जम्मू राज्य सरकार की नई भर्ती नीति के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले स्टूडेंट्स पर पुलिस द्वारा किए गए बल प्रयोग की संघर्ष संगठन ने कड़ी निंदा की है। सोमवार को प्रेसवार्ता में प्रधान महेश कौल ने कहा कि भर्ती नीति एकदम बेतुकी है। इससे साफ पता चलता है कि सरकार युवाओं के भविष्य को लेकर बिल्कुल गंभीर नहीं है। इससे पढ़े लिखे युवाओं में रोष और असंतोष पैदा होगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को न तो पढ़े लिखे बेरोजगारों की कोई परवाह है और न ही समाज की। सरकार का दावा है कि इससे निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलेगा।
लेकिन सरकार यह बताए कि रियासत में निजी क्षेत्र कहां है। धारा 370 की वजह से निजी क्षेत्र यहां कभी फलफूल नहीं सका। सरकार यदि नई भर्ती नीति को लागू करना चाहती है तो पहले धारा 370 को खत्म करे। वहीं महासचिव सुरेश शर्मा ने पुलिस द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे स्टूडेंट्स पर लाठीचार्ज की कड़ी निंदा की। उसने मांग उठाई कि राज्यपाल राज्य में राष्ट्रपति शासन घोषित करें क्योंकि सरकार ने यहां भ्रम जैसी स्थिति पैदा कर रखी है, जोकि विस्फोटक साबित हो सकती है।
बीएड की 40 फीसदी सीटें अभी भी खाली
जम्मू यूनिवर्सिटी द्वारा साढ़े तीन महीने तक एडमिशन प्रक्रिया चलाने के बावजूद संबद्धित निजी बीएड कालेजों में करीब 9 हजार सीटें खाली रह गई हैं। इन्हें भरने के लिए दोबारा से एडमिशन (री ओपन)शुरू की जाएगी या नहीं, इस बात का फैसला अब यूनिवर्सिटी के चांसलर एवं राज्यपाल एनएन वोहरा पर छोडा गया है। फिलहाल इस मामले पर राज्यपाल कार्यालय की ओर से यूनिवर्सिटी को कोई निर्देश नहीं आया है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि एडमिशन प्रक्रिया दोबारा शुरू नहीं होगी। इससे तकरीबन 35 कालेजों को वित्तीय घाटा उठाना पडेगा। जानकारी अनुसार, यूनिवर्सिटी ने जून के मध्य में एडमिशन नोटिस जारी किया था।
आवेदन की आखिरी तारीख होने के बाद दो बार तारीख आगे बढाई गई। लेकिन बावजूद उसके बीएड कालेजों में पूरी सीटें नहीं भर पाईं। यूनिवर्सिटी से संबद्धित निजी बीएड कालेजों की कुल संख्या 74 है। उनमें लगभग साढ़े 21 हजार सीटें हैं। इसके अतिरिक्त एक हजार सीटें मैनेजमेंट कोटा के तहत बनती हैं। इस प्रकार कुल सीटों की संख्या साढे 22 हजार तक पहुंचती है। लेकिन अब तक काउंसलिंग के जरिए मात्र साढे 13 हजार सीटें ही भरी गई हैं। यानि 40 प्रतिशत सीटें खाली रह गई हैं। पिछले साल भी काफी सीटें खाली रह गई थीं। लेकिन, एडमिशन की प्रक्रिया को दिसंबर तक खींचा गया था।
मुश्किल है दोबारा एडमिशन : बीएड कालेजों के संगठन फोरम आफ रिकागनाईजड कालेजिस आफ एजुकेशन (फोर्स) के शिष्टमंडल ने इस मुद्दे पर वाइस चांसलर डॉ वरूण साहनी से बात की थी। उस पर कालेजिस डेवलेपमेंट काउंसिल के निदेशक ने एडमिशन दोबारा शुरू करने के लिए राज्यपाल से अनुमति मांगी थी। उसी बीच अक्टूबर 14 को बीएड के एकेडमिक सत्र की शुरूआत हुई। सूत्रों के हवाले से खबर है कि एडमिशन दोबारा शुरू करने को जो तारीखंे यूनिवर्सिटी ने सुझाई थीं, वो सब निकल चुकी हैं। साथ ही एकेडमिक सत्र भी काफी आगे निकल चुका है। ऐसे में राज्यपाल कार्यालय एडमिशन दोबारा खोलने की इजाजत दे, इसकी संभावना बहुत कम है। इससे इतना तो तय है कि कालेजों को इस बार घाटा उठाना ही पडेगा।
राज्यपाल से अनुमति का है इंतजार
इस बारे में पूछने पर कालेज डेवलेपमेंट काउंसिल के निदेशक प्रो. देशबंधु गुप्ता ने पुष्टि की कि एडमिशन दोबारा खोलने को लेकर राज्यपाल कार्यालय से अनुमति मांगी गई है। जैसे ही वहां से इजाजत मिलेगी, काउंसलिंग की तारीख घोषित कर देंगे। उन्होंने बताया कि बीएड कालेजों में 9 हजार के लगभग सीटें खाली हैं। उनमें मैनेजमेंट कोटा भी शामिल है।
आवेदन की आखिरी तारीख होने के बाद दो बार तारीख आगे बढाई गई। लेकिन बावजूद उसके बीएड कालेजों में पूरी सीटें नहीं भर पाईं। यूनिवर्सिटी से संबद्धित निजी बीएड कालेजों की कुल संख्या 74 है। उनमें लगभग साढ़े 21 हजार सीटें हैं। इसके अतिरिक्त एक हजार सीटें मैनेजमेंट कोटा के तहत बनती हैं। इस प्रकार कुल सीटों की संख्या साढे 22 हजार तक पहुंचती है। लेकिन अब तक काउंसलिंग के जरिए मात्र साढे 13 हजार सीटें ही भरी गई हैं। यानि 40 प्रतिशत सीटें खाली रह गई हैं। पिछले साल भी काफी सीटें खाली रह गई थीं। लेकिन, एडमिशन की प्रक्रिया को दिसंबर तक खींचा गया था।
मुश्किल है दोबारा एडमिशन : बीएड कालेजों के संगठन फोरम आफ रिकागनाईजड कालेजिस आफ एजुकेशन (फोर्स) के शिष्टमंडल ने इस मुद्दे पर वाइस चांसलर डॉ वरूण साहनी से बात की थी। उस पर कालेजिस डेवलेपमेंट काउंसिल के निदेशक ने एडमिशन दोबारा शुरू करने के लिए राज्यपाल से अनुमति मांगी थी। उसी बीच अक्टूबर 14 को बीएड के एकेडमिक सत्र की शुरूआत हुई। सूत्रों के हवाले से खबर है कि एडमिशन दोबारा शुरू करने को जो तारीखंे यूनिवर्सिटी ने सुझाई थीं, वो सब निकल चुकी हैं। साथ ही एकेडमिक सत्र भी काफी आगे निकल चुका है। ऐसे में राज्यपाल कार्यालय एडमिशन दोबारा खोलने की इजाजत दे, इसकी संभावना बहुत कम है। इससे इतना तो तय है कि कालेजों को इस बार घाटा उठाना ही पडेगा।
राज्यपाल से अनुमति का है इंतजार
इस बारे में पूछने पर कालेज डेवलेपमेंट काउंसिल के निदेशक प्रो. देशबंधु गुप्ता ने पुष्टि की कि एडमिशन दोबारा खोलने को लेकर राज्यपाल कार्यालय से अनुमति मांगी गई है। जैसे ही वहां से इजाजत मिलेगी, काउंसलिंग की तारीख घोषित कर देंगे। उन्होंने बताया कि बीएड कालेजों में 9 हजार के लगभग सीटें खाली हैं। उनमें मैनेजमेंट कोटा भी शामिल है।
भाभी की जगह दे रही थी परीक्षा, जेल में कटी रात
अम्बाला/मुलाना. सहेली की भाभी के लिए जिस निशा ने एचटेट का पेपर देने का रिस्क उठाया था, उसके रविवार को कोई जमानती या शिनाख्ती न मिलने की वजह से रात जेल में काटनी पड़ी। सोमवार को पुलिस ने असल उम्मीदवार सविता को भी सोनीपत के गन्नौर से गिरफ्तार कर लिया। दोनों को कोर्ट में पेश किया गया जहां से उन्हें जमानत मिल गई।
मुलाना पुलिस का कहना है कि इस मामले में पेपर देने के एवज में पैसे के लेन-देन का मामला सामने नहीं आया है। यही लग रहा है कि दोस्ती के चक्कर में ही सोनीपत के रामनगर की निशा अपनी सहेली की भाभी सविता की जगह जेबीटी की शिक्षक पात्रता परीक्षा देने को तैयार हो गई थी। चूंकि निशा पढ़ाई में होशियार है और बीए कर चुकी है इसलिए उसकी सहेली को भरोसा था कि निशा यह परीक्षा पास करवा दे
गी।
अब प्रदेश सरकार ने शिक्षक की भर्ती के लिए पात्रता परीक्षा पास होने की अनिवार्यता रखी है, इसी वजह से जेबीटी या बीएड करने वाले किसी भी कीमत पर यह परीक्षा पास करने के जुगाड़ में रहते हैं। रविवार को एमएम यूनिवर्सिटी में बने परीक्षा केंद्र से गिरफ्तार की गई निशा को मुलाना पुलिस ने रविवार को ही कोर्ट में पेश कर दिया था लेकिन उसका जमानती व शिनाख्ती न मिलने की वजह से उसे जमानत नहीं मिल सकी थी। सोमवार को निशा को सविता के साथ कोर्ट में पेश किया गया जहां पुलिस ने उनकी जमानत का विरोध नहीं किया।
मुलाना पुलिस का कहना है कि इस मामले में पेपर देने के एवज में पैसे के लेन-देन का मामला सामने नहीं आया है। यही लग रहा है कि दोस्ती के चक्कर में ही सोनीपत के रामनगर की निशा अपनी सहेली की भाभी सविता की जगह जेबीटी की शिक्षक पात्रता परीक्षा देने को तैयार हो गई थी। चूंकि निशा पढ़ाई में होशियार है और बीए कर चुकी है इसलिए उसकी सहेली को भरोसा था कि निशा यह परीक्षा पास करवा दे
गी।
अब प्रदेश सरकार ने शिक्षक की भर्ती के लिए पात्रता परीक्षा पास होने की अनिवार्यता रखी है, इसी वजह से जेबीटी या बीएड करने वाले किसी भी कीमत पर यह परीक्षा पास करने के जुगाड़ में रहते हैं। रविवार को एमएम यूनिवर्सिटी में बने परीक्षा केंद्र से गिरफ्तार की गई निशा को मुलाना पुलिस ने रविवार को ही कोर्ट में पेश कर दिया था लेकिन उसका जमानती व शिनाख्ती न मिलने की वजह से उसे जमानत नहीं मिल सकी थी। सोमवार को निशा को सविता के साथ कोर्ट में पेश किया गया जहां पुलिस ने उनकी जमानत का विरोध नहीं किया।
44 डीम्ड विवि पर फिर लटकी तलवार
सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त समिति ने देशभर के ४४ डीम्ड विश्वविद्यालयों को जबरदस्त झटका दिया है। समिति ने इससे पूर्व गठित रिव्यू कमेटी के उन विचारों से सहमति जताई है जिनमें कहा गया था कि ये विश्वविद्यालय डीम्ड के दर्जे के लायक अपेक्षित मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं। मालूम हो कि केंद्र सरकार ने इन डीम्ड विश्वविद्यालयों की मान्यता खत्म करने की मांग की है।
कमेटी ऑफ आफिसर्स ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। उसमें कहा गया है, ‘विशेषज्ञ समिति ने इस बारे में जो निष्कर्ष निकाला था उससे अलग राय रखने का कोई मतलब नहीं है। विशेषज्ञ समिति में अकादमिक विशेषज्ञ शामिल थे।’ एक अनुमान के मुताबिक देशभर में दो लाख विद्यार्थी इन विश्वविद्यालयों में कई पाठ्यक्रमों की पढ़ाई कर रहे हैं।
इससे पूर्व प्रोफेसर टंडन की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति और रिव्यू समिति की रिपोर्ट के आधार पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने डीम्ड के दर्जे को हटाने का फैसला किया था। मंत्रालय के कदम को चुनौती देते हुए विश्वविद्यालयों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने ११ जनवरी को अशोक ठाकुर, एनके सिन्हा और एसके राय की तीन सदस्यीय समिति बनाई। टंडन समिति ने इन विश्वविद्यालयों को सी श्रेणी में रखा। इसका मतलब था कि वे डीम्ड का दर्जा बरकरार रखने के लिए उपयुक्त नहीं हैं।
समिति के मुताबिक डीम्ड यूनिवर्सिटी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मानकों को पूरा करने में विफल रही हैं और उन्हें जागीर की तरह संचालित किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट की समिति ने कहा है कि ज्यादातर विश्वविद्यालयों ने स्वीकार किया कि वे संबंधित राज्य के विश्वविद्यालयों से संबद्ध हैं और उन्हें नए पाठ्यक्रम शुरू करने, शोध कार्य करने या पीएचडी कराने के लिहाज से कामकाज की स्वायत्तता नहीं है। सरकार ने जस्टिस दलवीर भंडारी और जस्टिस दीपक वर्मा की पीठ को इस बात का आश्वासन दिया है कि वह छात्रों के अकादमिक हितों का ख्याल रखेगी।
देशभर में दो लाख विद्यार्थी इन विश्वविद्यालयों में कई पाठ्यक्रमों की पढ़ाई कर रहे हैं
१. क्या कहा सुप्रीम कोर्ट की समिति ने विशेषज्ञ समिति ने इस बारे में जो निष्कर्ष निकाला था उससे अलग राय रखने का कोई मतलब नहीं है। विशेषज्ञ समिति में अकादमिक विशेषज्ञ शामिल थे।
२. क्या कहा था विशेषज्ञ समिति ने ये विश्वविद्यालय डीम्ड का दर्जा बरकरार रखने के लिए उपयुक्त नहीं हैं। डीम्ड यूनिवर्सिटी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मानकों को पूरा करने में विफल रही हैं और उन्हें जागीर की तरह संचालित किया जा रहा है।
कमेटी ऑफ आफिसर्स ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। उसमें कहा गया है, ‘विशेषज्ञ समिति ने इस बारे में जो निष्कर्ष निकाला था उससे अलग राय रखने का कोई मतलब नहीं है। विशेषज्ञ समिति में अकादमिक विशेषज्ञ शामिल थे।’ एक अनुमान के मुताबिक देशभर में दो लाख विद्यार्थी इन विश्वविद्यालयों में कई पाठ्यक्रमों की पढ़ाई कर रहे हैं।
इससे पूर्व प्रोफेसर टंडन की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति और रिव्यू समिति की रिपोर्ट के आधार पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने डीम्ड के दर्जे को हटाने का फैसला किया था। मंत्रालय के कदम को चुनौती देते हुए विश्वविद्यालयों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने ११ जनवरी को अशोक ठाकुर, एनके सिन्हा और एसके राय की तीन सदस्यीय समिति बनाई। टंडन समिति ने इन विश्वविद्यालयों को सी श्रेणी में रखा। इसका मतलब था कि वे डीम्ड का दर्जा बरकरार रखने के लिए उपयुक्त नहीं हैं।
समिति के मुताबिक डीम्ड यूनिवर्सिटी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मानकों को पूरा करने में विफल रही हैं और उन्हें जागीर की तरह संचालित किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट की समिति ने कहा है कि ज्यादातर विश्वविद्यालयों ने स्वीकार किया कि वे संबंधित राज्य के विश्वविद्यालयों से संबद्ध हैं और उन्हें नए पाठ्यक्रम शुरू करने, शोध कार्य करने या पीएचडी कराने के लिहाज से कामकाज की स्वायत्तता नहीं है। सरकार ने जस्टिस दलवीर भंडारी और जस्टिस दीपक वर्मा की पीठ को इस बात का आश्वासन दिया है कि वह छात्रों के अकादमिक हितों का ख्याल रखेगी।
देशभर में दो लाख विद्यार्थी इन विश्वविद्यालयों में कई पाठ्यक्रमों की पढ़ाई कर रहे हैं
१. क्या कहा सुप्रीम कोर्ट की समिति ने विशेषज्ञ समिति ने इस बारे में जो निष्कर्ष निकाला था उससे अलग राय रखने का कोई मतलब नहीं है। विशेषज्ञ समिति में अकादमिक विशेषज्ञ शामिल थे।
२. क्या कहा था विशेषज्ञ समिति ने ये विश्वविद्यालय डीम्ड का दर्जा बरकरार रखने के लिए उपयुक्त नहीं हैं। डीम्ड यूनिवर्सिटी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मानकों को पूरा करने में विफल रही हैं और उन्हें जागीर की तरह संचालित किया जा रहा है।
अभी चतुर्थ श्रेणी कर्मी दौड़ाएंगे आला अधिकारियों की गाड़ी
, भिवानी अब शिक्षा विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अपने आला अधिकारियों की गाड़ी को दौड़ाएंगे। इतना ही नहीं इन कर्मचारियों को ड्राइविंग टेस्ट की कसौटी पर भी खरा उतरना पड़ेगा। हरियाणा स्कूली शिक्षा विभाग ने इस दिशा में भर्ती प्रक्रिया के लिए कवायद शुरू कर दी है। भिवानी, पानीपत, महेन्द्रगढ़, सोनीपत, गुड़गांव, सिरसा, झज्जर, फतेहाबाद, करनाल, कैथल, कुरुक्षेत्र व हिसार जिला के जिला शिक्षा अधिकारियों को स्कूली शिक्षा विभाग के निदेशक ने पत्र भेजकर इस आशय से अवगत कराया है। शिक्षा निदेशक ने अपने आदेश पत्र क्रमांक 13/25-2005 एचआरएमई 5 के तहत दिनांक 3 नवम्बर 2011 को जारी पत्र में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को चालक के पद पर पदोन्नत किए जाने की बात कही है। हरियाणा में 21 जिले हैं, प्रत्येक जिले में एक जिला शिक्षा अधिकारी और एक जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी की गाड़ी चलाने के लिए कम से कम दो चालकों की आवश्यकता है। अगर शिक्षा विभाग में चालकों के पदों पर नजर डालें तो इस समय मात्र 22 चालक ही विभिन्न जिलों में शिक्षा अधिकारियों की गाडि़यों की कमान संभाले हुए हैं, जबकि 20 चालकों के पद खाली होने से शिक्षा अधिकारियों की गाड़ी बिना चालक के ही बनी हुई है। ऐसे में शिक्षा विभाग की सरकारी स्कूलों के औचक निरीक्षण की व्यवस्था भी बुरी तरह प्रभावित हो रही है। शिक्षा विभाग ने अपने मातहत विभिन्न कार्यालयों में तैनात ऐसे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की सूची तैयार की है, जो अपने मूल कार्य के अलावा वाहन चलाने में रुचि रखने के अलावा ड्राइविंग का अच्छा खास अनुभव भी रखते हों।
आवर्त सारणी में शामिल हुए तीन नए सदस्य
, एजेंसी : आवर्त सारणी में तीन नए सदस्य जुड़े हैं। इनमें से एक का नाम मशहूर खगोलविद निकोलस कॉपरनिकस के नाम पर रखा गया है। इंटरनेशनल यूनियन ऑफ प्योर एंड एप्लाइड फिजिक्स (आइयूपीएपी) की महासभा ने परमाणु क्रमांक संख्या 110, 111 और 112 वाले नए तत्वों के नामों को मंजूरी दे दी है। इनके नाम है डर्मस्टैडटियम (डीएस), रोंटेजेनियम (आरजी) और कॉपरनिशियम (सीएन)। डेली मेल की खबर के मुताबिक, महासभा में शामिल विभिन्न देशों के 60 सदस्यों ने लंदन के इंस्टिट्यूट ऑफ फिजिक्स (आइओपी) में हुई बैठक में नए नामों को मंजूरी दी। आइओपी के मुख्य कार्यकारी और आइयूपीएपी के महासचिव डॉक्टर रॉबर्ट किर्बी हैरिस ने कहा कि इन तत्वों के नामों को पूरी दुनिया के विभिन्न भौतिकविदों से विमर्श के बाद मंजूरी दी गई है। हम इनके आवर्त सारणी में शामिल होने से प्रसन्न हैं। इन्हें अब आवर्त सारणी में स्थान मिला है। मगर इनकी खोज बहुत पहले हो गई थी। लेकिन वैज्ञानिकों संस्थाओं द्वारा औपचारिक तौर पर इनका नामकरण जरूरी था। सामान्य तौर पर तत्व का नाम उसके खोजकर्ता के नाम पर रखा जाता है। यूनिवर्स टूडे के मुताबिक कॉपरनिशियम की खोज नौ फरवरी 1996 को हुई थी। इसका वास्तविक नाम उनूनबियम था। आइयूपीएपी ने इसके नाम और संकेत को कॉपरनिकस की 537वीं जयंती पर 19 फरवरी 2010 को मंजूरी दी। कॉपरनिकस पहले व्यक्ति थे जिन्होंने कहा था कि पृथ्वी सूर्य के ईर्द-गिर्द चक्कर लगाती है। उनकी मृत्यु वर्ष 1543 में हुई।
हिंदी की जगह संस्कृत पेपर थमाया
भास्कर न्यूज त्न हिसार
एच-टीईटी की दूसरी पाली की परीक्षा में रविवार को परीक्षार्थियों को हिंदी की बजाय उर्दू पंजाबी और संस्कृत के प्रश्नपत्र थमा दिए गए। दयानंद कॉलेज के परीक्षा केंद्र में हुए इस वाकये को लेकर परीक्षार्थियों ने जब शिकायत की तो शिक्षकों ने पहले तो अनुपस्थिति लगाकर परीक्षा से बाहर करने की धमकी दी। इस पर परीक्षार्थी भड़क गए। बाद में शिक्षकों ने कोड नंबर में गड़बड़ी की बात कहकर हिंदी के प्रश्नपत्र उपलब्ध न होने की बात कही। सेक्टर १५ निवासी अनिता रेलन को हिंदी विषय की जगह सोशल साइंस का पेपर दे दिया।
इसके चलते परीक्षार्थियों को हिंदी की बजाय उर्दू पंजाबी और संस्कृत की संयुक्त विषय की परीक्षा देनी पड़ी। कमरा नंबर 107 में हुए इस घटनाक्रम के बारे में चरखी दादरी से परीक्षा देने आए जगवीर ने बताया कि पेपर बांटने वाले बोर्ड के पेपर कोड में उलझ गए। पहले तो हिंदी का पेपर बांटा गया लेकिन पांच मिनट के बाद ही यह कहते हुए वापस ले लिया कि गलत पेपर बांट दिया गया है। इसे बाद उन्हें संयुक्त पेपर थमाया गया। जब परीक्षार्थियों ने विरोध किया तो किसी ने एक नहीं सुनी। परीक्षकों ने कहा कि जिस रूल नंबर के लिए जो पेपर इश्यू हुआ है, वही वह दे सकते हैं। इसके बाद उन्होंने बात नहीं सुनी और परीक्षार्थियों ने संयुक्त पेपर की परीक्षा दी।
हांसी में महिला परीक्षार्थी के बैग की जांच करती महिला पुलिसकर्मी।
एच-टीईटी की दूसरी पाली की परीक्षा में रविवार को परीक्षार्थियों को हिंदी की बजाय उर्दू पंजाबी और संस्कृत के प्रश्नपत्र थमा दिए गए। दयानंद कॉलेज के परीक्षा केंद्र में हुए इस वाकये को लेकर परीक्षार्थियों ने जब शिकायत की तो शिक्षकों ने पहले तो अनुपस्थिति लगाकर परीक्षा से बाहर करने की धमकी दी। इस पर परीक्षार्थी भड़क गए। बाद में शिक्षकों ने कोड नंबर में गड़बड़ी की बात कहकर हिंदी के प्रश्नपत्र उपलब्ध न होने की बात कही। सेक्टर १५ निवासी अनिता रेलन को हिंदी विषय की जगह सोशल साइंस का पेपर दे दिया।
इसके चलते परीक्षार्थियों को हिंदी की बजाय उर्दू पंजाबी और संस्कृत की संयुक्त विषय की परीक्षा देनी पड़ी। कमरा नंबर 107 में हुए इस घटनाक्रम के बारे में चरखी दादरी से परीक्षा देने आए जगवीर ने बताया कि पेपर बांटने वाले बोर्ड के पेपर कोड में उलझ गए। पहले तो हिंदी का पेपर बांटा गया लेकिन पांच मिनट के बाद ही यह कहते हुए वापस ले लिया कि गलत पेपर बांट दिया गया है। इसे बाद उन्हें संयुक्त पेपर थमाया गया। जब परीक्षार्थियों ने विरोध किया तो किसी ने एक नहीं सुनी। परीक्षकों ने कहा कि जिस रूल नंबर के लिए जो पेपर इश्यू हुआ है, वही वह दे सकते हैं। इसके बाद उन्होंने बात नहीं सुनी और परीक्षार्थियों ने संयुक्त पेपर की परीक्षा दी।
हांसी में महिला परीक्षार्थी के बैग की जांच करती महिला पुलिसकर्मी।
एचटेट में नकल के अजब-गजब तरीके
हांसी में सिख छात्रों की पगड़ी की तलाशी पर विवाद
: घड़ीनुमा मोबाइल रखने पर दो परीक्षार्थी पकड़े, मिनी मोबाइल पर मिल रहे थे सवालों के जवाब
> ब्लूटूथ से नकल करते एफसी कॉलेज में परीक्षार्थी पकड़ी, पुलिस ने हिरासत में ले केस दर्ज किया
भास्कर न्यूज त्न हिसार
नकल के लिए नकलचियों ने नए-नए तरीके निकाल लिए हैं। रविवार को दिल्ली बाईपास स्थित डीएवी पुलिस पब्लिक स्कूल और लाहौरिया स्कूल में दो परीक्षार्थियों से एक घड़ी पकड़ी गई। दरअसल यह घड़ी न होकर एक मिनी चाइनीज मोबाइल था, जिस पर बाहर से लगातार एसएमएस और फोन आ रहे थे। बोर्ड अधिकारियों ने आरोपी परीक्षार्थी को पकड़ यू एमसी (केस) बना दिया। वहीं लाहौरिया स्कूल के परीक्षार्थी पर पुलिस ने केस दर्ज लिया है।
रविवार को एचटेट की परीक्षा सुबह और शाम दो शिफ्टों में हुईं। दोपहर दो बजे दूसरा पेपर शुरू हुआ ही था कि एक परीक्षा केंद्र पर एक छात्रा को नकल के शक के आधार पर पर्यवेक्षक ने टोका। वह छात्रा हाथ पर बांधी घड़ी को कान के पास लगाकर धीर -धीरे कुछ बोल रही थी। इस दौरान भिवानी बोर्ड की तरफ से ऋषि राम शर्मा स्पेशल ऑबजर्वर तैनात थे। छात्रा की हरकत पर शर्मा और अन्य कर्मचारियों को शक हुआ। अधिकारियों ने उससे पूछताछ की तो वह बहाने बनाने लगी। घड़ी को लड़की के हाथ से उतार कर देखा गया तो ड्यूटी पर तैनात अधिकारी भी सकते में आ गए। वह घड़ी न होकर एक छोटा चाइनीज मोबाइल था। जिसमें कैमरा, फोन, मैसेज की सुविधा थी।
लड़की उसके जरिए अपने सवाल बाहर भेज कर साथी से जवाब जान रही थी। अधिकारियों ने जब मोबाइल को पकड़ा तो उस दौरान उस पर कई मैसेज आए, जिसमें प्रश्न के उत्तर थे। पकड़े जाने पर पुलिस को भी बुलाया और उसकी तलाशी तक ली गई। बाद में लड़की का यू एमसी केस बनाकर उसे भेज दिया गया। दूसरी तरफ लाहौरिया चौक स्थित लाहौरिया स्कूल में भी सोनीपत के पुगथला गांव के जोगेंद्र को पकड़ा। उसके पास भी ऐसी ही एक घड़ी मिली जिसे वह मोबाइल के रूप में प्रयोग कर रहा था। अधिकारियों ने उसे पकड़ कर उस पर केस बना दिया और पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस ने भी केस दर्ज कर लिया है।
जाट कालेज में परीक्षा केंद्र के बाहर परीक्षार्थियों की भीड़
डीएवी पुलिस पब्लिक स्कूल में पकड़ा गया घड़ी नुमा मोबाइल
: घड़ी नुमा मोबाइल के फ्रंट पर एक छोटा कैमरा लगा था।
: मोबाइल के लेफ्ट साइड में उसे प्रयोग करने के लिए तीन बटन और राइट साइड में एक बटन लगा था
: घड़ी जीतनी ही उस मोबाइल की स्क्रीन थी
: दो सिम एक साथ उसमें प्रयोग किए जा सकते हैं
एफसी कॉलेज में ब्लूटूथ से नकल करते हुए पकड़ी गई परीक्षार्थी हिरासत में
हांसी में छात्रों की पगड़ी की जांच करते पुलिस कर्मी।
: घड़ीनुमा मोबाइल रखने पर दो परीक्षार्थी पकड़े, मिनी मोबाइल पर मिल रहे थे सवालों के जवाब
> ब्लूटूथ से नकल करते एफसी कॉलेज में परीक्षार्थी पकड़ी, पुलिस ने हिरासत में ले केस दर्ज किया
भास्कर न्यूज त्न हिसार
नकल के लिए नकलचियों ने नए-नए तरीके निकाल लिए हैं। रविवार को दिल्ली बाईपास स्थित डीएवी पुलिस पब्लिक स्कूल और लाहौरिया स्कूल में दो परीक्षार्थियों से एक घड़ी पकड़ी गई। दरअसल यह घड़ी न होकर एक मिनी चाइनीज मोबाइल था, जिस पर बाहर से लगातार एसएमएस और फोन आ रहे थे। बोर्ड अधिकारियों ने आरोपी परीक्षार्थी को पकड़ यू एमसी (केस) बना दिया। वहीं लाहौरिया स्कूल के परीक्षार्थी पर पुलिस ने केस दर्ज लिया है।
रविवार को एचटेट की परीक्षा सुबह और शाम दो शिफ्टों में हुईं। दोपहर दो बजे दूसरा पेपर शुरू हुआ ही था कि एक परीक्षा केंद्र पर एक छात्रा को नकल के शक के आधार पर पर्यवेक्षक ने टोका। वह छात्रा हाथ पर बांधी घड़ी को कान के पास लगाकर धीर -धीरे कुछ बोल रही थी। इस दौरान भिवानी बोर्ड की तरफ से ऋषि राम शर्मा स्पेशल ऑबजर्वर तैनात थे। छात्रा की हरकत पर शर्मा और अन्य कर्मचारियों को शक हुआ। अधिकारियों ने उससे पूछताछ की तो वह बहाने बनाने लगी। घड़ी को लड़की के हाथ से उतार कर देखा गया तो ड्यूटी पर तैनात अधिकारी भी सकते में आ गए। वह घड़ी न होकर एक छोटा चाइनीज मोबाइल था। जिसमें कैमरा, फोन, मैसेज की सुविधा थी।
लड़की उसके जरिए अपने सवाल बाहर भेज कर साथी से जवाब जान रही थी। अधिकारियों ने जब मोबाइल को पकड़ा तो उस दौरान उस पर कई मैसेज आए, जिसमें प्रश्न के उत्तर थे। पकड़े जाने पर पुलिस को भी बुलाया और उसकी तलाशी तक ली गई। बाद में लड़की का यू एमसी केस बनाकर उसे भेज दिया गया। दूसरी तरफ लाहौरिया चौक स्थित लाहौरिया स्कूल में भी सोनीपत के पुगथला गांव के जोगेंद्र को पकड़ा। उसके पास भी ऐसी ही एक घड़ी मिली जिसे वह मोबाइल के रूप में प्रयोग कर रहा था। अधिकारियों ने उसे पकड़ कर उस पर केस बना दिया और पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस ने भी केस दर्ज कर लिया है।
जाट कालेज में परीक्षा केंद्र के बाहर परीक्षार्थियों की भीड़
डीएवी पुलिस पब्लिक स्कूल में पकड़ा गया घड़ी नुमा मोबाइल
: घड़ी नुमा मोबाइल के फ्रंट पर एक छोटा कैमरा लगा था।
: मोबाइल के लेफ्ट साइड में उसे प्रयोग करने के लिए तीन बटन और राइट साइड में एक बटन लगा था
: घड़ी जीतनी ही उस मोबाइल की स्क्रीन थी
: दो सिम एक साथ उसमें प्रयोग किए जा सकते हैं
एफसी कॉलेज में ब्लूटूथ से नकल करते हुए पकड़ी गई परीक्षार्थी हिरासत में
हांसी में छात्रों की पगड़ी की जांच करते पुलिस कर्मी।
कब मिलेगा अवार्ड, इंतजार में शिक्षक
दो माह बाद भी शिक्षक अवार्ड की कोई घोषणा या जानकारी जारी नहीं कर रही सरकार
शिक्षकों ने सरकार द्वारा निर्धारित शर्तों पर आपत्तियां उठाई थीं। इसके अंतर्गत 75 प्रतिशत नंबरों की अनिवार्यता हटाकर 50 प्रतिशत करने, पिछले शैक्षणिक सत्र से शुरू हुई इंस्पायर्ड अवार्ड जो सभी शिक्षकों पर लागू नहीं होता। इसके अलावा भी डायरी सिस्टम, स्कूल रिकार्ड आदि पर रखी गईं शर्तें सभी शिक्षकों पर लागू नहीं होती। ऐसे में अधिकांश शिक्षक आवेदन ही नहीं कर पाए। राजकीय अध्यापक संघ के जिला प्रधान महावीर सिंह का कहना है कि शिक्षा विभाग की अपनी ठोस नीति नहीं होने के कारण इस प्रकार की खामियां उजागर हो रही हैं। वास्तव में शिक्षकों को सम्मान देने की सरकार की मंशा ही नही है। हरियाणा स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन के जिला प्रधान हरीश कुमार के अनुसार संगठन की ओर से बार बार निर्धारित किए गए शर्तों में सुधार करने की मांग करने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई। यही कारण रहा कि अधिकांश शिक्षक आवेदन करने से वंचित रहे।
ज्ञान प्रसाद त्न रेवाड़ी
प्रदेश भर के शिक्षक राज्यस्तरीय अवार्ड पाने का इंतजार करते करते थक गए हैं। करीब दो माह बीत जाने के बाद भी अभी तक इस साल का राज्य शिक्षक अवार्ड घोषित नहीं हो सका है। साल भर उत्कृष्ट सेवा करने वाले सरकारी शिक्षकों को राज्य शिक्षक अवार्ड से नवाजा जाता है।
इस बार पांच सितंबर को मिलने वाला राज्य शिक्षक अवार्ड यह कहकर एक नवंबर तक के लिए टाल दिया गया कि शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी और मुख्यमंत्री विदेश गए हैं। एक नवंबर को हरियाणा दिवस के उपलक्ष्य में सभी शिक्षकों को सम्मानित किया जाना था। हरियाणा दिवस का राज्यस्तरीय कार्यक्रम संपन्न होने के बावजूद शिक्षकों को कोई सम्मान नहीं मिला।
अब कब मिलना है इसका भी कोई खुलासा नहीं होने से अवार्ड की बाट जोह रहे शिक्षकों में मायूसी छाई हुई है। इस संबंध में न तो जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की ओर से कोई सूचना है और न ही आवेदन करने वाले शिक्षकों के पास जानकारी। पिछली बार भी दो साल बाद राज्य शिक्षक अवार्ड दिया गया था। वर्ष 2008 के बाद 2010 में दिया गया था।
आवेदन भी आए कम
जिले में राज्य शिक्षक अवार्ड के लिए आवेदन भी काफी कम आए। इनमें केवल चार आवेदन आए थे जिनमें से केवल एक केस ही शर्तों को पूरा कर सका है।
कोई जानकारी नहीं
जिला शिक्षा अधिकारी का अतिरिक्त जिम्मा संभाल रही गुडग़ांव की जिला शिक्षा अधिकारी डा. मनोज कौशिक का कहना है कि अभी तक न तो विभाग की ओर से न ही सरकार की ओर से इस संबंध में कोई दिशा निर्देश नहीं आए हैं। विभाग की ओर से निर्धारित किए गए शर्तों के आधार पर अधिकांश शिक्षक आवेदन नहीं कर पाए। इस संबंध में जो आपत्तियां आईं उसकी जानकारी उच्च अधिकारियों तक पहुंचाई जा चुकी हैं।
जिन शिक्षकों ने आवेदन किया उनका तो परिणाम घोषित कर दिया जाना चाहिए। उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया जाएगा।
आवेदन की निर्धारित शर्तों पर भी हुआ था विवाद
रमेश पाल. करनाल त्न दिनोंदिन अध्ययन और अध्यापन कार्य में बदलाव आ रहे हैं। ऐसे में अध्यापकों का अपडेट रहना आवश्यक है। इसी आवश्यकता के तहत प्रदेश सरकार ने शिक्षकों को सेवाकालीन प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया है। जेबीटी का यह 11 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आठ नवंबर से शुरू होगा। विद्यार्थियों को समयानुकूल और तर्कसंगत शिक्षा देने के सरका नए प्रोग्राम लागू करती है। इसी शृंखला में अब सेवाकालीन प्रशिक्षण शिविर लगाने का निर्णय लिया है। सर्वशिक्षा अभियान के स्टेट प्रोजेक्ट डायरेक्टर की ओर से प्रदेश के सभी डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट डायरेक्टर्स को सेवा कालीन प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। करनाल में यह प्रशिक्षण शिविर 8 नवंबर से बीआरसी कार्यालयों में आयोजित किए जाएंगे, जिनमें जेबीटी को मौजूदा स्थितियों के अनुकूल टीचर्स को अपडेट किया जाएगा। अध्यापकों शिक्षा क्षेत्र की नवीनतम खोज व प्रयोगों से अवगत कराया जाएगा।
कोई जानकारी नहीं
जिला शिक्षा अधिकारी का अतिरिक्त जिम्मा संभाल रही गुडग़ांव की जिला शिक्षा अधिकारी डा. मनोज कौशिक का कहना है कि अभी तक न तो विभाग की ओर से न ही सरकार की ओर से इस संबंध में कोई दिशा निर्देश नहीं आए हैं। विभाग की ओर से निर्धारित किए गए शर्तों के आधार पर अधिकांश शिक्षक आवेदन नहीं कर पाए। इस संबंध में जो आपत्तियां आईं उसकी जानकारी उच्च अधिकारियों तक पहुंचाई जा चुकी हैं। जिन शिक्षकों ने आवेदन किया उनका तो परिणाम घोषित कर दिया जाना चाहिए। उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया जाएगा।
शिक्षकों ने सरकार द्वारा निर्धारित शर्तों पर आपत्तियां उठाई थीं। इसके अंतर्गत 75 प्रतिशत नंबरों की अनिवार्यता हटाकर 50 प्रतिशत करने, पिछले शैक्षणिक सत्र से शुरू हुई इंस्पायर्ड अवार्ड जो सभी शिक्षकों पर लागू नहीं होता। इसके अलावा भी डायरी सिस्टम, स्कूल रिकार्ड आदि पर रखी गईं शर्तें सभी शिक्षकों पर लागू नहीं होती। ऐसे में अधिकांश शिक्षक आवेदन ही नहीं कर पाए। राजकीय अध्यापक संघ के जिला प्रधान महावीर सिंह का कहना है कि शिक्षा विभाग की अपनी ठोस नीति नहीं होने के कारण इस प्रकार की खामियां उजागर हो रही हैं। वास्तव में शिक्षकों को सम्मान देने की सरकार की मंशा ही नही है। हरियाणा स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन के जिला प्रधान हरीश कुमार के अनुसार संगठन की ओर से बार बार निर्धारित किए गए शर्तों में सुधार करने की मांग करने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई। यही कारण रहा कि अधिकांश शिक्षक आवेदन करने से वंचित रहे।
ज्ञान प्रसाद त्न रेवाड़ी
प्रदेश भर के शिक्षक राज्यस्तरीय अवार्ड पाने का इंतजार करते करते थक गए हैं। करीब दो माह बीत जाने के बाद भी अभी तक इस साल का राज्य शिक्षक अवार्ड घोषित नहीं हो सका है। साल भर उत्कृष्ट सेवा करने वाले सरकारी शिक्षकों को राज्य शिक्षक अवार्ड से नवाजा जाता है।
इस बार पांच सितंबर को मिलने वाला राज्य शिक्षक अवार्ड यह कहकर एक नवंबर तक के लिए टाल दिया गया कि शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी और मुख्यमंत्री विदेश गए हैं। एक नवंबर को हरियाणा दिवस के उपलक्ष्य में सभी शिक्षकों को सम्मानित किया जाना था। हरियाणा दिवस का राज्यस्तरीय कार्यक्रम संपन्न होने के बावजूद शिक्षकों को कोई सम्मान नहीं मिला।
अब कब मिलना है इसका भी कोई खुलासा नहीं होने से अवार्ड की बाट जोह रहे शिक्षकों में मायूसी छाई हुई है। इस संबंध में न तो जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की ओर से कोई सूचना है और न ही आवेदन करने वाले शिक्षकों के पास जानकारी। पिछली बार भी दो साल बाद राज्य शिक्षक अवार्ड दिया गया था। वर्ष 2008 के बाद 2010 में दिया गया था।
आवेदन भी आए कम
जिले में राज्य शिक्षक अवार्ड के लिए आवेदन भी काफी कम आए। इनमें केवल चार आवेदन आए थे जिनमें से केवल एक केस ही शर्तों को पूरा कर सका है।
कोई जानकारी नहीं
जिला शिक्षा अधिकारी का अतिरिक्त जिम्मा संभाल रही गुडग़ांव की जिला शिक्षा अधिकारी डा. मनोज कौशिक का कहना है कि अभी तक न तो विभाग की ओर से न ही सरकार की ओर से इस संबंध में कोई दिशा निर्देश नहीं आए हैं। विभाग की ओर से निर्धारित किए गए शर्तों के आधार पर अधिकांश शिक्षक आवेदन नहीं कर पाए। इस संबंध में जो आपत्तियां आईं उसकी जानकारी उच्च अधिकारियों तक पहुंचाई जा चुकी हैं।
जिन शिक्षकों ने आवेदन किया उनका तो परिणाम घोषित कर दिया जाना चाहिए। उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया जाएगा।
आवेदन की निर्धारित शर्तों पर भी हुआ था विवाद
रमेश पाल. करनाल त्न दिनोंदिन अध्ययन और अध्यापन कार्य में बदलाव आ रहे हैं। ऐसे में अध्यापकों का अपडेट रहना आवश्यक है। इसी आवश्यकता के तहत प्रदेश सरकार ने शिक्षकों को सेवाकालीन प्रशिक्षण देने का निर्णय लिया है। जेबीटी का यह 11 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आठ नवंबर से शुरू होगा। विद्यार्थियों को समयानुकूल और तर्कसंगत शिक्षा देने के सरका नए प्रोग्राम लागू करती है। इसी शृंखला में अब सेवाकालीन प्रशिक्षण शिविर लगाने का निर्णय लिया है। सर्वशिक्षा अभियान के स्टेट प्रोजेक्ट डायरेक्टर की ओर से प्रदेश के सभी डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट डायरेक्टर्स को सेवा कालीन प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। करनाल में यह प्रशिक्षण शिविर 8 नवंबर से बीआरसी कार्यालयों में आयोजित किए जाएंगे, जिनमें जेबीटी को मौजूदा स्थितियों के अनुकूल टीचर्स को अपडेट किया जाएगा। अध्यापकों शिक्षा क्षेत्र की नवीनतम खोज व प्रयोगों से अवगत कराया जाएगा।
कोई जानकारी नहीं
जिला शिक्षा अधिकारी का अतिरिक्त जिम्मा संभाल रही गुडग़ांव की जिला शिक्षा अधिकारी डा. मनोज कौशिक का कहना है कि अभी तक न तो विभाग की ओर से न ही सरकार की ओर से इस संबंध में कोई दिशा निर्देश नहीं आए हैं। विभाग की ओर से निर्धारित किए गए शर्तों के आधार पर अधिकांश शिक्षक आवेदन नहीं कर पाए। इस संबंध में जो आपत्तियां आईं उसकी जानकारी उच्च अधिकारियों तक पहुंचाई जा चुकी हैं। जिन शिक्षकों ने आवेदन किया उनका तो परिणाम घोषित कर दिया जाना चाहिए। उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया जाएगा।
एचटेट में पकड़े ‘मुन्नाभाई’
कैथल
एक ने बाजू में पट्टी बांध छिपाया फोन दूसरा घड़ी मोबाइल के साथ दबोचा
हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा देने आए एक युवक को मोबाइल तो दूसरे को मोबाइल घड़ी के साथ पकड़ा है। जाट कालेज में परीक्षा देने आए एक युवक को पुलिस ने जाट कालेज के मुख्यद्वार पर चेकिंग के दौरान मोबाइल के साथ पकड़ लिया। सूचना पाकर डीसी और एसपी भी मौके पर पहुंचे। परीक्षा केंद्र अधीक्षक दीपक कुमार की शिकायत पर यह कार्रवाई की गई। चेकिंग के दौरान पुलिस ने शाहपुर जिला जींद वासी सलिंद्र के कमीज के अंदर बाजू से बंधी मेडिकल पट्टी से मोबाइल और सिलाई किए स्पीकर बरामद किए।
वहीं, आरकेएसडी स्कूल का है। यहां एक युवक घड़ी मोबाइल के साथ नकल करते पकड़ा गया। केंद्र अधीक्षक वीना बंसल ने बताया कि एक युवक कान पर घड़ी लगाकर पेपर कर रहा था। शक होने पर इसकी जानकारी पुलिस को दी गई तो पता चला कि घड़ी में युवक ने मोबाइल फिट करवा रखा है। पुलिस ने जब युवक से पूछताछ की तो उसने अपना नाम सुनील निवासी जींद बताया। उसने बताया कि इस काम के लिए उसने किसी एजेंट को एक लाख रुपए भी देने थे। पुलिस ने दोनों युवकों के खिलाफ धारा 144 की उल्लंघना करने और परीक्षा के दौरान हेराफेरी करने के प्रयास का मामला दर्ज किया है।
परीक्षा के दौरान इस युवक की बाजू में मिला था मोबाईल फोन
सहेली धर्म निभाना पड़ गया भारी
अम्बाला सिटी त्न मामला एमएम यूनिवर्सिटी में बने परीक्षा केंद्र का है, जहां सोनीपत के रामनगर की निशा को सहेली धर्म निभाना भारी पड़ गया। निशा अपनी सहेली के कहने पर उसकी भाभी की जगह परीक्षा देने पहुंची थी। प्रश्न पुस्तिका पर लिखना भी शुरू कर दिया था, लेकिन परीक्षक को शक हुआ तो पकड़ी गई। उसकी खराब किस्मत कहें कि इसी दौरान एसडीएम निरीक्षण करने पहुंच गए और उन्होंने उसे छोडऩे के बजाय एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दे दिए।
प्रदेशभर में पकड़े 41 नकलची
भिवानी त्न रविवार को एचटेट की कैटेगरी नंबर--1 और कैटेगरी नंबर-2 की परीक्षा हुई। सुबह के सत्र में हुई पहली से पांचवीं के शिक्षक वर्ग की परीक्षा में 14 नकलची पकड़े गए। शाम को छठी से आठवीं मास्टर वर्ग और भाषा अध्यापकों की परीक्षा में 27 नकलची पकड़े गए। इनमें फतेहाबाद, हिसार, करनाल व यमुनानगर का एक परीक्षार्थी, फरीदाबाद के दो, चंडीगढ़ से तीन और सोनीपत जिले के चार परीक्षार्थी शामिल हैं।
भिवानी शहर में कुछ इस तरह का था एचटैट की परीक्षा के लिए जेबीटी का पेपर, जोकि दो हजार से दस हजार रुपये तक बिका।
दो से 10 हजार में बिका फर्जी प्रश्न पत्र
भिवानी त्न शनिवार शाम से रविवार सुबह तक एचटेट परीक्षा के फर्जी प्रश्न पत्र दो से 10 हजार रुपये में बिके। शनिवार शाम को ही बाजार में एचटेट परीक्षा का प्रश्न पत्र आउट होने की बात फैल गई थी। सूचना के अनुसार शहर के मुख्य बाजारों, सेक्टरों, पुराना हाउसिंग बोर्ड, बस स्टैंड में एचटेट परीक्षा के फर्जी प्रश्न पत्रों की जमकर बिक्री हुई। देर रात प्रश्न पत्रों के रेट नीचे आते गए। हालात ये रहे कि शनिवार शाम जो प्रश्न पत्र 10 हजार रुपये में बिक रहे थे वहीं रविवार सुबह बस स्टैंड पर दो-दो हजार रुपये में बिके । रविवार सुबह पांच बजे ही बस स्टैंड परिसर में एचटेट का फर्जी प्रश्न पत्र बेचने वाले पहुंच गए तथा बस में सवार परीक्षार्थियों ने प्रश्नों के बदले जमकर पैसे लूटे। एचटेट के फर्जी प्रश्न पत्र करीब आठ पेजों का रहा जो किसी प्रतियोगी पुस्तक के पिछले पेजों से लिया गया था। इनकी फोटोस्टेट कापियां ही बाजारों में बिकीं। एच टेट परीक्षा का पेपर एक दिन पहले बिकने के सवाल पर बोर्ड सचिव चंद्रप्रकाश ने कहा कि वो पेपर मेरे पास भी आया था, लेकिन उस पेपर में जो प्रश्न दिए गए थे, उनमें से एक भी प्रश्न असली पेपर से नहीं मेल खा रहा था। परीक्षा के दौरान बीएड अध्यापक पद के परीक्षार्थियों को भाषा विषय संबंधी प्रश्न पत्रों के मिलने में आई परेशानी पर उन्होंने कहा कि इस संबंध में बोर्ड मुख्यालय द्वारा जारी की गई हेल्पलाइन पर काफी फोन कॉल्स आए थे, जिनका अधिकारियों ने उसी समय समाधान कर दिया।
एक ने बाजू में पट्टी बांध छिपाया फोन दूसरा घड़ी मोबाइल के साथ दबोचा
हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा देने आए एक युवक को मोबाइल तो दूसरे को मोबाइल घड़ी के साथ पकड़ा है। जाट कालेज में परीक्षा देने आए एक युवक को पुलिस ने जाट कालेज के मुख्यद्वार पर चेकिंग के दौरान मोबाइल के साथ पकड़ लिया। सूचना पाकर डीसी और एसपी भी मौके पर पहुंचे। परीक्षा केंद्र अधीक्षक दीपक कुमार की शिकायत पर यह कार्रवाई की गई। चेकिंग के दौरान पुलिस ने शाहपुर जिला जींद वासी सलिंद्र के कमीज के अंदर बाजू से बंधी मेडिकल पट्टी से मोबाइल और सिलाई किए स्पीकर बरामद किए।
वहीं, आरकेएसडी स्कूल का है। यहां एक युवक घड़ी मोबाइल के साथ नकल करते पकड़ा गया। केंद्र अधीक्षक वीना बंसल ने बताया कि एक युवक कान पर घड़ी लगाकर पेपर कर रहा था। शक होने पर इसकी जानकारी पुलिस को दी गई तो पता चला कि घड़ी में युवक ने मोबाइल फिट करवा रखा है। पुलिस ने जब युवक से पूछताछ की तो उसने अपना नाम सुनील निवासी जींद बताया। उसने बताया कि इस काम के लिए उसने किसी एजेंट को एक लाख रुपए भी देने थे। पुलिस ने दोनों युवकों के खिलाफ धारा 144 की उल्लंघना करने और परीक्षा के दौरान हेराफेरी करने के प्रयास का मामला दर्ज किया है।
परीक्षा के दौरान इस युवक की बाजू में मिला था मोबाईल फोन
सहेली धर्म निभाना पड़ गया भारी
अम्बाला सिटी त्न मामला एमएम यूनिवर्सिटी में बने परीक्षा केंद्र का है, जहां सोनीपत के रामनगर की निशा को सहेली धर्म निभाना भारी पड़ गया। निशा अपनी सहेली के कहने पर उसकी भाभी की जगह परीक्षा देने पहुंची थी। प्रश्न पुस्तिका पर लिखना भी शुरू कर दिया था, लेकिन परीक्षक को शक हुआ तो पकड़ी गई। उसकी खराब किस्मत कहें कि इसी दौरान एसडीएम निरीक्षण करने पहुंच गए और उन्होंने उसे छोडऩे के बजाय एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दे दिए।
प्रदेशभर में पकड़े 41 नकलची
भिवानी त्न रविवार को एचटेट की कैटेगरी नंबर--1 और कैटेगरी नंबर-2 की परीक्षा हुई। सुबह के सत्र में हुई पहली से पांचवीं के शिक्षक वर्ग की परीक्षा में 14 नकलची पकड़े गए। शाम को छठी से आठवीं मास्टर वर्ग और भाषा अध्यापकों की परीक्षा में 27 नकलची पकड़े गए। इनमें फतेहाबाद, हिसार, करनाल व यमुनानगर का एक परीक्षार्थी, फरीदाबाद के दो, चंडीगढ़ से तीन और सोनीपत जिले के चार परीक्षार्थी शामिल हैं।
भिवानी शहर में कुछ इस तरह का था एचटैट की परीक्षा के लिए जेबीटी का पेपर, जोकि दो हजार से दस हजार रुपये तक बिका।
दो से 10 हजार में बिका फर्जी प्रश्न पत्र
भिवानी त्न शनिवार शाम से रविवार सुबह तक एचटेट परीक्षा के फर्जी प्रश्न पत्र दो से 10 हजार रुपये में बिके। शनिवार शाम को ही बाजार में एचटेट परीक्षा का प्रश्न पत्र आउट होने की बात फैल गई थी। सूचना के अनुसार शहर के मुख्य बाजारों, सेक्टरों, पुराना हाउसिंग बोर्ड, बस स्टैंड में एचटेट परीक्षा के फर्जी प्रश्न पत्रों की जमकर बिक्री हुई। देर रात प्रश्न पत्रों के रेट नीचे आते गए। हालात ये रहे कि शनिवार शाम जो प्रश्न पत्र 10 हजार रुपये में बिक रहे थे वहीं रविवार सुबह बस स्टैंड पर दो-दो हजार रुपये में बिके । रविवार सुबह पांच बजे ही बस स्टैंड परिसर में एचटेट का फर्जी प्रश्न पत्र बेचने वाले पहुंच गए तथा बस में सवार परीक्षार्थियों ने प्रश्नों के बदले जमकर पैसे लूटे। एचटेट के फर्जी प्रश्न पत्र करीब आठ पेजों का रहा जो किसी प्रतियोगी पुस्तक के पिछले पेजों से लिया गया था। इनकी फोटोस्टेट कापियां ही बाजारों में बिकीं। एच टेट परीक्षा का पेपर एक दिन पहले बिकने के सवाल पर बोर्ड सचिव चंद्रप्रकाश ने कहा कि वो पेपर मेरे पास भी आया था, लेकिन उस पेपर में जो प्रश्न दिए गए थे, उनमें से एक भी प्रश्न असली पेपर से नहीं मेल खा रहा था। परीक्षा के दौरान बीएड अध्यापक पद के परीक्षार्थियों को भाषा विषय संबंधी प्रश्न पत्रों के मिलने में आई परेशानी पर उन्होंने कहा कि इस संबंध में बोर्ड मुख्यालय द्वारा जारी की गई हेल्पलाइन पर काफी फोन कॉल्स आए थे, जिनका अधिकारियों ने उसी समय समाधान कर दिया।
एचटेट
करनाल
प्रदेश भर में शनिवार को हुई हरियाणा अध्यापक पात्रता परीक्षा में शिक्षा विभाग की पोल खुल गई। विभाग कितना गंभीर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई परीक्षा केंद्रों में एक विषय की जगह दूसरे विषय का पेपर थमा दिया गया तो कई जगह हल की हुई प्रश्न पुस्तिका दी गई।
मामला करनाल के सेक्टर-६ स्थित प्रताप पब्लिक स्कूल का है। यहां दो ब्लाकों में एचटेट कैटेगरी नंबर-३ में लेक्चरर की परीक्षा होनी थी। सुबह १० बजे से ही परीक्षा केंद्र में आईडी प्रूफ और फोटो मिलान कर परीक्षार्थियों को परीक्षा केंद्र में प्रवेश कराया गया। इस केंद्र में ज्यादातर परीक्षार्थी संस्कृत, पंजाबी, अंग्रेजी आदि विषय के थे। यहां पर संस्कृत विषय के परीक्षार्थियों को बोर्ड की लापरवाही का खामियाजा भुगतना पड़ा। 11 बज चुके थे, परीक्षा केंद्र के ब्लाक नंबर-२ की दूसरी मंजिल पर स्थित कमरों में प्रश्न पत्र उपलब्ध नहीं कराया गया। कुछेक परीक्षार्थियों ने परीक्षा में देरी होने की शिकायत भी की। तकरीबन साढ़े 11 बजे उन्हें प्रश्न पुस्तिका और ओएमआर शीट उपलब्ध कराई गई। निर्देश दिया गया कि घंटी बजने इसे न खोले, पर सभी प्रश्न पुस्तिकाओं की सील टूटी हुई थी। इन पर पहले से ही परीक्षार्थियों के नाम, पिता का नाम, रोल नंबर, यहां तक के हस्ताक्षर भी किए हुए थे।
ओएमआर शीट भी प्रयोग की हुई
ऐसी ही स्थिति ओएमआर शीट की थी, सीट के रोल नंबर, पेपर कोड, परीक्षार्थी का नाम के स्थान के तो गोले काले किए हुए ही थे, इसके साथ-साथ कुछ शीटों पर तो प्रश्न क्रमांक के अनुसार उत्तरों के गोले भी काले किए मिले। हालांकि ये औसतन आठ से दस ही थे। उसी समय केंद्र के दूसरी मंजिल पर स्थित एक कमरे के परीक्षार्थियों ने विरोध जताना शुरू कर दिया और ड्यूटी स्टाफ से पेपर बदलने की मांग की। मामले को बढ़ता देख ड्यूटी स्टाफ ने कहा कि यह दिक्कत आप अकेलों की नहीं है। हमें कहा गया है कि आप फ्लूड से लिखे हुए मैटर को मिटा दें, और अपने लेवल पर पेपर दें। केंद्र में आए बोर्ड के प्रतिनिधि ने कहा है कि ऐसी ओएमआर शीटों में फ्लूड प्रयोग करने दिया जाए, इनकी अलग से चैकिंग करा दी जाएगी। इसके लिए आपको फ्लूड भी उपलब्ध कराया जाएगा और जो समय आपका बीता है उसकी भरपाई भी कराई जाएगी। करीबन दस मिनट तक चले मामले में ओएमआर के चैकिंग होने के आश्वासन के बाद ही परीक्षार्थियों ने पेपर हल करने शुरू किए।
कैथल प्रदेश भर में शनिवार को हुई हरियाणा अध्यापक पात्रता परीक्षा में शिक्षा विभाग की पोल खुल गई। विभाग कितना गंभीर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई परीक्षा केंद्रों में एक विषय की जगह दूसरे विषय का पेपर थमा दिया गया तो कई जगह हल की हुई प्रश्न पुस्तिका दी गई।
मामला करनाल के सेक्टर-६ स्थित प्रताप पब्लिक स्कूल का है। यहां दो ब्लाकों में एचटेट कैटेगरी नंबर-३ में लेक्चरर की परीक्षा होनी थी। सुबह १० बजे से ही परीक्षा केंद्र में आईडी प्रूफ और फोटो मिलान कर परीक्षार्थियों को परीक्षा केंद्र में प्रवेश कराया गया। इस केंद्र में ज्यादातर परीक्षार्थी संस्कृत, पंजाबी, अंग्रेजी आदि विषय के थे। यहां पर संस्कृत विषय के परीक्षार्थियों को बोर्ड की लापरवाही का खामियाजा भुगतना पड़ा। 11 बज चुके थे, परीक्षा केंद्र के ब्लाक नंबर-२ की दूसरी मंजिल पर स्थित कमरों में प्रश्न पत्र उपलब्ध नहीं कराया गया। कुछेक परीक्षार्थियों ने परीक्षा में देरी होने की शिकायत भी की। तकरीबन साढ़े 11 बजे उन्हें प्रश्न पुस्तिका और ओएमआर शीट उपलब्ध कराई गई। निर्देश दिया गया कि घंटी बजने इसे न खोले, पर सभी प्रश्न पुस्तिकाओं की सील टूटी हुई थी। इन पर पहले से ही परीक्षार्थियों के नाम, पिता का नाम, रोल नंबर, यहां तक के हस्ताक्षर भी किए हुए थे।
ओएमआर शीट भी प्रयोग की हुई
ऐसी ही स्थिति ओएमआर शीट की थी, सीट के रोल नंबर, पेपर कोड, परीक्षार्थी का नाम के स्थान के तो गोले काले किए हुए ही थे, इसके साथ-साथ कुछ शीटों पर तो प्रश्न क्रमांक के अनुसार उत्तरों के गोले भी काले किए मिले। हालांकि ये औसतन आठ से दस ही थे। उसी समय केंद्र के दूसरी मंजिल पर स्थित एक कमरे के परीक्षार्थियों ने विरोध जताना शुरू कर दिया और ड्यूटी स्टाफ से पेपर बदलने की मांग की। मामले को बढ़ता देख ड्यूटी स्टाफ ने कहा कि यह दिक्कत आप अकेलों की नहीं है। हमें कहा गया है कि आप फ्लूड से लिखे हुए मैटर को मिटा दें, और अपने लेवल पर पेपर दें। केंद्र में आए बोर्ड के प्रतिनिधि ने कहा है कि ऐसी ओएमआर शीटों में फ्लूड प्रयोग करने दिया जाए, इनकी अलग से चैकिंग करा दी जाएगी। इसके लिए आपको फ्लूड भी उपलब्ध कराया जाएगा और जो समय आपका बीता है उसकी भरपाई भी कराई जाएगी। करीबन दस मिनट तक चले मामले में ओएमआर के चैकिंग होने के आश्वासन के बाद ही परीक्षार्थियों ने पेपर हल करने शुरू किए।
॥कुछ परीक्षार्थियों के साथ ऐसा हुआ है। बोर्ड स्टाफ की जल्दबाजी में प्रश्न पत्रों का गलत वितरण हो गया। ऐसे परीक्षार्थियों को समय भी अतिरिक्त दिया गया। हमारे स्टाफ या स्कूल का इस मामले में कोई दोष नहीं है। हमने इस बारे में बोर्ड को अवगत करा दिया गया था।’’
निशा साहनी, प्राचार्या, प्रताप पब्लिक स्कूल
बोर्ड ने हमारे पेपर चैक नहीं किए तो...
परीक्षा केंद्र की इस लापरवाही के शिकार बने परीक्षार्थी हनुमान, सरिता, पूनम, सीमा, सुनीला आदि का कहना था कि गलती तो परीक्षा केंद्र की है। हमें तो डर है कि बोर्ड फ्लूड लगी हमारी ओएमआर सीटों को कहीं चैक ही न करें। कहा तो यही गया है कि इन्हें चैक कराया जाएगा। इस बारे में हम भी बोर्ड सचिव को शिकायत करेंगे। उन्होंने यह भी मांग की पेपर लेट होने के कारण आधा घंटे का समय तो हमें दिया गया, पर इन प्रश्नों के उत्तर और अन्य लिखे मैटर को मिटाने में हमारा जो समय खर्च हुआ, उस पर ध्यान नहीं दिया गया। ऐसे में कइयों के प्रश्न भी रह गए। ऐसे में बोर्ड को इस मामले में कम से कम 15 से बीस अंक तक ग्रेस माक्र्स देने चाहिए।
पंजाबी वालों को दे दिए संस्कृत के पेपर
मामले की जब पड़ताल की गई तो पाया गया कि परीक्षा केंद्र स्टाफ ने संस्कृत विषय के पेपर गलती से पंजाबी विषय वाले परीक्षार्थियों को दे दिए। समय नष्ट न हो ऐसे में उन परीक्षार्थियों ने प्रश्न बुकलेट पर नाम, पिता का नाम, रोल नंबर आदि लिखने के साथ-साथ हस्ताक्षर तक कर दिए। इसके अलावा कइयों ने तो ओएमआर सीटों को भी भरना शुरू कर दिया। ऐसे में वो आठ से दस प्रश्न ही इतने समय में ओएमआर सीट में हल कर पाए। बाद में उनमें किसी ने विषय का पेपर न होने की कही तो मामला सामने आया। आनन फानन में उनसे सीट वापस ली गई। यही सीट संस्कृत विषय वालों को दी गई।
सेके्रट हार्ट कांवेट स्कूल में बने परीक्षा केंद्र के रूम नंबर-१० में कुछ परीक्षार्थियों को राजनीति शास्त्र की जगह इतिहास का पेपर थमा दिया। इस पर परीक्षार्थी भड़क गए और हंगामा शुरू कर दिया। इसकी सूचना केंद्र के स्टाफ की ओर से प्रशासन को दी गई। प्रशासन की ओर से एसडीएम जगाधरी देवेंद्र कौशिक व डीएसपी जगाधरी सुरेश कौशिक मौके पर पहुंचे। उन्होंने केंद्र अधीक्षक व परीक्षार्थियों से बात की। इतिहास का पेपर देने व अतिरिक्त समय देने की बात पर मामला सुलझ गया।
निशा साहनी, प्राचार्या, प्रताप पब्लिक स्कूल
बोर्ड ने हमारे पेपर चैक नहीं किए तो...
परीक्षा केंद्र की इस लापरवाही के शिकार बने परीक्षार्थी हनुमान, सरिता, पूनम, सीमा, सुनीला आदि का कहना था कि गलती तो परीक्षा केंद्र की है। हमें तो डर है कि बोर्ड फ्लूड लगी हमारी ओएमआर सीटों को कहीं चैक ही न करें। कहा तो यही गया है कि इन्हें चैक कराया जाएगा। इस बारे में हम भी बोर्ड सचिव को शिकायत करेंगे। उन्होंने यह भी मांग की पेपर लेट होने के कारण आधा घंटे का समय तो हमें दिया गया, पर इन प्रश्नों के उत्तर और अन्य लिखे मैटर को मिटाने में हमारा जो समय खर्च हुआ, उस पर ध्यान नहीं दिया गया। ऐसे में कइयों के प्रश्न भी रह गए। ऐसे में बोर्ड को इस मामले में कम से कम 15 से बीस अंक तक ग्रेस माक्र्स देने चाहिए।
पंजाबी वालों को दे दिए संस्कृत के पेपर
मामले की जब पड़ताल की गई तो पाया गया कि परीक्षा केंद्र स्टाफ ने संस्कृत विषय के पेपर गलती से पंजाबी विषय वाले परीक्षार्थियों को दे दिए। समय नष्ट न हो ऐसे में उन परीक्षार्थियों ने प्रश्न बुकलेट पर नाम, पिता का नाम, रोल नंबर आदि लिखने के साथ-साथ हस्ताक्षर तक कर दिए। इसके अलावा कइयों ने तो ओएमआर सीटों को भी भरना शुरू कर दिया। ऐसे में वो आठ से दस प्रश्न ही इतने समय में ओएमआर सीट में हल कर पाए। बाद में उनमें किसी ने विषय का पेपर न होने की कही तो मामला सामने आया। आनन फानन में उनसे सीट वापस ली गई। यही सीट संस्कृत विषय वालों को दी गई।
सेके्रट हार्ट कांवेट स्कूल में बने परीक्षा केंद्र के रूम नंबर-१० में कुछ परीक्षार्थियों को राजनीति शास्त्र की जगह इतिहास का पेपर थमा दिया। इस पर परीक्षार्थी भड़क गए और हंगामा शुरू कर दिया। इसकी सूचना केंद्र के स्टाफ की ओर से प्रशासन को दी गई। प्रशासन की ओर से एसडीएम जगाधरी देवेंद्र कौशिक व डीएसपी जगाधरी सुरेश कौशिक मौके पर पहुंचे। उन्होंने केंद्र अधीक्षक व परीक्षार्थियों से बात की। इतिहास का पेपर देने व अतिरिक्त समय देने की बात पर मामला सुलझ गया।
आईजी पब्लिक स्कूल के परीक्षा केंद्र में काफी गड़बडिय़ां मिली। परीक्षा शुरू होने पर कुछ पात्रों को हिंदी की जगह इंग्लिश का पेपर थमा दिया गया। पेपर समय पर न मिलने और पेपर कोड की उलझन के चक्कर में परीक्षा पंद्रह मिनट देरी से शुरू हुई। यही नहीं चेकिंग के दौरान जींद जिले से आई एक महिला पात्र की उत्तरपुस्तिका खाली पाए जाने पर डीसी ने सुपरीडेंट और ड्यूटी स्टाफ को फटकार लगाई।
९७,४१८
३२६
अम्बाला
परीक्षा खत्म होने के बाद कुछ परीक्षार्थियों में परीक्षा नियंत्रकों की ओर से प्रश्न पत्र न लौटाने पर नाराजगी जताई। इस मामले को लेकर कुछ परीक्षार्थियों ने अपने अभिभावकों को इस बात की जानकारी दी। जिस पर अभिभावकों ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर करने की चेतावनी भी दी।
कुरुक्षेत्र
डीएन कालेज में बने परीक्षा केंद्र में राजनीतिक विज्ञान विषय के विद्यार्थियों को इकोनामिक्स का प्रश्न पत्र थमा दिया गया। कमरा नंबर-६, ७ व ८ में इसका पता विद्यार्थियों को १५ मिनट बाद चला। तब तक वे इस पर रोल नंबर व अन्य जानकारियां भर चुके थे। फ्लूड लगाकर विद्यार्थियों ने उत्तर पुस्तिकाओं को ठीक किया। इसके चलते परीक्षा २० मिनट देरी से शुरू हुई। हालांकि परीक्षार्थियों को बाद में अतिरिक्तसमय दिया गया।
यूपी में भ्रष्टाचार पर बोलने वाले डीआईजी पागल घोषित पुलिस ने ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया
उत्तर प्रदेश के अग्निशमन विभाग में तैनात डीआईजी देवेंद्र दत्त मिश्र को भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने पर पागल करार दे दिया गया। शुक्रवार को आफिस पहुंचने के बाद देवेंद्र दत्त मिश्र ने फाइलें तलब कीं और उन पर टिप्पणियां लिखीं। इसके बाद उन्होंने मीडिया से दर्द बयां करते हुए कहा कि ‘शासन में सब भ्रष्ट हैं। खरीद-फरोख्त की फाइलों पर कल तक मेरे भी हस्ताक्षर हुए हैं, लेकिन मैं जानता हूं कि सब गलत है। आज मुझे होश आया तो रिस्क उठा रहा हूं।’ अग्निशमन विभाग में अवैध खरीद फरोख्त का आरोप लगाते हुए कहा कि पानी के 13 टैंकर की बाडी के अवैध निर्माण में खरीद आदेश पर दस्तखत करने को एडीजी दबाव डाल रहे थे। यूपी शासन को जैसे ही डीआईजी के बागी तेवर का पता चला पुलिस ने आफिस को घेर लिया और देर रात उन्हें जबरन बाहर निकाल कर लखनऊ मेडिकल कालेज में भर्ती करा दिया। उधर, सपा और भाजपा के नेताओं ने मिश्र के आरोपों पर उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती को घेरते हुए मिश्र की तरफ से लगाए गए आरोपों के जांच की मांग की है।
जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र सहित कई अन्य तरह के जरूरी कागजात के लिए एसएमएस
नई दिल्ली
आने वाले दिनों में आपको जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र सहित कई अन्य तरह के जरूरी कागजात के लिए सरकारी दफ्तरों या फिर सरकार की ओर से स्थापित किए जाने वाले ई-कियोस्क तक भी जाने की जरूरत नहीं होगी। आप अपने मोबाइल फोन से ही एसएमएस कर इनके लिए आवेदन कर पाएंगे। यही नहीं, एमएमएस के माध्यम से आपके मोबाइल पर ही इनकी डिलीवरी भी हो जाएगी। फिर आप अपनी सुविधा अनुसार कहीं से भी इनका प्रिंट ले सकेंगे।
दूरसंचार एवं सूचना तकनीक मंत्रालय के आईटी विभाग ने इसकी कवायद शुरू कर दी है। इस सेवा के लिए वह निजी कंपनियों से बात कर रहा है। उम्मीद की जा रही है कि एक बार कार्य शुरू होने पर ये सुविधा एक से दो साल के अंदर हासिल होने लगेगी।
सूचना तकनीक विभाग के एक अधिकारी ने कहा ‘इस तरह की सुविधा रेलवे ने हाल ही में शुरू करने का निर्णय किया था जिसमें एमएमएस से ई-टिकट भेजने की कार्रवाई शुरू की जानी थी। जब ई-टिकट एमएमएस से भेजी जा सकती है तो फिर प्रमाण-पत्र क्यों नहीं, यही सोचते हुए इस दिशा में कार्य शुरू किया गया है। हम निजी कंपनियों से इसके लिए करार के प्रयास कर रहे हैं जिससे लोगों को यह सुविधा हासिल हो पाए।’ इस अधिकारी ने कहा कि सरकार देश के हर हिस्से में ई-कियोस्क भी लगाने की कार्रवाई कर रही है जिससे आम लोग वहां से भी इस तरह के आवेदन कर पाएं और एक निश्चित राशि पर संबंधित प्रमाण-पत्र के प्रिंट ले पाएं। मोबाइल पर भी यह सुविधा देने का एकमात्र लक्ष्य आम लोगों के लिए सेवा हासिल करने के अधिकतम विकल्प उपलब्ध कराना है। जिन प्रमाण पत्रों को इस सेवा के तहत उपलब्ध कराने का विचार है उसमें जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, वैवाहिक प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र आदि शामिल हैं।
एक अन्य अधिकारी के मुताबिक विभिन्न कंपनियों ने इस योजना को लेकर सकारात्मक रुख दिखाया है। प्रमाण पत्रों को लेकर आम तौर पर लोगों को काफी परेशानी होती है। अगर यह योजना सफल होती है तो यह एक क्रांतिकारी कदम होगा।
आने वाले दिनों में आपको जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र सहित कई अन्य तरह के जरूरी कागजात के लिए सरकारी दफ्तरों या फिर सरकार की ओर से स्थापित किए जाने वाले ई-कियोस्क तक भी जाने की जरूरत नहीं होगी। आप अपने मोबाइल फोन से ही एसएमएस कर इनके लिए आवेदन कर पाएंगे। यही नहीं, एमएमएस के माध्यम से आपके मोबाइल पर ही इनकी डिलीवरी भी हो जाएगी। फिर आप अपनी सुविधा अनुसार कहीं से भी इनका प्रिंट ले सकेंगे।
दूरसंचार एवं सूचना तकनीक मंत्रालय के आईटी विभाग ने इसकी कवायद शुरू कर दी है। इस सेवा के लिए वह निजी कंपनियों से बात कर रहा है। उम्मीद की जा रही है कि एक बार कार्य शुरू होने पर ये सुविधा एक से दो साल के अंदर हासिल होने लगेगी।
सूचना तकनीक विभाग के एक अधिकारी ने कहा ‘इस तरह की सुविधा रेलवे ने हाल ही में शुरू करने का निर्णय किया था जिसमें एमएमएस से ई-टिकट भेजने की कार्रवाई शुरू की जानी थी। जब ई-टिकट एमएमएस से भेजी जा सकती है तो फिर प्रमाण-पत्र क्यों नहीं, यही सोचते हुए इस दिशा में कार्य शुरू किया गया है। हम निजी कंपनियों से इसके लिए करार के प्रयास कर रहे हैं जिससे लोगों को यह सुविधा हासिल हो पाए।’ इस अधिकारी ने कहा कि सरकार देश के हर हिस्से में ई-कियोस्क भी लगाने की कार्रवाई कर रही है जिससे आम लोग वहां से भी इस तरह के आवेदन कर पाएं और एक निश्चित राशि पर संबंधित प्रमाण-पत्र के प्रिंट ले पाएं। मोबाइल पर भी यह सुविधा देने का एकमात्र लक्ष्य आम लोगों के लिए सेवा हासिल करने के अधिकतम विकल्प उपलब्ध कराना है। जिन प्रमाण पत्रों को इस सेवा के तहत उपलब्ध कराने का विचार है उसमें जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, वैवाहिक प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र आदि शामिल हैं।
एक अन्य अधिकारी के मुताबिक विभिन्न कंपनियों ने इस योजना को लेकर सकारात्मक रुख दिखाया है। प्रमाण पत्रों को लेकर आम तौर पर लोगों को काफी परेशानी होती है। अगर यह योजना सफल होती है तो यह एक क्रांतिकारी कदम होगा।
एचटेट में आरक्षित वर्ग को पांच प्रतिशत की छूट
चंडीगढ़, जाब्यू : अध्यापक पात्रता परीक्षा में अनुसूचित जाति के अभ्यर्थी को 55 प्रतिशत अंक प्राप्त करने पर ही उत्तीर्ण मान लिया जाएगा। अब तक सभी श्रेणियों के लिए 60 प्रतिशत अंक प्राप्त करने थे। भर्ती प्रक्रिया में एचटीईटी अंकों को तरजीह दी जाएगी। ख्याल रहे कि कुछ व्यक्तियों ने पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट में मांग की थी कि अध्यापक पात्रता परीक्षा में अनुसूचित जाति के परीक्षार्थियों को अंकों की छूट दी जाए। इस हाईकोर्ट ने सरकार से आरक्षित वर्ग के छात्रों को छूट देने पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने को कहा था। राज्य की शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने एक बयान में कहा कि एचटीईटी उत्तीर्ण होने से ही भर्ती या रोजगार के लिए उम्मीदवार का अधिकार नहीं बन जाएगा, क्योंकि यह नियुक्ति के लिए केवल एक पात्रता है। इसके अतिरिक्त, उम्मीदवार को अन्य अतिरिक्त योग्यताओं और उक्त पद के लिए आवेदन करते समय राज्य भर्ती विनियमों के अनुसार समय-समय पर निर्धारित शर्तो को भी पूरा करना होगा।
अतिथि अध्यापक मामले में हाईकोर्ट फिर सख्त
दयानंद शर्मा, चंडीगढ़ पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने सेवानिवृत्त अध्यापकों को बतौर गेस्ट टीचर नियुक्त करने पर कड़ा रुख अपनाते हुए सरकार से जवाब तलब किया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकार हलफनामा देकर स्पष्ट करे कि क्या पहली अगस्त 2011 को जारी परिपत्र के अनुसार वह सेवानिवृत अध्यापकों को गेस्ट टीचर नियुक्त कर रही है। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने सरकार को कोर्ट में विस्तृत हलफनामा देकर यह स्पष्ट करने को कहा है कि क्या पहली अगस्त 2011 को जारी परिपत्र के अनुसार सरकार सेवानिवृत अध्यापकों को गेस्ट टीचर नियुक्त कर रही है। हाई कोर्ट ने अंबाला निवासी तिलकराज बनाम हरियाणा सरकार मामले में 30 मार्च 2011 को अपने फैसले में हरियाणा सरकार को निर्देश दिया था कि सरकार भविष्य में कोई भी गेस्ट टीचर नियुक्त नहीं करेगी और अप्रैल 2012 के बाद राज्य में कोई भी गेस्ट टीचर कार्यरत नहीं रहेगा और सरकार तब तक नियमित टीचरों की नियुक्ति की प्रकिया पूरी कर लेगी। इसके विपरीत शिक्षा विभाग ने 1 अगस्त 2011 को एक परिपत्र जारी कर सांइस व कॉमर्स संकाय के लिए सेवानिवृत्त अध्यापकों को नियुक्त करने का निर्देश जारी किया था। इस मामले में अंबाला निवासी तिलकराज ने कोर्ट में अवमानना याचिका जारी कर सरकार द्वारा नियमित अध्यापकों की नियुक्ति में और हरियाणा अध्यापक पात्रता परीक्षा आयोजित करने में देरी व गेस्ट टीचरों की नियुक्ति को चुनौती दी। सुनवाई के दौरान हरियाणा स्कूली शिक्षा विभाग की प्रधान सचिव सुरीना राजन ने हाईकोर्ट में हलफनामा देकर बताया कि कोर्ट के आदेश के अनुसार सरकार सितंबर में अध्यापक पात्रता परीक्षा आयोजित करना चाहता था इस बाबत चुनाव आयोग से इजाजत मिल गई थी लेकिन संस्कृत अध्यापकों द्वारा अपने को अध्यापक पात्रता परीक्षा से बाहर रखने को हाई कोर्ट में चुनौती देने और मामले के 14 अक्टूबर को निपटारे के कारण आवश्यक कार्यवाही की तैयारी के चलते परीक्षा का आयोजन नवंबर में किया गया है। राजन ने हाईकोर्ट को नियमित टीचर की नियुक्ति मामले में स्टेटस रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर शिक्षक भर्ती बोर्ड का गठन कर दिया है। इस मामले में विधानसभा भी बिल पास कर चुकी है और सरकार 30 मार्च के दिए गए हाई कोर्ट के आदेश के अनुरूप ही काम करेगी। हाईकोर्ट में इस मामले पर अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी।
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