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बीएड कॉलेजों पर शिकंजा

बीएड कॉलेजों पर शिकंजा
दयानंद शर्मा, चंडीगढ़ प्रदेश में जेबीटी व बीएड कॉलेजों के नाम पर चल रही दुकानें नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) के गले की फांस बनने वाली हैं। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने रुपये लेकर मास्टर बनाने वाले संस्थानों पर शिकंजा कसने का मन बना लिया है। एनसीटीई के रोक लगाने पर नाकाम होने से हाई कोर्ट खफा है। उच्च न्यायालय ने कड़ा रुख अपनाते हुए एनसीटीई के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. राम किशोर को कड़ी फटकार लगाते हुए स्पष्ट किया है कि इस मामले में की जा रही जांच से हाई कोर्ट संतुष्ट नहीं है। कोर्ट को लगता है कि आप लोगों की जांच के लिए क्यों न कमेटी का गठन कर दिया जाए? कोर्ट ने यह प्रतिक्रिया एनसीटीई द्वारा पेश जांच रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए दी। एनसीटीई ने रिपोर्ट में कोर्ट को बताया कि उसने 44 जांच दल बनाए हैं जिन्होंने 434 संस्थानों की जांच की है व 390 की रिपोर्ट तैयार कर ली है। अनियमितता के कारण 15 संस्थानों की पहचान कर उनको नोटिस जारी कर दिया गया है। खंडपीठ ने एनसीटीई के क्षेत्रीय निदेशक से कहा कि जांच सही नहीं हो रही है। एनसीटीई की कमी के कारण ही दुकानों की तरह कॉलेज खुले हैं और इसके लिए एनसीटीई ही उत्तरदायी है। अगर एनसीटीई की कार्यप्रणाली सही होती तो ऐसे हालात पैदा नहीं होते। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि ऐसे में एनसीटीई की कार्यप्रणाली की जांच होनी चाहिए।
 

चयनित शिक्षकों को आरोपी बनाने पर फैसला 24 को

हरियाणा के बहुचर्चित जेबीटी भर्ती घोटाले में अनुचित तरीके से चयनित होने वाले शिक्षकों को आरोपी बनाने को लेकर अदालत 24 मार्च को फैसला सुनाएगी। रोहिणी कोर्ट स्थित सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश विनोद कुमार की अदालत उसी दिन यह तय करेगी कि चयनित होने वाले शिक्षक मामले में आरोपी बनाए जाएंगे या नहीं। इस मामले में जांच एजेंसी सीबीआइ ने बुधवार को अदालत में अपना पक्ष रखते हुए चयनित शिक्षकों के मामले में आरोपी न बनाने को लेकर दलीलें पेश की। इसके पूर्व मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने 16 मार्च को सीबीआइ को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था। अदालत ने यह नोटिस मामले के सह आरोपी नारायण सिंह रूहिल की अर्जी के आलोक में जारी किया था। इसमें आरोप लगाया गया था कि चयनित तीन हजार अभ्यर्थियों में एक हजार 577 अभ्यर्थी अयोग्य हैं।

नियमों को ताक पर रखने वाले जेबीटी एवं बीएड कॉलेजों के खिलाफ एनसीटीई

हाई कोर्ट के आदेश के बाद नियमों को ताक पर रखने वाले जेबीटी एवं बीएड कॉलेजों के खिलाफ एनसीटीई ने कार्रवाई शुरू कर दी है। यह जानकारी एनसीटीई की ओर से पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में एक हलफनामा देकर दी गई। एनसीटीई ने 15 कॉलेजों को नोटिस जारी किया है। एनसीटीई द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है कि इसके लिए 44 जांच दल बनाए गए हैं। इन दलों ने 434 संस्थान की जांच की है। इनमें से 390 की रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। हलफनामे के अनुसार नियमों की अनदेखी करने वाले 15 संस्थानों की पहचान की गई है। इन सभी को नोटिस जारी कर दिया गया है। इनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। विदित रहे कि हरियाणा में जेबीटी व बीएड कॉलेजों के नाम पर चल रही दुकानों के खिलाफ हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल हुई थी। याचिका में हरियाणा के निजी जेबीटी व बीएड कॉलेजों में की जा रही भारी अनियमितताओं व फर्जीवाड़े की किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच की मांग की गई थी। इस संबंध में हाई कोर्ट ने

35 प्रिंसिपलों पर लटकी निलंबन की तलवार

अंबाला : मेवात के नूंह की तरह अंबाला में भी मैदान विकसित करवाने में 38 लाख रुपये के फंड का दुरुपयोग हुआ है। नूंह में छह प्रिंसीपल के निलंबन के बाद अंबाला में भी करीब 35 स्कूल के प्रिंसिपलों पर निलंबन की तलवार लटक गई है। हालांकि, ज्वाइंट निदेशक जांच करके चले गए हैं लेकिन अब तक कार्रवाई के आदेश जारी नहीं किए गए क्योंकि तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी फंसते हैं।
शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल के कड़े तेवर के चलते अब यहां भी अफसरों को कार्रवाई करनी होगी अन्यथा मंत्री के दरबार में सफाई देनी होगी। याद रहे कि खेल मैदान विकसित करवाने के लिए 38 लाख रुपये की ग्रांट निदेशालय की ओर से स्कूलों में भेजी गई थी जिसे बाद में वापस मंगवा लिया गया। स्कूलों के प्रिंसिपलों ने विभिन्न फंडों से गैरकानूनी ढंग से पैसा निकालकर सरकारी खजाने में जमा करवा दिए। दैनिक जागरण में प्रकाशित समाचार पर संज्ञान लेते हुए शिक्षा विभाग की वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव सुरीना राजन के निर्देश पर ज्वाइंट निदेशक आरपी यादव 38 स्कूलों के प्रिंसिपलों से पूछताछ की थी। उस समय प्रिंसिपलों ने दो टूक कहा कि पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी के आदेशों पर ही स्कूलों से फंड निकालकर डीईओ ऑफिस में जमा करवाया था।
सूत्रों का कहना है कि इस प्रकरण में स्कूलों के प्रिंसिपलों पर विभागीय कार्रवाई सीधे तौर पर बनती है। यदि स्कूलों के प्रिंसिपलों ने जिला शिक्षा अधिकारी पर आरोप लगा रहे हैं तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है। ऐसे में शिक्षा विभाग ने यह मामला ही ठंडे बस्ते में डाल दिया। लेकिन, अब मेवात में खेल सामग्री में घपला का मामला प्रकाश में आने के बाद अंबाला में भी स्कूलों के प्रिंसिपलों की नींद उड़ गई है। उधर, शिक्षा विभाग की वित्तायुक्त एवं प्रधान सचिव सुरीना राजन ने कहा यह मामला उनके संज्ञान में आया था। अब वे निदेशक से इसकी रिपोर्ट मांगेंगे, यदि कोई भी दोषी पाया गया तो उसे निलंबित किया जाएगा।
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गबन से बचने के लिए डीईओ ऑफिस का निकाला फंड
शिक्षा विभाग के निदेशक ने फंड जमा करने के आदेश जारी किए थे, जिसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने स्कूलों में पत्राचार कर एक-एक लाख का फंड वापस मांगा। आनन-फानन में अधिकारी ने छुट्टी वाले दिन यानी की शनिवार, 22 मई 2010 को डीईओ ऑफिस के बैंक खाते से रुपये निकलवा लिए थे। यह रुपये निदेशक कार्यालय भेज दिए गए ताकि कार्रवाई से बचा जा सके। ------------------
इन स्कूलों में भेजा गया था फंड
1-शहर के बलदेव नगर स्थित गर्वमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल (लड़कों) का।
2-गर्वमेंट सीनियर

910,603,234,300,000 रु. भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए!

ये हैं उन घोटालों का लेखा जोखा जो आजादी के बाद से अब तक लोगों के सामने आएं है। ऐसा नहीं है कि यह सूची अपने आप में अंतिम है। दरअसल ये वे घोटालें हैं जो पकड़े गए और जनता की नजर में आ सकें।

घोटालों की इस पूरी राशि को जोड़ दिया जाए तो यह 910,603,234,300,000 रूपए बैठती है जो अमेरिकन डॉलर में 20.23 खरब के बराबर है।

अगर इस राशि को भारत के कल्याण के लिए लगाया जाए तो भारत रातों-रात सुपर पावर बन जाएगा। और भारत की तमाम तरह की सामाजिक समस्याओं जैसे गरीबी,बेरोजगारी,अशिक्षा,कुपोषण आदि से आसानी से निजात पाया जा सकता है।

ऐसा भी नहीं है कि यह सूची अंतिम है बल्कि इसमें आए दिन जो नित्य नए घोटाले उजागर होते जा रहे है अगर उन्हें भी मिला दिया जाए तो हम एक बिलकुल नई बढ़ी हुई राशि पाएंगे।

कौन कितना विकलांग, जांच के बाद ही मिलेगी नौकरी



बिलासपुर.विकलांगता सर्टिफिकेट के सहारे शिक्षाकर्मी बनने की कोशिश करने वालों की अब खैर नहीं है। जिला पंचायत सीईओ ने विकलांग कोटे से चयनित उम्मीदवारों के नियुक्ति आदेश पर रोक लगा दी है। ऐसे उम्मीदवारों की विकलांगता को परखने के लिए सिविल सर्जन के नेतृत्व में कमेटी बनाई जाएगी। यही कमेटी तय करेगी कि कौन कितना विकलांग है।

जिला पंचायत ने शिक्षाकर्मी वर्ग एक और दो के 311 पदों पर चयन की प्रक्रिया पूरी कर ली है। अब नियुक्ति और पदस्थापना की जा रही है। चयनित उम्मीदवारों में वर्ग-1 के 6 और वर्ग-2 के 3 उम्मीदवारों का चयन विकलांग कोटे से हुआ है। जिला पंचायत सीईओ भुवनेश यादव ने इन उम्मीदवारों को नियुक्ति आदेश जारी करने पर रोक लगा दी है।

उन्हें तब-तक नियुक्ति नहीं मिलेगी, जब तक कि इनके विकलांगता की पुष्टि नहीं हो जाती। सीईओ ने सिविल सर्जन को कमेटी बनाने के निर्देश दिए हैं। यह कमेटी अत्याधुनिक उपकरणों के साथ पता लगाएगी कि उम्मीदवार विकलांग है या नहीं।

इतना ही नहीं कमेटी विकलांगता के प्रतिशत का भी आंकलन करेगी। कमेटी जारी सर्टिफिकेट का भी सत्यापन करेगी।विकलांग कोटे से चयनित उम्मीदवारों की नियुक्ति कमेटी की रिपोर्ट पर निर्भर करेगी।

जाएंगे जेल

जिला पंचायत सीईओ भुवनेश यादव ने विकलांग प्रमाण पत्र गलत मिलने पर एफआईआर का आदेश दिया है। श्री यादव ने  बताया कि विकलांगता फर्जी मिली तो उम्मीदवारों को शिक्षाकर्मी के लिए अपात्र माना जाएगा, साथ ही कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।

इन्हें विकलांगता का लाभ

वर्ग-1

नेत्र बाधित: अशोक कुमार सिहारे

अस्थि बाधित: रामकुमार सोनी, रामगोपाल टेंगवार, शैलेष पातूरवार, राय कृष्णदास

श्रवण बाधित: शरद कुमार शर्मा

वर्ग-२

अस्थि बाधित: पीयूषधर शर्मा

श्रवण बाधित: वर्षा यादव, भारती दुबे

भास्कर ने किया था खुलासा

पिछले कुछ दिनों से विकलांग प्रमाण पत्र बनवाने वाले बढ़ गए हैं। शिक्षाकर्मी सहित भर्तियों में मिलने वाले लाभ के लिए उम्मीदवार सब कुछ ठीक होने के बाद भी खुद को विकलांग बताने लगे हैं। दैनिक भास्कर ने 25 जून के अंक में इस मामले को प्रमुखता से प्रकाशित किया था।

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के आधार पर बताया गया था कि जनवरी से 15 जून तक 1804 लोगों को विकलांग प्रमाण पत्र जारी किए गए। इनमें 311 लोगों को श्रवण बाधित प्रमाण पत्र जारी किया गया है। इस पर जिला पंचायत सीईओ ने जांच के निर्देश दिए हैं।

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