टॉप टू बॉटम होंगी पदोन्नति

जींद: शिक्षा विभाग ने स्कूलों में पदोन्नति के लिए ठोस कदम उठाया है। अब पदोन्नति टॉप टू बॉटम होंगी, जिससे हर कैटेगरी में पदोन्नति के लिए आसानी से खाली पद मिल जाएंगे और हर कैटेगरी के लिए ज्यादा पदोन्नति के अवसर खुल सकेंगे। पदोन्नति पहले किसी भी कैटेगरी के लिए किसी भी समय कर दी जाती थी। जिला शिक्षा अधिकारियों से केस मांग कर उन्हीं के आधार पर पदोन्नति कर दी जाती थी। इससे पूरा क्रम बिगड़ जाता था, क्योंकि निचले क्रम की पदोन्नति पहले होने और ऊपरी क्रम पर सीट खाली न होने के कारण संबंधित शिक्षक को इंतजार करना पड़ता था। इस संबंध में स्कूल शिक्षा निदेशक ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को मेमो जारी कर दिया है। इसके तहत शिक्षा विभाग में पहले ज्वाइंट डायरेक्टर की पदोन्नति होगी। इसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी, उप जिला शिक्षा अधिकारियों की पदोन्नतियां की जाएंगी। फिर नंबर आएगा खंड शिक्षा अधिकारी, प्रिंसिपल, हेडमास्टर, लेक्चरर, मास्टर, सीएंडवी और जेबीटी शिक्षकों का।
प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश महासचिव दीपक गोस्वामी ने इस कदम का स्वागत करते हुए बताया कि इस फैसले से पदोन्नतियों के रास्ते खुल जाएंगे। ऊपरी क्रम पर खाली पद होने के बाद जब निचले क्रम की पदोन्नति होगी तो उन्हें अपनी ज्वाइनिंग मिल जाएगी

शिक्षा विभाग देगा अल्प संख्यकों को आर्थिक सहायता

कैथल, जागरण संवाद केंद्र : शिक्षा विभाग अब अल्प संख्यक वर्ग के बच्चों को आर्थिक सहायता भी देगा। इसके लिए निदेशालय ने जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजकर ऐसे बच्चों की सूची भेजने के आदेश दिए हैं। शिक्षा विभाग में प्री मैट्रिक स्कालरशिप योजना के तहत अल्प संख्यक समुदाय के बच्चों जिसमें सिख्चा, पादरी, इसाइ, बुद्धिष्ठ और मुसलिम समुदाय के बच्चे शामिल हैं को लाभान्वित किया जाएगा। ऐसे बच्चों को विभाग द्वारा प्रतिमाह 100 रुपये छात्रवृति के रूप में दिए जाएंगे।
यही नहीं योजना के तहत छठी से 10वीं कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों को दाखिले के लिए भी 500 रुपये दिए जाएंगे। इसी प्रकार से ट्यूशन फीस के लिए प्रतिमाह 350 रुपये दिए जाएंगे। इस वर्ग के केवल वही बच्चे इस योजना से लाभान्वित हो सकेंगे जिनके नंबर पिछली कक्षाओं में 50 प्रतिशत से अधिक होंगे। खास बात यह भी होगी कि यदि एक परिवार के दो बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हों तो उन्हें यह सुविधा दी जाएगी। इस योजना से लाभान्वित होने वाले बच्चों के अभिभावकों की अधिकतम आय 1 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा यदि छात्र किसी अन्य योजना से लाभ ले रहा है तो उसे इस योजना का लाभ नहीं दिया जाएगा।
अध्यापक करें सहयोग : डीईओ
जिला शिक्षा अधिकारी साधु राम बेरवाल ने बच्चों का आह्वान किया कि वे इस योजना का बढ़ चढ़कर लाभ उठाएं। उन्होंने अध्यापकों से कहा कि वे बच्चों के फार्म भरवाने में सहयोग दें ताकि बच्चे इससे लाभान्वित हो सकें। उन्होंने बताया कि योजना बारे सभी प्रधानाचार्यो को अवगत करा दिया गया है।

बेटे के प्रमाण पत्र से जानी जाएगी मां-बाप की उम्र

पानीपत. प्रदेश सरकार ने वृद्ध पेंशन में आयु प्रमाण के लिए एक नई गाइड लाइन तैयार की है। इसमें बुजुर्गो को आयु चिकित्सकों से सत्यापित कराने की आवश्यकता नहीं है। अब यदि किसी व्यक्ति की सबसे बड़ी संतान चालीस वर्ष की है तो उसे साठ वर्ष का माना जाएगा और उसी हिसाब से उसकी पेंशन बनेगी। भले ही प्रदेश सरकार ने इसे लोगों की सहूलियत को देखते हुए जोड़ा हो, लेकिन बुजुर्गो का मानना है कि यह नियम और ज्यादा परेशानी बढ़ा देगा। इस संबंध में भास्कर ने शहर के बुजुर्गो से बात की।

पेचीदा है नियम

पत्थरगढ़ निवासी जाकिर ने बताया कि नए नियम के अनुसार जिस व्यक्ति के पास आयु का प्रमाण नहीं है, अगर उसकी सबसे बड़ी संतान चालीस वर्ष की हो तो उसे साठ वर्ष का माना जाएगा। लेकिन इसमें त्रुटियां हैं, क्योंकि अगर किसी की उम्र तीस वर्ष की हो और उसे तब पहली संतान की प्राप्ति हो तो उसकी संतान की उम्र चालीस तक होने तक पिता की उम्र सत्तर वर्ष हो जाएगी। क्या इस उम्र में उसे साठ वर्ष का माना जाएगा।

पेंशन देना है तो पहले वाले सिस्टम से दो

थर्मल काबड़ी गांव के बुजुर्गो ने बायोमीट्रिक सिस्टम से परेशान हैं। सोमवार को सभी लोगों ने एकत्रित होकर बीडीपीओ कार्यालय पर प्रदर्शन किया और पेंशन पहले वाले सिस्टम से देने की मांग की। वृद्ध पेंशन के लिए बुजुर्गो को दर-दर भटकना पड़ रहा है। कर्मचारी फिंगर प्रिंट नहीं मिलने की बात कहकर इन लोगों को लौटा देते हैं। इससे परेशान ग्रामीण बड़ी संख्या में बीडीपीओ कार्यालय में एकत्रित हुए और उन्होंने प्रशासन के विरुद्ध नारेबाजी की।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर पेंशन देना है तो पहले वाले सिस्टम से दो। इन्हीं ने लगवाए थे निशान : बुजुर्ग सरबती, मुंशीराम, प्रेम सिंह, बाला देवी, राममेहर, कपूरी राम आदि ने बताया कि पेंशन लेने जाते हैं तो वो कहते हैं कि तुम्हारे फिंगर प्रिंट नहीं मिल रहे। उन्होंने कहा कि यह समझ नहीं आता कि जब इन लोगों ने ही हमारे फिंगर प्रिंट लिए थे तो अब क्यों नहीं मिल रहे। उन्होंने बताया कि इस समस्या के कारण हमें यहां वहां चक्कर काटने पड़ रहे हैं।

बिना अनुमति योग्यता बढ़ाने वाले जेबीटी अध्यापकों को मिली छूट

वर्ष 2005 से 2008 के दौरान बिना अनुमति लिए अपनी योग्यता बढ़ाने वाले जेबीटी को अब पदोन्नति मिल सकेगी। विभाग व जेबीटी शिक्षकों के बीच हुई बैठक में इस पर मोहर लगा दी गई है। जेबीटी अध्यापकों से अब अनुमति प्रमाण पत्र नहीं मांगा जाएगा। इससे प्रदेश के लगभग अढ़ाई हजार जेबीटी शिक्षकों को लाभ मिलेगा।
वर्ष 2004 में जिला परिषद के तहत 6583 जेबीटी अध्यापक प्रदेश में लगाए थे। शिक्षा विभाग में समायोजित करने के लिए सरकार ने विभागीय परीक्षा पास करने की शर्त रखी थी। इसके बाद 18 अगस्त 2005 को विभाग ने पत्र जारी करके बिना परीक्षा ही सभी जेबीटी अध्यापकों को विभाग में समायोजित कर लिया था और उनकी रेगुलर सर्विस 10 अगस्त 2005 से ही मान ली थी।
इस पर विभाग ने अंग्रेजी के साथ बीए पास की शर्त रख दी थी। योग्यता बढ़ाने के लिए अकेडमिक योग्यता बढ़ाने के लिए शिक्षकों को डीडीओ से अनुमति लेनी होती है जबकि प्रोफेशनल कोर्स के लिए नियुक्ति प्राधिकृत अधिकारी से अनुमति लेनी होती है। जेबीटी अध्यापकों को अपनी यह योग्यता तीन साल की अवधि यानी 2005 से 2008 तक बढ़ानी थी।
लेकिन इस दौरान लगभग अढ़ाई हजार के करीबन जेबीटी अध्यापकों ने बिना अनुमति के ही अपनी योग्यता बढ़ा ली थी, लेकिन जब बारी पदोन्नति की आई तो पदोन्नति के लिए जेबीटी अध्यापकों से योग्यता बढ़ाने के लिए मांगी गई अनुमति का प्रमाण पत्र मांग लिया गया, जोकि जेबीटी अध्यापक नहीं दिखा सके, जिस कारण उनकी पदोन्नति पर ब्रेक लग गए थे। जब भी उनके केस पदोन्नति के लिए भेजे गए तो अनुमति प्रमाण पत्र न होने के कारण यह रोक दी जाती थी। अब गत 18 नवंबर को शिक्षक संगठनों व शिक्षा विभाग के अधिकारियों के बीच हुई बैठक में यह तय किया गया है कि 2005 से 2008 तक योग्यता बढ़ाने वाले जेबीटी शिक्षकों से अनुमति प्रमाण पत्र नहीं मांगा जाएगा और उन्हें पदोन्नति दे दी जाएगी। इससे लगभग अढ़ाई हजार जेबीटी शिक्षकों को राहत मिली और पदोन्नति के रास्ते खुल गए हैं। प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश महासचिव दीपक गोस्वामी का कहना है कि गत 18 नवंबर को हुई बैठक में यह तय हो गया है कि 2005 से 2008 के बीच योग्यता बढ़ाने वाले जेबीटी अध्यापकों को अब अनुमति प्रमाण पत्र नहीं दिखाना होगा और उन्हें पदोन्नति मिल जाएगी। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी साधुराम रोहिला ने कहा कि फिलहाल इस बारे कोई पत्र या निर्देश नहीं मिले हैं। बैठक दो दिन पहले हुई है और दो दिन सरकारी अवकाश होने के कारण कोई सूचना नहीं मिली है। सोमवार को ही इस बारे में कुछ कहा जा सकेगा

15 हजार विद्यार्थियों के भविष्य अधर में

15 हजार छात्रों का भविष्य अधर में लटका

Nov 21, 07:48 pm
 संवाद केंद्र : जम्मू बोर्ड से वर्ष 2008-10 के जेबीटी के स्पेशल बैच के लगभग 15 हजार विद्यार्थियों की परीक्षा न होने के कारण उनका भविष्य अधर में लटक गया है।
बोर्ड ने कोर्ट के निर्देशों के बाद नवंबर 2010 में परीक्षा लेने की बात कही थी, लेकिन एक साल बीतने के बाद भी यह परीक्षा नहीं ली गई है। इस कारण हजारों विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार में फंसता नजर आ रहा है। इस मामले में संबंधित छात्र व उनके अभिभावक जम्मू के शिक्षा मंत्री से मिलकर न्याय की गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है। अब छात्र और अभिभावकों को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह कई केंद्रीय मंत्रियों को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई है।
अभिभावक सूर्या वत्स, सुशील शर्मा, विनोद महत्ता आदि ने बताया कि उन्होंने अपने बच्चों के जम्मू एवं कश्मीर बोर्ड ऑफ स्कूल एजूकेशन के कोर्स ईटीटी सत्र 2008-10 में दाखिला लिया था। इस सत्र में हरियाणा के लगभग 50 हजार विद्यार्थी थे। सभी विद्यार्थी ग्रामीण परिवेश से संबंध रखते हैं। दाखिल होने के बाद से ही बोर्ड इस सत्र के पेपर लेने में आनाकानी करता आ रहा था। इसके बाद जम्मू बोर्ड ने 2008-10 सत्र के प्रथम वर्ष के पेपर जून 2010 में लिए, लेकिन हरियाणा के लगभग 15 हजार विद्यार्थी जम्मू बोर्ड की खामियों के कारण परीक्षा देने से वंचित रह गए। इनकी परीक्षाएं आज तक नहीं हो सकी हैं। विद्यार्थियों के बार-बार आग्रह करने के बाद बोर्ड ने एक नोटिस समाचार पत्र में प्रकाशित करके सत्र 2008-10 के पेपर नवंबर 2010 में लेने की बात कही थी। यह सत्र 2008-10 का था, लेकिन अब 2010 समाप्त होने को है, लेकिन इस सत्र की प्रथम वर्ष की परीक्षा अब तक नहीं ली गई है। इसके साथ ही जम्मू बोर्ड ने 2009-11 सत्र की परीक्षाएं भी अप्रैल 2011 में ले ली है। लगभग 18 से 20 माह बीतने के बाद भी बोर्ड उन्हें कोई सूचना नहीं दे रहा है। इस मामले में वह बोर्ड के चेयरमैन, सचिव और जम्मू एवं कश्मीर के शिक्षा मंत्री से मिल चुके हैं, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला है। उन्होंने मांग की है कि उनकी परीक्षाएं ली जाए ताकि उनका भविष्य खराब न हो सके।

पांच हजार की नौकरी के लिए साढ़े बारह लाख उम्मीदवार

इंदौर। संविदा शिक्षक वर्ग-3 की तनख्वाह होगी महज पांच हजार रुपए। नौकरी तीन साल तक अस्थायी रहेगी। न पीएफ, न कोई भत्ता। इसके बावजूद इस नौकरी के लिए प्रदेश में 12 लाख 48 हजार आवेदन आ गए हैं। चुना जाना है सिर्फ 58 हजार को।

Notification - Re-structuring Secondary/Primary Education Department

[ Extract from Haryana Government Gazette (Extra.), dated the 22nd September, 2011]
HARYANA GOVERNMENT
SCHOOL EDUCATION DEPARTMENT
Order
The 22nd September, 2011
Order No. 15/284-2010 CO. (1).—In the context of enactment of Right of Children to Free and Compulsory
Education Act, 2009 (RTE Act) by the Central Government, the Department has to ensure that elementary classes covering
the age group of 6-14 are governed by a uniform structure. Currently classes 6th-8th are being handled by the Directorate
of Secondary Education, but now, in the light of RTE Act, 2009 it has been essential to ensure uniformity of approach to
ensure delivery of services envisaged under RTE and hence the Directorate of Elementary Education should be in control
of classes 1st to VIllth. Various provisions of the Act have to be uniformly applied across classes 1st to VIIIth, viz Section
30) of the Act provides that every child of the age of 6-14 years shall have a right to free and compulsory education in
neighbourhood school till completion of elementary edudation. Under Section 6 of theAct, the duty of the State Government
would be to provide schooling facilities to the children within a period of 3 years from the commencement of the Act. Not
only this, the State Government is required to maintain prescribed teacher pupil ratio (1:30) at primary level and 1:35 at
upper primary level. Further, where the admission of children is above 100, a fulltime Head Teacher and part time instructions
for Art Education, Health & Physical Education and Work Education would also be required and so on. Under Section 26
of the Act, the Government has to ensure that the vacancies in the school shall not exceed 10% of the total.
To give effect to mandatory provisions as contained in the Right of Children to Free & Compulsory Education Act,
2009 (RTE Act, 2009) and the Rules framed there under, the administrative control of Master and C&V Cadre is hereby
shifted to the Directorate of Elementary Education, Haryana with immediate effect.
SURINA RAJAN,
Financial Commissioner and Principal Secretary to
Government Haryana,
School Education Department, Chandigarh.
49108—C.S.-11.G.P., Chd.
OFFICE OF COMMISSIONER & DIRECTOR GENERAL SCHOOL EDUCATION,
HARYANA, PANCHKULA
Order No.12/49-2011 Admn. (2) Dated, Panchkula, the 22-9-2011
In the context of enactment of Right of Children to Free and Compulsory Education
Act, 2009 (RTE Act) by the Central Government, the Department has to ensure that
elementary classes covering the age group of 6-14 are governed by a uniform structure.
Currently classes 6 th to 8th are being handled by the Directorate of Secondary Education,
but now, in the light of RTE Act, 2009 it has been essential to ensure uniformity of
approach to ensure delivery of services envisaged under RTE and hence the Directorate of
Elementary should be in control of classes Ist to VIIIth. Consequently to give effect to
the above provisions of the RTE Act, 2009 the State Government vide notification
No. 15/284-2010 CO. (1) dated 22-9-2011 has taken a decision to shift the administrative
control of the teachers teaching classes 6 th to 8th from Director Secondary Education,
Haryana to the Director Elementary Education, Haryana. Accordingly the establishment
branches/staff dealing with the establishment matters alongwith record relating to the
Masters and C&V teachers are hereby shifted and, are placed under the administrative
control of the Director Elementary Education, Haryana as under :-
Sr.
No.
Name of
Branch
Name
& Designations of the Officer/ Official Remarks
1 HRM-I Smt. Savitri Devi, Assistant Director Along with post
Smt. Veena Bajaj, Superintendent -do-
Sh. Sita Ram, Assistant -do-
Sh. Ranbir Singh, Assistant -do-
Sh. Dhoop Singh, Assistant -do-
Sh. Dayachand, Assistant -do-
Sh. Ashok Kumar, Clerk -do-
Sh. Paramvir, Clerk -do-
Sh. Hukam Chand, Peon -do-
2 HRM-II Sh. Phool Chand, Superintendent -do-
Sh. Virender Dahiya, Assistant -do-
Sh. Subhash Sinha, Assistant -do-
Sh. Mukesh Yadav, Assistant -do-
Sh. Narender Rana, Clerk -do-
Sh. Rajinder Singh Lohan, Clerk -do-
Sh. Vijay Kumar, Peon -do-
3 HRC&V Smt. Geeta Sapra, Deputy Superintendent -do-
Sh. Madan Lal, Assistant ,
-do-
Sh. Ram Niwas, Assistant -do-
Sh Fakir Chand, Assistant -do-
Sh. Prem Bagla, Assistant -do-
Sh Ram Kumar, Clerk -do-
Sh. Manoj, Peon -do
Similarly, District Education Officers are directed to shift the establishment branch
and staff relating to these categories (masters/ teachers- C&V) with immediate effect to
the District Elementary Education Officer concerned & report the compliance by the 27'
September, 2011.
e'M
VIJAYENDRA KUMAR
COMMISSIONER & DIRECTOR GENERAL SCHOOL
EDUCATION, HARYANA, PANCHKULA.
Endst. No. Even Dated, Panchkula, the
22-9-2011
A copy is forwarded to the following for information and necessary action:-
Financial Commissioner & Principal Secretary to Govt. Haryana Finance
Department.
Director Elementary Education, Haryana.
State Project Director (SSA) Haryana.
All Deputy Commissioners in the State.
5. Accountant General Haryana (A&E) Chandigarh.
B.
Director SCERT Gurgaon.
All the District Education Officer in the State.
All the District Elementary Officers in the State.
All the Treasury Officer in the State.
All the Joint/ Deputy/ Assistant Directors in the Directorate of
Secondary/ Elementary Education.
Officials concerned.
(Dr. Satbir
Accountant General Audit Haryana Chandigarh.gniCain)
Additional Director (Admn.)
SECONDARY EDUCATION, HARYANA
PANCHKULA.
A copy is forwarded to the following for the information of the concerned officer
PS/EM.
PS/ Principal OSD/ CM.
PS/ OSD/ CM.
PS/ CPS (Education).
PS/ FCSE.
PS/ DSE.
PA/Additional Director Admn-I & II.
PA/ Additional Director (Edu.).
U.O. No.
12/49-2011 Admn. (2) Dated, Panchkula, the 2.1- 9- ga//

aish daughter

देवीलाल विश्वविद्यालय की परीक्षाएं 9 दिसंबर से

सिरसा, मुख्य संवाददाता : चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर कक्षाओं की प्रथम सत्र की परीक्षाएं 9 दिसंबर से व स्नातक कक्षाओं की परीक्षाएं 15 दिसंबर से आरंभ होंगी।

यूपी के प्राइमरी स्कूलों में एनसीईआरटी का कोर्स

 : उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अगले सत्र से विज्ञान-गणित विषयों में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) का पाठ्यक्रम लागू करने की मंशा है। शासन के निर्देश पर बेसिक शिक्षा परिषद ने प्रस्ताव पारित कर दिया है। इसे शासन को भेजा जाएगा। साथ ही यह अनुरोध किया जाएगा कि वह एनसीईआरटी को प्रस्ताव से अवगत कराते हुए उप्र में एनसीईआरटी की पुस्तकों को छापने की अनुमति मांगे। एससीईआरटी सूबे के परिषदीय स्कूलों में कक्षा एक से आठवीं तक के लिए पाठ्यक्रम तैयार करता है। एससीईआरटी द्वारा पुनरीक्षित पाठ्यक्रम को शिक्षा परिषद ने वर्ष 2000 में लागू किया था। बाद में एससीईआरटी ने पाठ्यक्रम को नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2005 के अनुसार पुनरीक्षित किया था। पिछले कुछ अरसे से शासन स्तर पर परिषदीय स्कूलों में कक्षा छह से आठ तक में विज्ञान और गणित विषयों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू करने पर विचार चल रहा है। इस आधार पर कि छठवीं से आठवीं तक की कक्षाओं के लिए एनसीईआरटी के विज्ञान-गणित विषयों के पाठ्यक्रम बेहतर हैं।

स्कूली बच्चों को मिला स्वास्थ्य का अधिकार

 नई दिल्ली= दिल्ली शिक्षा का अधिकार कानून लागू करने के बाद स्कूली बच्चों को स्वास्थ्य के अधिकार से मुफ्त संबंधित सुविधाएं देने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने चाचा नेहरू सेहत योजना का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने 22 मार्च को बजट सत्र में अपने बजट भाषण में चाचा नेहरू सेहत योजना की घोषणा की थी। इसकी मदद से बीमारियों का जल्द से जल्द पता लगाने और भविष्य की स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं पर काबू पाने के लिए समुचित उपचार हो सकेगा। दीक्षित ने योजना को विद्यार्थियों के उ”वल भविष्य की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा कि योजना के तहत मुफ्त चिकित्सा जांच का प्रावधान है। पहले चरण के अंतर्गत दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ रहे 14 लाख विद्यार्थियों की स्वास्थ्य जांच कराई जाएगी। बाद के चरणों में एमसीडी, एनडीएमसी, गैर-सरकारी स्कूली बच्चे और स्कूल न जाने वाले बच्चों को शामिल किया जाएगा। दिल्ली सरकार के 954 विद्यालय हैं जिनके लिए 125 टीमें गठित की गई हैं। प्रत्येक टीम में एक-एक डाक्टर, नर्स और डाटा एंट्री आपरेटर है। यह दल बच्चों को जंक फूड के खतरों से अवगत कराएगा। स्वास्थ्य मंत्री डा. वालिया ने कहा कि विद्यार्थियों की स्वास्थ्य जांच सुनिश्चित करने के लिए निजी अस्पतालों के चिकित्सा दल भी काम पर लगाए जाएंगे। इस योजना का मकसद 12वीं कक्षा तक के बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार करना, बीमारियों की पहचान करना, उपचार करना और जरूरत के हिसाब से सलाह देकर नजदीकी अस्पतालों में भेजना शामिल है। इसके अलावा स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन और बच्चों का कंप्यूटरीकृत स्वास्थ्य रिकार्ड रखना शामिल है।

अब नहीं होगा पेपर लीक, आ गया नया फार्मूला

चंडीगढ़. सीबीएसई ने 9वीं और 10वीं की परीक्षा के दौरान पेपर लीक और प्रश्नपत्रों की समानता की समस्या को खत्म करने के लिए ऑटोमेटेड जेनरेशन ऑफ क्वेश्चन पेपर सॉफ्टवेयर तैयार किया है।

इसे अगले वर्ष होने वाली परीक्षाओं के दौरान इस्तेमाल में लाया जाएगा। इस प्रणाली के तहत संबंधित स्कूल को कोड और पासवर्ड मिलेगा, जिसके तहत परीक्षा के दिन स्कूल संचालक इस कोड और पासवर्ड का इस्तेमाल कर सीबीएसई से ऑनलाइन प्रश्नपत्र हासिल कर सकेंगे।

कैसे करेगा काम

सीसीई (कॉन्टीनुअस कॉम्प्रीहेंसिव इवेलुएशन सिस्टम) को बेहतर बनाने के लिए यह सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है। इसके तहत सीबीएसई की तरफ से एक क्वेश्चन बैंक तैयार किया जाएगा। इसमें सब्जेक्ट के अनुसार पेपर लोड किए जाएंगे। सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर देश भर के लगभग 80,000 स्कूल एक ही बार में प्रश्नपत्र डाउनलोड कर सकेंगे।

सीबीएसई के अधिकारियों के मुताबिक प्रत्येक स्कूल का अलग-अलग लॉग इन होगा, लॉग इन के बाद कोड भरा जाएगा। कोड की वेरिफिकेशन के बाद सब्जेक्ट के सिलेक्शन की ऑप्शन पूछी जाएगी। सब्जेक्ट सिलेक्ट करने के बाद लेवल सिलेक्ट करना होगा। यानी डिफिकल्ट, मीडियम या आसान पेपर में से क्या चाहते हैं। इसके बाद प्रश्न पत्र प्रदर्शित होगा।

टाइम होगा निर्धारित

प्रणाली के तहत सॉफ्टवेयर में टाइमर होगा, मतलब सीबीएसई की तरफ से जो समय निर्धारित किया जाएगा, उसी समय पर लॉगइन किया जा सकेगा। एक स्कूल की तरफ से अपने स्तर पर लेवल और सब्जेक्ट सेट करने के बाद पेपर मिल जाएगा तो वह क्वेश्चन पेपर ब्लॉक हो जाएगा। अगर किसी अन्य स्कूल की तरफ से वही लेवल और सब्जेक्ट डाला जाएगा तो पेपर अलग होगा।

सब स्कूलों में अलग पेपर

अभी तक सीबीएसई की तरफ से भेजी गई सीडी से क्वेश्चन पेपर लेते वक्त दो स्कूलों में अलग-अलग डेट पर एग्जाम होने पेपर लीक हो जाता था, स्कूलों को ऑन द स्पॉट नया पेपर सिलेक्ट करना पड़ता था। नई प्रणाली के तहत स्कूलों में अलग-अलग पेपर आएंगे।

सीसीई सिस्टम को और बेहतर बनाने के लिए यह प्रणाली तैयार की गई है, इसका असर स्कूलों के परिणाम पर भी देखने को मिलेगा।

-आरजे खांडे राव, रीजनल डायरेक्टर

इंटरनल असेस्मेंट में पास होना भी जरूरी

शिमला. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर रहे हजारों छात्रों को इस सत्र से लिखित परीक्षा और इंटरनल असेस्मेंट दोनों परीक्षाएं पास करनी होगी। छात्रों की ओर से इंटरनल असेस्मेंट को लेकर किए जा रहे विरोध प्रदर्शन पर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। प्रशासन के अनुसार पिछले साल लॉ विभाग के छात्रों को इंटरनल असेस्मेंट में पास होने की शर्त में राहत दी गई थी। लेकिन इस साल से छात्रों को इंटरनल असेस्मेंट में भी उत्र्तीण होना अनिवार्य होगा।

इसके तहत जो छात्र इंटरनल असेस्मेंट में उत्र्तीण नहीं होगा उसे लिखित परीक्षा में पास होते हुए भी फेल माना जाएगा। ऐसे में छात्रों को इंटरनल असेस्मेंट में 20 अंकों में से न्यूनतम 9 अंक लाना अनिवार्य होगा। इसके अलावा लिखित परीक्षा में भी 80 में से न्यूनतम 28 अंक हासिल करना जरूरी होगा।

राहत दे सरकार

एसएफआई के विश्वविद्यालय के कैंपस सचिव खुशीराम का कहना है कि निजी कॉलेजों में तो छात्रों को इंटरनल असेस्मेंट में 15 से 20 नंबर दिए जाते हैं जबकि एचपीयू के छात्रों को पासिंग मार्क्‍स भी नहीं मिल पाते। साथ ही कुछ छात्र लिखित में तो 65 से 75 अंक हासिल करता है, लेकिन असेस्मेंट मिलने से फेल भी कर दिया जाता है। उन्होंने इस शर्त में राहत देने की मांग की है।

क्या है इंटरनल असेस्मेंट

इंटरनल असेस्मेंट के तहत छात्र की साल की गतिविधियों को शामिल किया जाता है। साथ ही संस्थान में उसकी उपस्थिति, विभिन्न टेस्टों में उसकी परफॉर्मेंस आदि को भी शामिल किया जाता है। इंटरनल असेस्मेंट 20 अंकों की होती है जिसमें नौ अंक पास होने के लिए अनिवार्य है। कॉलेजों में यह प्रणाली पहले ही लागू की जा चुकी है।

विभागों को किया सूचित

छात्रों को लिखित परीक्षा के साथ इंटरनल असेस्मेंट में भी उत्र्तीण होना अनिवार्य होगा। नियमों के अनुसार सभी विभागों को इस बारे में जानकारी दी गई है। - डॉ. नरेंद्र अवस्थी, परीक्षा नियंत्रक

हिमाचल के पोपो ब्राह्मण भी ओबीसी में शामिल होंगे

ठ्ठ जागरण संवाददाता, शिमला हिमाचल प्रदेश के पोपो ब्राह्मण की गिनती अन्य पिछड़ा वर्ग में होगी। जी हां, केंद्र सरकार द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची में किए गए संशोधन को हरी झंडी मिलने के बाद सूबे के कई समुदायों में उम्मीद जगी है। संशोधन के बाद राज्य की करीब 12 जातियां अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी की सूची में शामिल हो जाएंगी और उसके अनुसार लाभ भी लेंगी। अभी प्रदेश की 49 जातियां अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल हैं। यह अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है कि किन जातियों को ओबीसी मानने पर सरकार ने मुहर लगाई है लेकिन माना जा रहा है कि ये वही जातियां हो सकती हैं जिनकी सिफारिश आयोग की केंद्रीय टीम ने हिमाचल प्रदेश दौरे के दौरान की थी। हाल में हिमाचल प्रदेश अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग व राष्ट्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने जिन नई जातियों को ओबीसी में शामिल करने की सिफारिश की है उनमें पोपो ब्राह्मण से लेकर सुनार तक शामिल हैं। भले ही केंद्र सरकार की ओर से कोई नाम नहीं बताए गए लेकिन यह तय है कि राष्ट्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने जिन जातियों की सिफारिश की है, वही इसमें शामिल होंगी। यदि ऐसा होता है तो इनसे जुड़े लोगों को लाभ मिल सकता है जो राजनीतिक दृष्टि से अंतत: सरकार के पाले में जाएगा। मालूम हो कि ओबीसी वर्ग का हिमाचल प्रदेश में कई हलकों में बाहुल्य है और वह राजनीतिक कारणों से भी एक महत्वपूर्ण वर्ग के रूप में जाना जाता है। इन जातियों की हुई सिफारिश : पोपो ब्राह्मण, झीवर, झीउर, झीर, ढकौत, बुझरू, टानक, सुनार, भोरा, वोरा, वोहरा, बंगालिया, आचार्य, चार्ज आदि।

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