कॉलेजों के पास नहीं आए हैं। जल्दी ही सभी संबंधित कॉलेजों को भी इस फैसले की कापी भेजी जाएगी।

शिक्षा मंत्री का हाल बेहाल, बेटा-बेटी भी हो गए फेल


रांची। राज्य के शिक्षा मंत्री वैद्यनाथ राम के बेटा-बेटी इंटरमीडिएट में फेल हो गए हैं। बेटा प्रभात कुमार व बेटी पूनम कुमारी ने राजधानी के डोरंडा कॉलेज से कॉमर्स संकाय की परीक्षा दी थी। प्रभात को पूर्णांक 500 में से मात्र 139 अंक मिले। उसे दो विषयों में पासिंग माक्र्स भी नहीं मिले। प्रभात को विषयवार अंग्रेजी में 23, एसीटी में 45, बीएमटी में 05,बीएसटी में 33 और इकोनॉमिक्स में 33 अंक मिले हैं। हालांकि प्रैक्टिकल में उसे 20 में से 19 अंक प्राप्त हुए हैं। प्रैक्टिकल परीक्षा कॉलेज में ही ली जाती है।

वहीं पूनम को मात्र 134 अंक ही मिल पाए हैं। विषयवार उसे अंग्रेजी में 17, एसीटी में 48, बीएसटी में 36, बीएमटी में 23 और इकोनॉमिक्स में 10 अंक मिले हैं। कॉलेज में हुए प्रैक्टिकल में पूनम को 20 में से 20 अंक मिले। हालांकि उसे तीन विषयों में पास होने के लिए न्यूनतम अंक भी नहीं मिल पाए। इसलिए उसे असफल करार दिया गया।

पढ़ाई-लिखाई का बदलेगा दशकों पुराना ढर्रा

नई दिल्ली : केंद्रीय व राज्य विश्वविद्यालयों में पढ़ाई-लिखाई का दशकों पुराना ढर्रा बदलेगा। वे सिर्फ ग्रेजुएट व पोस्ट ग्रेजुएट बनाने की फैक्ट्री के रूप में काम नहीं करेंगे। जरूरत के लिहाज से उच्च शिक्षा में वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए उन्हें उत्कृष्टता केंद्र (सेंटर फॉर एक्सीलेंस) बनाने का सपना है। लिहाजा सबसे पहले विश्वविद्यालयों पर सैकड़ों कॉलेजों की संबद्धता का बोझ कम किया जाएगा। जबकि यूजीसी के मानकों की कसौटी पर खरे उतरने वाले कॉलेजों को राज्य विश्वविद्यालय में तब्दील कर दिया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक उच्च शिक्षा में सुधार की विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की पहलकदमियों में से एक विश्वविद्यालयों से कॉलेजों की संबद्धता को खत्म करना भी है। यह 12वीं पंचवर्षीय योजना के उसके एजेंडे में शामिल है। आयोग का मानना है कि जिन विश्वविद्यालयों में अच्छी पढ़ाई-लिखाई व शोध की संभावनाएं हैं, वे भी कुछ खास नहीं कर पा रहे हैं। वे कॉलेजों की संबद्धता के बोझ से दबे हैं। मसलन हैदराबाद की उस्मानिया यूनिवर्सिटी से लगभग एक हजार से भी अधिक कालेज संबद्ध हैं। जबकि बाकी अनेक विश्वविद्यालयों पर सौ से लेकर छह-सात सौ कालेजों की संबद्धता का बोझ है। यूजीसी के कार्यवाहक चेयरमैन प्रो. वेदप्रकाश के मुताबिक विश्वविद्यालयों से कालेजों की संबद्धता चरणबद्ध तरीके से खत्म की जा सकती है। उसके लिए विश्वविद्यालय बनने की कसौटी पर खरे उतरने वाले संबद्ध कॉलजों को राज्य विश्वविद्यालय में तब्दील किया जा सकता है। मसलन शिक्षकों, छात्रों, कैंपस और संसाधनों के मामले में वे एक न्यूनतम निश्चित आधार (क्रिटिकल मास) को पूरा करते हों। ऐसे कॉलेजों के रूप में यूजीसी की ओर से चिन्हित कॉलेज, स्वायत्तशासी कॉलेज, राष्ट्रीय मूल्यांकन व मान्यता परिषद (नैक) की सूची में शामिल कालेजों की समीक्षा की जा सकती है। उम्मीद है कि उनमें से लगभग 500 कॉलेज राज्य विश्वविद्यालय बनाने के मापदंडों पर खरे उतर सकते हैं। जाहिर है इससे संबद्धता देने वाले विश्वविद्यालयों का बोझ कम होगा।

हरियाणा से शुरू होगी व्यावसायिक शिक्षा

हरियाणा से शुरू होगी व्यावसायिक शिक्षा
चंडीगढ़, जागरण ब्यूरो : केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने व्यावसायिक शिक्षा की प्रायोगिक परियोजना शुरू करने के लिए हरियाणा को चुना है। इस परियोजना के अंतर्गत बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। इससे न केवल उनकी दक्षता बढ़ेगी, बल्कि रोजगार पाने में भी उन्हें आसानी होगी। यह जानकारी प्रदेश की शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने दी है। राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा योग्यता फ्रेमवर्क के बारे में सोमवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित राज्यों के शिक्षामंत्रियों की बैठक में गीता भुक्कल ने कहा कि विभिन्न राज्यों में व्यावसायिक शिक्षा के प्रायोगिक चरण में विभिन्न क्षेत्रों को अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हरियाणा में कृषि, बागवानी, टेक्नोलॉजी और पशुपालन के क्षेत्रों में व्यावसायिक शिक्षा पर जोर दिया जा सकता है। इसी तरह मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में वहां की आवश्यकता के अनुसार व्यावसायिक शिक्षा के क्षेत्र चुने जा सकते हैं। बैठक में हरियाणा के अलावा बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक और मिजोरम के शिक्षा मंत्रियों और कई राज्यों के शिक्षा सचिवों ने भाग लिया। गीता भुक्कल ने व्यावसायिक शिक्षा के विषय को अन्य विषयों के समकक्ष रखने का सुझाव देते हुए कहा कि व्यावसायिक शिक्षा पर होने वाले प्रशिक्षण खर्च को केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाना चाहिए। शिक्षा मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय व्यावसायिक मानदंडों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाए और इसके लिए सक्षम पाठयक्रम तैयार किया जाए। पाठयक्रम ऐसा होना चाहिए जिससे प्रशिक्षण में कोई कठिनाई न आए। गीता भुक्कल ने कहा कि हरियाणा में जिन सेवा क्षेत्रों मे कौशल विकास की आवश्यकता है, उनमें बैकिंग और वित्तीय सेवाएं, संगठित खुदरा बाजार, आतिथ्य और पर्यटन व सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे व्यवसायों में कौशल प्रशिक्षण देना होगा, जिनकी आजकल मांग अधिक है। भुक्कल ने कहा कि व्यावसायिक शिक्षा के विषय को नौवीं, दसवीं के स्तर पर लाया जाना चाहिए। ऐसा करने से पसंद के विषय चुनने में आसानी रहेगी व प्रशिक्षण भी बेहतर होगा।

जेबीटी नियुक्ति मामल : सरकार ने मांगा समय

जेबीटी नियुक्ति मामल : सरकार ने मांगा समय
चंडीगढ़, जागरण संवाददाता : हरियाणा के नवनियुक्त जेबीटी अध्यापकों को गृह जिले में नियुक्ति न देने के मामले में पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में अपना जवाब दाखिल के लिए समय हरियाणा सरकार ने और समय देने की मांग की। इसे हाईकोर्ट ने स्वीकार करते हुए सरकार को जवाब के लिए समय दे दिया। इस संदर्भ में नवचयनित अध्यापकों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। फतेहाबाद, जींद, हिसार व भिवानी जिलों से चयनित व अन्य जिलों में नियुक्त नवनियुक्त जेबीटी अध्यापकों की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि सरकार ने अतिथि अध्यापकों को बनाए रखने के लिए उन्हें नियमों के विरूद्ध दूरस्थ जिलों में नियुक्ति दी है। याचिका में इस तथ्य का भी उल्लेख किया गया है कि भर्ती के समय जिला वार पद विज्ञापित किए थे और उम्मीदवारों से अपनी नियुक्ति की स्थिति में पंसद के जिले के विकल्प मांगे थे। चयन सूची जारी करते समय भी जिलावार मेरिट सूची भी जारी की गई। नियुक्ति के लिए काउंसलिंग के समय भी अध्यापकों से मनपंसद जिला विकल्प मांगा गया परंतु विभाग ने नियमों को ताक पर रखकर उन्हें अन्य जिलों में नियुक्ति दे दी। कई जिलों में तो विज्ञापित पदों की संख्या ज्यादा थी, परंतु वहां विज्ञापित पदों की मात्रा के अनुरूप नियुक्तियां नहीं दी गई। याचिका में यह तर्क भी पेश किया गया कि जेबीटी अध्यापकों का कैडर जिला स्तर का होता है और वरिष्ठता सूची भी जिला स्तर पर तैयार होती है। याचिका के अनुसार विभाग द्वारा बीएड डिग्री के आधार पर लगे अतिथि अध्यापकों को उनके पदों पर यथावत रखते हुए नियमित अध्यापकों को जिले से बाहर नियुक्ति देना नियमों के विरूद्ध है।

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