बरसात में डटे रहे गेस्ट टीचर तो सीएम ने मिलने बुलाया
भास्कर न्यूज|चंडीगढ़/नई दिल्ली।नौकरी बहाली की मांग को लेकर महेंद्रगढ़ में महापड़ाव डाले बैठे गेस्ट टीचर शनिवार को दिल्ली पहुंच गए। यहां हरियाणा भवन में सीएम मनोहरलाल खट्टर से बात करने की। सीएम ने कहा कि उनके साथ अधिकारी नहीं हैं, इसलिए रविवार को चंडीगढ़ आकर मिलें। इस पर गेस्ट टीचर ने कहा कि तब तक उनका धरना जारी रहेगा। पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने गेस्ट टीचर को नौकरी से निकालने के आदेश दे रखे हैं। गेस्ट टीचर की सरकार से मांग है कि उन्हें पक्काकिया जाए। इसी मांग को लेकर शनिवार को मूसलाधार बरसात के बीच चार सौ गेस्ट टीचर दिल्ली पहुंच गए। इनकी मांग थी कि सीएम उनकी बात सुनें। जब बात नहीं बनेगी बारिश में धरना देंगे। इस पर सीएम ने देर शाम चाणक्य पुरी गेस्ट हाउस में 5 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को बुलाया। गेस्ट टीचरों के प्रदेश प्रवक्ता अजय लोहान ने बताया कि सीएम ने कहा कि इस वक्त उनके साथ अधिकारी नहीं है। लिहाजा इस मसले पर कुछ नहीं बोल सकते। बात बनती देखते हुए गेस्ट टीचर ने आंदोलन
जारी रखने का निर्णय लिया है। अजय लोहान ने बताया कि जब तक उनकी मांग नहीं मानी जाती तब तक धरना जारी रहेगा।
लोहान का कहना है कि विधानसभा चुनाव से पहले हरियाणा भाजपा ने गेस्ट टीचर्स को नौकरी पक्की करने का वादा किया
था। लेकिन अब सरकार के प्रमुख शिक्षा सचिव ने हाईकोर्ट जानकारी देते हुए कहा है कि राज्य में अध्यापक सरप्लस में हैं।
सरकार के इस जवाब के बाद गेस्ट टीचर्स की नौकरियों पर तलवार लटक गई है इस मुद्दे पर गेस्ट टीचर्स एक बार फिर आंदोलन पर उतर आए हैं। दिल्ली आए गेस्ट टीचर्स का कहना है कि अब वह चंडीगढ़ में सरकार के प्रतिनिधियों से इस विषय पर गंभीर चर्चा करेंगे। टीचर्स को उम्मीद है कि सरकार उनकी नौकरियां बहाल रखेगी लेकिन ऐसा होने की सूरत में टीचर्स का कहना है कि वे चंडीगढ़ से लेकर दिल्ली तक अपनी लड़ाई दोबारा लड़ेंगे।
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खेलों के प्रदेश में कैलेंडर से स्कूली खेल गायब
.राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : खेल के क्षेत्र में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके हरियाणा के सरकारी प्राइमरी स्कूलों में खेल हाशिये पर हैं। प्रदेश सरकार स्कूलों में खेलों को तरजीह नहीं दे रही। खेल कैलेंडर में प्राइमरी स्कूलों के खेल को कभी जगह ही नहीं मिली। इतना ही नहीं स्कूलों को खेल के लिए बजट भी नहीं दिया जा रहा। 2008 के बाद स्कूलों में खेल सामग्री मुहैया नहीं कराई गई। 60 प्रतिशत के करीब स्कूलों में खेल मैदान तक नहीं हैं। भाजपा सरकार को भी नई खेल नीति लाए पांच महीने बीत चुके हैं, लेकिन प्राइमरी स्कूलों में खेल के दिन बहुरने की उम्मीद नहीं जगी है। नई खेल नीति का मूल उद्देश्य ही धरातल पर खिलाड़ियों को तैयार करना है। मगर अभी तक ये होता नहीं दिखाई दे रहा। 8996 प्राथमिक स्कूलों के लगभग 15 लाख बच्चे खेल सुविधाओं से वंचित हैं। हालांकि स्कूलों में हर वर्ष भिन्न-भिन्न आयु वर्ग के बच्चों के खेल कराए जाते हैं। बावजूद सरकार उचित सुविधाएं मुहैया कराने की ओर ध्यान नहीं दे रही। प्राइमरी स्कूलों के खेल में केवल उन्हीं खेलों को शामिल किया गया है, जिन पर सरकार व विभाग का एक भी रुपया खर्च न हो। स्कूलों में कबड्डी, कुश्ती, दौड़, ऊंची व लंबी कूद कराई जाती है। प्रदेश के पहलवान जहां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन कर चुके हैं, वहीं स्कूलों में कुश्ती को बढ़ावा देने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए। प्राइमरी स्कूलों को खंडस्तर पर होने वाले खेलों की सूचना महज दो दिन पहले दी जाती है। जिला स्तर पर होने वाले खेलों के लिए शिक्षकों को अपनी जेब से खर्च करना पड़ता है।
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तीन दिन में नहीं भेजी रिपोर्ट तो होगी अनुशासिनक कार्रवाई
.जागरण संवाददाता, सोनीपत:
जिला खेल अधिकारियों को खेल निदेशालय के आदेश को लापरवाही में लेने का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। समय पर
आदेश का पालन न करने पर खेल अधिकारियों पर अनुशासनिक कार्यवाही की जा सकती है। खेल निदेशालय की तरफ से पिछले माह सभी खेल अधिकारियों को अपने अधीनस्थ प्रशिक्षकों व कर्मचारियों की सारी जानकारी आनलाइन डालने के लिए
निर्देश दिया था। लेकिन खेल अधिकारियों की तरफ से कोई भी जानकारी आनलाइन नहीं डाली गई। खेल निदेशालय ने कागजी बोझ को कम करने के लिए अधिकतर काम आनलाइन शुरू कर दिया है। ऐसे में खेल अधिकारियों को मुख्यालय
की तरफ से निर्देश भी वाट्सएप पर दिए जा रहे हैं। वहीं प्रत्येक प्रशिक्षक को अपनी हाजिरी भी वाट्सएप पर लगाने के निर्देश दिए गए हैं। ऐसे में निदेशालय की तरफ से आदेश दिया गया था कि खेल अधिकारियों के अधीनस्थ काम करने वाले सभी प्रशिक्षकों व कर्मचारियों की रिपोर्ट आनलाइन की जाए। लेकिन खेल अधिकारियों ने लापरवाही बरतते हुए किसी भी प्रशिक्षक व कर्मचारी की रिपोर्ट आनलाइन नहीं की। मुख्यालय ने सभी खेल अधिकारियों को पत्र जारी करते हुए कहा कि अगर उन्होंने तीन दिन में रिपोर्ट नहीं जमा कराई तो उनको अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
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